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बनारस के खिड़किया घाट पर मानवता, प्रेम और सहिष्णुता का सन्देश देते हुए मनाया फ्री हग डे

वाराणसी। खिड़किया घाट पर बनारस में मानवता प्रेम और सहिष्णुता का सन्देश देते हुए ‘ फ्री हग डे ‘ (सार्वजनिक गले मिलने के) कार्यक्रम का हुआ आयोजन। बनारस क्वियर प्राइड समूह ने बनारस प्राइड कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत आज यह आयोजन किया। युवाओं से भरे खिड़किया घाट पर  फ्री हग  लिखे हुए बड़े से पोस्टर लिए […]

वाराणसी। खिड़किया घाट पर बनारस में मानवता प्रेम और सहिष्णुता का सन्देश देते हुए ‘ फ्री हग डे ‘ (सार्वजनिक गले मिलने के) कार्यक्रम का हुआ आयोजन। बनारस क्वियर प्राइड समूह ने बनारस प्राइड कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत आज यह आयोजन किया। युवाओं से भरे खिड़किया घाट पर  फ्री हग  लिखे हुए बड़े से पोस्टर लिए लोग कौतुहल, आकर्षण और चर्चा का केंद्र बन गए।
बनारस क्वीयर प्राइड आयोजन से जुड़े एलजीबीटी समुदाय के लोग इस अनूठे आयोजन में , मैं गे हूं, मैं लेस्बियन हूं, मैं बाईसेक्सुअल हूं आदि लिखें प्ले कार्ड अपने गले में लटकाए हुए थे। फ्री हग के लिए अपील करते हुए ये लोग एक सर्किल में घाट पर खड़े थे और जो लोग इन संदेशों को पढ़ते हुए और उत्सुकता दिखाते हुए पास आ रहे थे उनसे गले लग कर प्रेम और भाईचारे के भाव को बढ़ावा दे रहे थे।
आयोजन से जुड़े एक कार्यकर्ता ने बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन करके हम एलजीबीटी समुदाय के प्रति समाज में बहिष्करण और अपराध बोध के भाव को कम करना चाहते हैं। असमानता, हिंसा, और गैरबराबरी को समाप्त करने के लिए ऐसे आयोजन बनारस में हमेशा होते रहना चाहिए ।
संयोजक नीति ने बनारस प्राइड आयोजन के विषय में बताया। आज आयोजित हुआ फ्री हग कार्यक्रम प्राईड श्रृंखला का दूसरा आयोजन है। इसके पहले पोस्टर बनाओ कार्यक्रम हुआ था। आगे फ्लैश मॉब और लैंगिक भेदभाव मिटाने के उद्देश्य से फ़िल्म प्रदर्शन नाटक और चर्चा आदि के कई आयोजन होने है। दिसम्बर प्रथम सप्ताह में एक प्राइड वॉक / मार्च के साथ हम इसका भव्य गौरवपूर्ण समापन करेंगे। इस आयोजन की पूरी बागडोर क्वीयर समुदाय के साथियों ने ले रखी है। एलजीबीटी समुदाय से होना होना अपराधबोध नहीं रह गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने समय समय पर दिए कई आदेशों में समुदाय के नागरिकों को संरक्षण दिए जाने और उन्हें उनकी मर्जी से जीवन जीने के संवैधानिक अधिकार को मुहैया कराए जाने के आदेश पारित किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO कई वर्षों के अध्ययनों के बाद इस निर्णय पर पंहुचा है कि क्वीर समुदाय किसी भी तरह के मानसिक या शारीरिक अक्षमता में नही हैं। फिजियलॉजिकल और साइकोलॉजिकल दोनो तरह के अध्ययनों में पता चला कि क्वीयर समुदाय के लोग शिक्षा ग्रहण करने में, व्यवसाय करने में, रिश्ते बनाने में , सामाजिक व्यवहार करने में, नौकरी करने आदि हर तरह के क्षेत्र में किसी भी अन्य मनुष्य की भांति ही समान क्षमता रखते हैं।
सरकार द्वारा लाइ गयी नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भी लैंगिक विषयो पर संवेदनशील समाज बनाने के लक्ष्य को देखते हुए लैंगिक समझदारी और संवेदनशीलता बढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम बनाने पर जोर दिया है।  फ्री हग कार्यक्रम क्यों का जवाब देते हुए आयोजक रणधीर ने बताया की एक अध्ययन से पता चला है की फ्री हग यानी की गले मिलने से दिमाग में ऑक्सीटोसिन या फील-गुड केमिकल का स्तर बढ़ जाता है जो हमें खुश, एक्टिव और शांत बनाता है। गले लगाने से दूसरे व्यक्ति से जुड़ना आसान हो जाता है। गले लगाने से पता चलता है कि हम सुरक्षित हैं, प्यार करते हैं, और अकेले नहीं हैं।
BHU छात्र परीक्षित ने बताया कि फ्री हग्स अभियान एक सामाजिक आंदोलन है जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर अजनबियों को गले लगाते हैं। अपने वर्तमान स्वरूप में यह अभियान 2004 में एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया था जिसे जुआन मान से जाना जाता था। ऐसे ही अभियानों से प्रेरित होकर बनारस में भी इसका आयोजन बनारस प्राइड कार्यक्रम के अंतर्गत किया जा रहा है। आयोजन में प्रमुख रूप से नीति, शिवांगी, अनुज, वैभव, दीक्षा, रणधीर, परीक्षित, आकाश, अन्नया मैथी, अश्विनि, अन्नया, साहिल, आयुष, आर्या, तुषार, शुभ आदि मौजूद रहे।
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