मो. अरशद का काम और वर्कशॉप उनके घर पर ही है। अंदर जाने पर ग्राउन्ड फ्लोर पर छोटे-छोटे दो कमरों में हाथ से चलने वाली मशीनें लगी हुई हैं। वहां उनके बेटे आदिल अकेले ही नक्काशीदार दरवाजे के हैन्डल पर फिनिशिंग का काम रहे थे। आदिल 25-26 वर्ष के हैं और बी.कॉम. करने के बाद अपने पुश्तैनी काम में लग गए हैं।
भारत देश में काशी नगरी पर आस्था रखने वालों की यह दिली तमन्ना होती है कि मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार इसी नगरी में किया जाये। यहाँ अंतिम संस्कार के लिए आसपास के लोग आते भी हैं। लेकिन इधर प्रशासन ने शव ले जाने वाले मणिकर्णिका रास्ते में बदलाव कर भैंसासुर घाट से ले जाने का आदेश जारी कर जनता के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।
वाराणसी। सामाजिक सरोकारों के संयुक्त पहल साझा संस्कृति मंच एवं जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रेम और भाईचारे...
वरुणा कॉरिडोर बनवाकर सपा सुप्रीमो अखिलेश ने साल 2016 में खूब सुर्खियां बटोरी थी। उस समय इस नदी को बचाने के लिए मुहिम चला रहे जनसरोकारीय संगठनों और स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी कि नदी साफ हो जाएगी। सत्ता बदली तो जैसे इस नदी के नसीब ही फूट गए। इसका भाग्य संवारने के लिए कोई दूसरा भगीरथ नहीं आया। अब जनवादी संगठन पदयात्रा निकाल रहे हैं और इस नदी के पुनरुद्धार के लिए मुहिम चला रहे हैं।
नदियों में पानी बहुत कम रह गया है और जो है वह बहुत ही दूषित है। यह बड़ी नदियों के लिए भी नुकसानदेह है। यह स्थिति पेड़, पहाड़ और जंगल के लिए भी खतरनाक है। अभी हाल ही में येल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ एंड पॉलिसी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इनफार्मेशन नेटवर्क द्वारा प्रकाशित 2022 पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) में भारत 180 देशों में सबसे निचले पायदान पर रहा, जो कि चिंताजनक है। इस सूचकांक में डेनमार्क प्रथम, ब्रिटिश द्वितीय और फिनलैंड तृतीय स्थान पर रहा। भारत की यह स्थिति पर्यावरण के संकट पर सोचने और उसे बचाने के लिए ध्यान आकर्षित करता है।