इनकम टैक्स अधिकारी बन व्यापारियों से वसूली, दरोगा समेत चार पुलिस कर्मी निलंबित
गाँव के लोग डॉट कॉम डेस्क
मिरजापुर। उत्तर प्रदेश पुलिस का एक और आपराधिक कारनामा सामने आया है। अबकी बार यह कारनामा मिर्ज़ापुर की पुलिस ने अंजाम दिया है। पुलिस का यह कारनामा तब उज़ागर हुआ जब मिरजापुर के कटरा कोतवाली क्षेत्र के विभिन्न दुकानदारों से आयकर अधिकारी बनकर वसूली करने वाले एक दरोगा समेत चार पुलिसकर्मियों को व्यापारियों ने पकड़कर कटरा कोतवाली पुलिस को सौंपा। दरअसल शनिवार को कटरा कोतवाली क्षेत्र के शुक्लहा, जंगीरोड समेत अन्य मोहल्ले में दुकानदारों और व्यापारियों के पास पहुंच कर कुछ लोग आयकर अधिकारी बनकर वसूली कर रहे थे। व्यापारियों से दो लाख रुपये मांग रहे थे। एक व्यापारी ने 10 हजार रुपये दिया। व्यापारियों ने शंका होने पर आयकर अधिकारी सर्चिल कुमार को सूचना दी। आयकर अधिकारी सर्चिल कुमार ने व्यापारियों को बताया कि वसूली करने वाले आयकर विभाग के नहीं है। इसके बाद व्यापारियों ने कटरा कोतवाली पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची कटरा कोतवाली पुलिस चार लोगों को पकड़कर थाने ले गई।
एसपी की छानबीन में आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा पैसा लेने का वीडियो मिला। जिसके बाद शनिवार को ही देर शाम मिर्ज़ापुर के एसपी संतोष कुमार मिश्रा ने कार्रवाई करते हुए चारों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। चारों पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ करवाया गया है।
जिले में यह कोई पहला मामला नहीं है। मिर्जापुर जिले में ही पिछले महीने भी फ़र्जी पुलिस अधिकारी बनकर वसूली करने के साथ फर्जी खनन अधिकारी बनकर वसूली करने वाले पकड़े गये थे।
आयकर अधिकारी सर्चिल कुमार ने मीडिया को बताया कि व्यापारियों से कुछ लोग आयकर अधिकारी बनकर वसूली कर रहे थे। व्यापारियों ने इसकी शिकायत करने के लिए आयकर विभाग के अफ़सर को जब फोन मिलाया तब जाकर असलियत का पता चला। आयकर विभाग द्वारा व्यापारियों को बताया गया कि जो लोग उनसे वसूली करने पहुँचे हैं वे फर्जी आयकर अधिकारी हैं। इसके बाद व्यापारियों ने तत्काल पुलिस को सूचना दी। व्यापारियों ने फर्जी आयकर अधिकारी बने लोगों को पकड़कर बैठा लिया। तब तक कटरा पुलिस भी मौके पर पहुँच गयी। कटरा पुलिस के पहुंचने पर पता चला कि फर्जी आयकर अधिकारी बनकर वसूली करने वाले लोग असल में पुलिसकर्मी हैं। जो जिले में पुलिस की एक विशेष शाखा में तैनात हैं। कटरा कोतवाली पुलिस के पहुंचने पर आरोपी पुलिसकर्मियों को उनको सौंप दिया गया।
अपराधियों के पुलिसकर्मी होने का पता चलने के बाद मिर्जापुर पुलिस पूरे मामले में ढुलमुल रवैया अपनाने लगी। पुलिस अधिकारी कुछ स्पष्ट नहीं बता रहे थे। विभागीय मामला होने और बदनामी के डर से पहले तो मिर्जापुर पुलिस इस मामले में कुछ बोलने बताने से इन्कार करती रही। मामला बढ़ा और बात मीडिया तक पहुँची तो देर शाम जांच के बाद उपनिरीक्षक राकेश कुमार पांडेय पर मुकदमा दर्ज करने के साथ ही उसे निलंबित कर दिया गया। साथ ही तीन अन्य पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया।
पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कटरा कोतवाली क्षेत्रांतर्गत दुकानदार द्वारा एक पुलिसकर्मी पर पैसा लेने की शिकायत करते हुए एक वीडियो दिखाया गया। इसकी जांच क्षेत्राधिकारी नगर परमानंद द्वारा कराई गई। प्रथम दृष्टया जांच के आधार पर संबंधित उप निरीक्षक के खिलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। दुकान के बाहर खड़े अन्य तीन पुलिसकर्मियों को जांच पूर्ण होने तक निलम्बित किया गया है। प्रकरण की संपूर्ण जांच कर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले मिर्ज़ापुर-रीवां राष्ट्रीय राजमार्ग के मध्यप्रदेश की सीमा पर भैसोड़ बलाय पहाड़ गांव में 22 जून गुरुवार की रात वाहनों से फर्जी जिला खनन अधिकारी बनकर वसूले करने वाले दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। जांच में गिरफ्तार आरोपी खनन विभाग का ही सस्पेंडेड इंस्पेक्टर निकला। जोकि इन दिनों प्रयागराज कार्यालय से सम्बद्ध है।
दरअसल गुरुवार की रात डुमंडगंज थानाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह हमराहियों के साथ वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इसी बीच उन्हें मुखबिर से सूचना मिली की हनुमना मिर्ज़ापुर बॉर्डर पर फर्जी जिला खनन अधिकारी बनकर दो लोग मध्यप्रदेश से मिर्ज़ापुर जाने वाली वाहनों से अवैध वसूली कर रहा है। सूचना पाते ही थानाध्यक्ष ने टीम के साथ मौके पर पहुँचकर दोनों को दबोच लिया। जांच में पता चला कि आरोपी सुंधांशु रंजन द्विवेदी मध्य प्रदेश के रींवा जिले के हनुमना थाना क्षेत्र के भाठी गांव का निवासी है। जबकि दूसरा आरोपी आशीष जायसवाल भी रीवां जिले के हनुमना बड़कुड़ा क़स्बे का रहने वाला है। तलाशी में सुधांशु के पास से मिर्जापुर के जिला खनन अधिकारी, जिलाशीश कार्यालय, और प्रशासन अपर जिला मजिस्ट्रेट का मोबाइल नंबर, दो आधार कार्ड और दो हजार रुपये और कूटरचित परिचय पत्र बरामद हुए। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वो वह एटा जिले में खनन विभाग में माइंस इंस्पेक्टर के पद पर तैनात था। और अवैध वसूली के अपराध में ही उसे साल 2021 में निलंबित कर दिया गया था। फिर उसे लखनऊ मुख्यालय ने प्रयागराज जिले के खनन कार्यालय से संबद्ध कर दिया था।