इसी तरह रामनवमी का जुलूस के समय मुख्य मार्ग के रास्ते बदल दिए जाते हैं। ताजिया निकालने के समय भी इसी तरह की व्यवस्था की जाती है। धर्म के मामले के साथ-साथ शहरों में किसी मंत्री या जनप्रतिनिधि के आने पर रास्ते की नाकेबंदी कर दी जाती है और ट्रेफिक 2-4 घंटे के लिए रोक दिया जाता है, चाहे उस जगह पर रूट बदलाव की सुविधा न हो। ऐसा लगता है कि आने वाले मंत्रियों और जनता के प्रतिनिधियों को इसी आम जनता से खतरा है।
इसी तरह की एक खबर तिरुवन्तपुरम से आई है कि पद्मनाभ स्वामी मंदिर का पारंपरिक ‘अराट्टू’ जुलूस हवाईपट्टी से गुजर सके, इसके लिए यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की उड़ान सेवाएं सोमवार को पांच घंटे, शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक के लिए अस्थायी रूप से रोक दी गईं हैं। साथ ही टीआईएएल (तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड) ने बताया कि समारोह के कारण चार उड़ानों की सेवाओं को पुनर्निर्धारित किया गया है। साथ ही जुलूस के समापन के बाद हवाई अड्डा की सड़कों साफ-सफाई के साथ-साथ इसका निरीक्षण किया जाएगा।
परंपरा के नाम पर इस तरह के तमाशे देश में आए दिन हो रहे हैं। पद्मनाभस्वामी मंदिर द्वारा अराट्टू शोभायात्रा त्रावणकोर के महाराजा से जुड़ी दशकों पुरानी प्रथा के तहत निकाली जाती है। लेकिन सवाल यह है कि इस शोभा यात्रा को हवाई पट्टी पर निकाले जाने का क्या तुक है? जबकि हवाई अड्डा बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र होता है, जहां चिड़िया भी पर नहीं मार सकती, ऐसे क्षेत्र प्रशासन ने अनुमति दी, जिसका मायने यही निकलता है कि धर्म के सामने कुछ भी मायने नहीं रखता। जबकि इस तरह के जुलूस में भाग लेने वाले पिछड़े और दलित समुदाय के युवा होते हैं, जिन्हें शिक्षा और रोजगार के मुद्दे से भटकाने के लिए इस तरह के कामों में शामिल होने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है।
तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है और यह हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय यातायात में देश का आठवाँ सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। प्रतिदिन औसत 65 से 70 विमान यहाँ से आते-जाते हैं। हजारों यात्री इस हवाई अड्डे से दुनिया भर के अनेक स्थानों की यात्रा करते हैं। ऐसे में यदि पाँच घंटे विमानों की उड़ानें यदि अराट्टू’ जुलूस के कारण अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गईं हैं तो यात्रियों को होने वाली असुविधा का भुगतान कौन करेगा? साथ ही अपने गंतव्य पर देरी से पहुँचने पर उनके होने वाले नुकसान की भरपाई कैसे होगी? मौसम के मिजाज़ के बिगड़ने पर तो विमानों की देरी या स्थगन की खबरें तो आती रहती हैं लेकिन धर्म के नाम पर हवाई पट्टी पर निकले जाने जुलूस के कारण विमानों की उड़ान पर रोक पहली बार है।
इसके अनेक उदहारण आए दिन खबरों में पढ़ने और सुनने को मिल जाती हैं। धार्मिक यात्रा निकाले जाने के दौरान रूट डायवर्ट कर दिया गया है या फिर जुलूस निकलते समय कई घंटे के लिए रास्ता बंद कर दिया जाता है। यही नहीं जिले में बड़े मंत्रियों के आगमन पर बैरिकेटिंग कर रास्ता तब- तक के लिए रोक दिया जाता है जब- तक मंत्री वापस नहीं चले जाते हैं। इस दौरान आम आदमी के दुःख और कष्टों की किसी को कोई परवाह नहीं रहती। व्यक्ति को चाहे कितनी भी इमरजेंसी क्यों न हो उसे जाने नहीं दिया जाता है। ऐसे में आमजनता कुढ़ने के अलावा कुछ नहीं कर सकती।
तिरुवनंतपुरम (भाषा)। पूरे देश में धर्म को लेकर जिस तरह का माहौल तैयार किया गया है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि जीने के लिए यही सर्वोपरि है और बाकी बातें और जरूरतें नगण्य हैं। किसी भी त्योहार के दौरान निकलने वाली शोभा यात्रा हो या काँवड़ यात्रा हो, उन दिनों प्रशासन जिस तरह से सड़क पर चलने वाले आम आदमी के लिए रुकावट पैदा करता है, उसका कष्ट एक आम आदमी ही बता सकता है। सावन का महीना आते ही काँवड़ यात्रियों के लिए हाइवे पर वन वे सुविधा को बंद कर दिया जाता और और एक ही तरफ से आना-जाना चलता है। दूसरी तरफ काँवड़ यात्रियों को पैदल चलने की सुविधा दी जाती है। जबकि ऐसी व्यवस्था एक तरफ से चलने वाले वाहनों के लिए दुर्घटना की आशंका को बढ़ा देती है। धर्म की आड़ में आज आम आदमी की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।