पश्चिम बंगाल में 31 अगस्त से 3 सितम्बर तक चार दिवसीय चलने वाले उर्दू अकादमी के कार्यक्रम को मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों के दबाव में रद्द करने के बाद अब वाराणसी स्थित आईआईटी-बीएचयू में प्रसिद्ध वैज्ञानिक, कवि और विचारक गौहर रज़ा के व्याख्यान का 23 सितंबर को निर्धारित ऑनलाइन कार्यक्रम भी हिन्दू कट्टरपंथी संगठनों के दबाव में रद्द कर दिया गया। यह न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन है बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक चरित्र पर भी सीधा हमला है।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का मानना है कि देश की नामचीन शैक्षणिक संस्थाओं में विचार-विमर्श, कविता, साहित्य और संस्कृति के कार्यक्रमों पर कट्टरपंथी ताकतों के दबाव में रोक लगाना भारतीय लोकतंत्र और शिक्षा व्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) की स्पष्ट राय है कि शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों को किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक या राजनीतिक दबाव से मुक्त रहना चाहिए। देश में असहमति की आवाज और प्रगतिशील विचारों को कुचलने की बढ़ती प्रवृत्ति और लगातार कोशिशें फासीवादी मानसिकता का परिचायक है। कला, साहित्य और संस्कृति के मंच सभी नागरिकों के साझा लोकतांत्रिक अधिकार हैं, जिन्हें किसी भी हालत में कट्टरपंथ के हाथों गिरवी नहीं रखा जा सकता।
हमारी पार्टी सरकार और शैक्षणिक संस्थाओं से अपील करती है कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करें तथा सभी नागरिकों को समान रूप से अपने विचार रखने और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर दें। हम महसूस करते हैं कि इन मूल्यों में विश्वास रखने वाले लोगों और समूहों को अब एकजुट होकर इन विभाजनकारी तत्वों के विरोध में खड़ा होने की ज़रूरत है। |(प्रेस विज्ञप्ति)