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इंदौर : अनाथालय में सजा के नाम पर बच्चों से क्रूर बर्ताव, पांच महिलाओं पर प्राथमिकी दर्ज

इंदौर। अनाथालयों में निवास करने वाले बच्चों के साथ किस प्रकार का दुर्व्यवहार किया जाता है इसका एक उदाहरण इन्दौर में देखने और सुनने में आ रहा है जहां पर एक चार साल की बच्ची को सिर्फ कपड़ा गंदा करने के कारण सबसे पहले तो उसे खूब पीटा गया और उसके बाद दो से तीन […]

इंदौर। अनाथालयों में निवास करने वाले बच्चों के साथ किस प्रकार का दुर्व्यवहार किया जाता है इसका एक उदाहरण इन्दौर में देखने और सुनने में आ रहा है जहां पर एक चार साल की बच्ची को सिर्फ कपड़ा गंदा करने के कारण सबसे पहले तो उसे खूब पीटा गया और उसके बाद दो से तीन घंटे तक बाथरूम में बंद कर दिया गया। उसे दो दिनों तक खाना नहीं दिया गया। यही नहीं पुलिस में दर्ज एक एफआईआर के मुताबिक यहां पर बच्चों को सजा के तौर पर उल्टा करके उसके नीचे तावे पर लाल मिर्च की धूनी दी जाती थी।

इंदौर में प्रशासन द्वारा सील किए गए एक तथाकथित अनाथालय में सजा के नाम पर बच्चों से क्रूर बर्ताव के आरोप में पांच महिलाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

वहीं बच्चों का परिसर चलाने वाली एक गैर सरकारी संस्था ने इसे अनाथालय के बजाय छात्रावास बताया है और प्रशासन की कार्रवाई को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है।

बच्चों से क्रूर बर्ताव के आरोप

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि प्रशासन ने विजय नगर क्षेत्र में वात्सल्यपुरम नाम के कथित अनाथाश्रम को अवैध संचालन के आरोप में 12 जनवरी को सील कर दिया था और इसमें रह रहीं 21 लड़कियों को राजकीय बाल संरक्षण आश्रम और एक अन्य संस्था में भेज दिया था। इन लड़कियों की उम्र चार से 14 साल के बीच है।

अधिकारी के मुताबिक कथित अनाथालय में रहने वाली लड़कियों ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को बताया कि इस परिसर में सजा के नाम पर बच्चों से क्रूर बर्ताव किया जाता था।

उन्होंने 17 जनवरी की रात दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कहा कि चार साल की एक बच्ची ने जब अपने कपड़े गंदे कर दिए थे,  तो उसे पिटाई के बाद कई घंटों तक बाथरूम में बंद रखा गया और दो दिन तक खाना भी नहीं दिया गया।

प्राथमिकी में यह आरोप भी लगाया गया है कि कथित अनाथालय में बच्चों को उल्टा लटका दिया जाता था और नीचे गर्म तवे पर लाल मिर्च रखकर धूनी जलाई जाती थी।

अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकी में दो बच्चों को एक नाबालिग लड़की के हाथों गर्म चिमटे से जबरन दगवाए जाने और एक लड़की को अन्य बच्चों के सामने निर्वस्त्र किए जाने के बाद भट्टी के पास ले जाकर जलाने की धमकी दिए जाने के भी आरोप हैं।

संस्था ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका

उधर, ‘वात्सल्यपुरम’ परिसर चलाने वाली संस्था ‘वात्सल्यपुरम जैन वेलफेयर सोसायटी’ ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है।

संस्था के वकील विभोर खंडेलवाल ने कहा, ‘वात्सलयपुरम कोई अनाथालय नहीं, बल्कि एक छात्रावास है जहां महज पांच रुपये की वार्षिक फीस में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की देखभाल की जाती है।’

खंडेलवाल ने दावा किया कि प्रशासन ने ‘अनधिकृत तौर पर’ वात्सल्यपुरम को सील किया और इसमें रह रहे बच्चों को अन्य संस्थाअें में भेजे जाते वक्त तय कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

उन्होंने बताया कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में गुहार की गई है कि इस परिसर के बच्चों को छात्रावास प्रशासन या उनके माता-पिता को सौंपा जाए। खंडेलवाल ने संस्था के लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आरोपों को खारिज भी किया।

अभी तक किसी की भी नहीं हुई गिरफ्तारी

विजय नगर पुलिस थाने की उप निरीक्षक कीर्ति तोमर ने बताया, ‘भारतीय दंड विधान और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत दर्ज प्राथमिकी में अनाथालय से जुड़ी पांच महिलाओं के नाम हैं। इन आरोपों की जांच अभी शुरुआती स्तर पर है।’ उप निरीक्षक ने बताया कि फिलहाल इस मामले में किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

इंदौर की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की अध्यक्ष पल्लवी पोरवाल ने कहा, ‘अनाथालय से बचाए गए बच्चे राजस्थान और गुजरात के रहने वाले हैं। हमने इन राज्यों की संबद्ध बाल कल्याण समितियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे इन बच्चों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि का पता लगाकर हमें रिपोर्ट सौंपें ताकि इनका पुनर्वास किया जा सके।

बहरहाल, जो भी हो इस पूरे प्रकरण के सामने आने से एक बात तो समझ में आ ही गयी कि अनाथालयों में जीवन यापन करने वाले बच्चों के सामने जिंदगी को सुचारू रूप से चलाने की जद्दोजहद ज्यादा है ।

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