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स्वास्थ्य सेवाओं पर निगरानी हेतु स्वास्थ्य अधिकार आयोग का गठन हो:  राजकुमार गुप्ता

मुंशी प्रेमचन्द की जयंती 31 जुलाई को लमही से प्रारंभ होकर हिरोशिमा दिवस 6 अगस्त को सारनाथ में सम्पन्न हुयी जन अधिकार चेतना यात्रा के आयोजक एक देश समान शिक्षा अभियान और आशा ट्रस्ट द्वारा संयुक्त रूप से वृहस्पतिवार को वाराणसी के पराड़कर स्मृति भवन में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया, इसमें यात्रा के […]

मुंशी प्रेमचन्द की जयंती 31 जुलाई को लमही से प्रारंभ होकर हिरोशिमा दिवस 6 अगस्त को सारनाथ में सम्पन्न हुयी जन अधिकार चेतना यात्रा के आयोजक एक देश समान शिक्षा अभियान और आशा ट्रस्ट द्वारा संयुक्त रूप से वृहस्पतिवार को वाराणसी के पराड़कर स्मृति भवन में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया, इसमें यात्रा के उद्देश्यों, अनुभव और आगे के कार्यक्रमो के बारे में जानकारी साझा की गयी।

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए यात्रा के संयोजक दीन दयाल सिंह ने कहा कि हम आजादी के पचहत्तर वें वर्ष में प्रवेश करने वाले हैं, हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, पूर्वजों और हजारों शहीदों ने जिस आजाद भारत और स्वशासन की कल्पना की थी उसमे सभी भारतवासियों के लिए न्याय, समानता, बंधुत्व और व्यक्ति की स्वतंत्रता पर आधारित वैज्ञानिक सोच वाले एक समृद्ध, सुखी और स्वावलंबी समाज की परिकल्पना थी। लम्बे संघर्ष के फलस्वरूप मिली आजादी के बाद हासिल हुए लोकतंत्र में आम जन के वोट से लगातार सरकारें बनती रही और 5 साल तक चलती भी रही। चुने जाने के बाद आमजन की मूलभूत आवश्यकताओं और समस्याओं के प्रति हमारे जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही कितनी होती है इस पर कुछ कहने की जरूरत नही है। सभी के लिए उच्चस्तरीय शिक्षा, सुलभ स्वास्थ्य सेवा, सम्मानजनक रोजगार (आजीविका) के अवसर और खेती किसानी के परेशानियों का मौलिक सवाल प्रायः अनुत्तरित रह जाता है। ऐसे में आम व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं परिवारजनों को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवा दिला पाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है, युवा वर्ग चाहे वह गांव का हो या शहर का आज रोजगार और आजीविका के अवसर खोजने के लिए भटकने को मजबूर है। सार्वजनिक क्षेत्र में आउट सोर्सिंग,  संविदा प्रणाली और सेवा प्रदाता कम्पनियों द्वारा ठेकेदारी पर काम लेने के बढ़ते चलन से पढ़े लिखे युवकों का शोषण दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। खेती किसानी और स्वरोजगार में भी जोखिम दिनों दिन बढ़ रहा है ऐसे में जन अधिकार चेतना यात्रा के आयोजन माध्यम से हम सभी के लिए बेहतर शिक्षा, उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सेवा, सम्मानजनक रोजगार के अधिकार और खेती किसानी से जुड़े मुद्दे को आमजन की आवाज बनाना चाहते थे जिससे ये सवाल तमाम राजनैतिक पार्टियों और चुनाव में आने वाले प्रत्याशियों तक पहुंचे और वे इसके प्रति संवेदनशील बन सकें सदन में जाने पर उनकी कोई जवाबदेही सुनिश्चित हो। 7 दिवसीय यात्रा के दौरान पूर्वांचल के 10 जिलों में लगभग 850 किलोमीटर के मार्ग में परचा वितरण, पोस्टर प्रदर्शनी, जन संवाद,  हस्ताक्षर अभियान आदि के माध्यम से समर्थन जुटाया गया। यात्रा दल में 4 महिलाओं सहित 12 लोग शामिल रहे।

[bs-quote quote=”किसानों की सम्पूर्ण फसल की शासकीय खरीद की गारंटी हो, भोजन के अधिकार एक्ट में इसे जोड़ कर कानूनी बाध्यता बनाई जाय। फसल बीमा योजना समाप्त कर दी जाय, इसके बजाय प्रत्येक खेत की प्राकृतिक आपदा से हुई हानि की 100 प्रतिशत भरपाई हो। सूखा, ओला, पाला, कीट, बाढ़ जैसे सभी कारण शामिल किये जाय” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

सामाजिक कार्यकर्त्री श्रद्धा पटेल ने बताया कि मुंशीजी की जन्मस्थली लमही से प्रारम्भ होकर यात्रा मार्कंडेय धाम कैथी, अमर शहीद पं। राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ की समाधि बरहज देवरिया, बुद्ध निर्वाण स्थल कुशीनगर,  मुंशी जी के दूसरे घर गोरखपुर, कैफ़ी आजमी की जन्मस्थली आजमगढ़, शिराजे हिन्द जौनपुर होते हुए भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष सारनाथ में सम्पन्न हुयी। इस दौरान प्रायः सभी प्रमुख दर्शनीय स्थलों पर रुक कर लोगों से संवाद स्थापित किया गया।

शिक्षा का अधिकार अभियान के संयोजक अजय पटेल ने कहा कि देश का शिक्षा का बजट बढाया जाय । शिक्षा की गुणवत्ता के दृष्टिगत माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के आदेश दिनांक 18 अगस्त 2015 का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए और इसे देश के स्तर तक लागू किया जाए। इस आदेश में कहा गया है कि राजकीय कोष से वेतन प्राप्त करने वाले सभी नौकरशाहों, सरकारी कर्मचारियों, जन प्रतिनिधियों आदि के लिए उनके बच्चों को सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़वाना अनिवार्य हो। ऐसा होने से सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा।  सभी के लिए गुणवत्ता पूर्ण समान शिक्षा की नीति पूरे देश में व्यावहारिक रूप से लागू की जाए। कोठारी आयोग की रिपोर्ट को पूरे देश में लागू किया जाए। शिक्षा का  पूरी तरह सरकारीकरण किया जाये सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर केन्द्रीय विद्यालयों के समकक्ष होना सुनिश्चित कराया जाय। केजीसेपीजी तक उच्च स्तरीय शिक्षा मुफ्त एवं मातृभाषा में उपलब्ध हो।

[bs-quote quote=”शिक्षित युवा रोजगार गारंटी कानून बनाया जाय। प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार सम्मानजनक रोजगार/ आजीविका के अवसर की उपलब्धता सुनिश्चित की जाय।  देश में सभी रिक्त पदों को तत्काल भरा जाय।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने कहा कि देश में स्वास्थ्य का अधिकार कानून बने जिसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को निकटतम दूरी और न्यूनतम खर्च पर उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता का अधिकार हो। एक स्वतंत्र स्वास्थ्य अधिकार आयोग का गठन हो जो देश में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता पर निगरानी रखे।  स्वास्थ्य सेवाओं का पूरी तरह सरकारीकरण हो और देश में स्वास्थ्य का बजट मौजूदा बजट से तीन गुना किया जाय। आयुष्मान योजना में बीमा योजना के अंतर्गत निजी अस्पतालों में चिकित्सा बंद करके सरकारी अस्पतालों में ही इलाज हो तथा उसको और सुविधायुक्त किया जाए। पंचायत स्तर पर अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य केंद्र बनाएं जाएँ और इनमे उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ साथ पैथोलॉजी जांच की भी सुविधा उपलब्ध हो। पंचायत स्तर पर ग्रामीण एम्बुलेंस सेवा की उपलब्धता हो।

खदान मजदूर यूनियन के संयोजक महेंद्र राठौर ने कहा कि शिक्षित युवा रोजगार गारंटी कानून बनाया जाय। प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार सम्मानजनक रोजगार/ आजीविका के अवसर की उपलब्धता सुनिश्चित की जाय।  देश में सभी रिक्त पदों को तत्काल भरा जाय। रिक्त पदों की भर्ती के लिए अभ्यर्थी की आवेदन प्रक्रिया पूर्णतः निःशुल्क हो, साक्षात्कार के लिए बुलाये जाने पर यात्रा व्यय और रहने खाने का प्रबंध किया जाए।सार्वजनिक क्षेत्र में संविदा नियुक्ति, आउटसोर्सिंग और सेवा प्रदाता कंपनियों की व्यवस्था बंद कर सभी पदों पर रेगुलर नियुक्ति की जाए। बैकलाग के सभी पदों पर नियुक्ति तत्काल की जाय। निजी क्षेत्र में कर्मचारियों के शोषण पर प्रभावी नियंत्रण की व्यवस्था हो। बुनकर, हस्तकला जरदोजी, कारीगर, काष्ठ उद्योग सहित सभी कुटीर उद्योग में लगे परिवारों को सामाजिक सुरक्षा दी जाए। उनके व्यवसाय में उत्पादन की लागत एवं विक्रय की व्यवस्था में सरकार विशेष संरक्षण प्रदान करे। हस्तकला उत्पादों एवं खादी को जीएसटी से मुक्त रखा जाय। निराश्रित, विधवा, दिव्यांग, वृद्धा आदि सभी प्रकार की सामाजिक पेंशन कम से कम तीन हजार रुपया प्रति माह हो एवं प्रतिमाह 15 किग्रा। अनाज और साथ में दाल, तेल और नमक दिया जाय। इनकी समस्त चिकित्सा पूरी तरह निःशुल्क हो।

मनरेगा मजदूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठौर ने कहा कि किसानों की सम्पूर्ण फसल की शासकीय खरीद की गारंटी हो, भोजन के अधिकार एक्ट में इसे जोड़ कर कानूनी बाध्यता बनाई जाय। फसल बीमा योजना समाप्त कर दी जाय, इसके बजाय प्रत्येक खेत की प्राकृतिक आपदा से हुई हानि की 100 प्रतिशत भरपाई हो। सूखा, ओला, पाला, कीट, बाढ़ जैसे सभी कारण शामिल किये जाय। ग्रामीणों बाजारों के संरक्षण के लिए पथ विक्रेता (जीविका सुरक्षा एवं पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम, 2014 की भाँति कानून बने जिसके अंतर्गत ग्रामीण हाट एवं बाजारों को विकसित और संरक्षित किया जाए, इससे दूध, फल, फूल, सब्जी सहित सभी कृषि उत्पादों को भी स्थानीय बाजार मिलेगा। छुट्टा पशुओं से अपने खेत की सुरक्षा के लिए किसानो को बाड़ लगाने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाय।

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया कि इस क्रम में हमारा जागरूकता अभियान आगे जारी रहेगा, अगले चरण में प्रयागराज, बांदा, चित्रकूट इलाके में जनसंपर्क किया जाएगा साथ ही सभी राजनैतिक दलों को पत्रक भेज कर उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, खेती किसानी आदि मुद्दों पर जनभावना का सम्मान करते हुए अपनी नीति को घोषणापत्र में शामिल करने का अनुरोध किया जाएगा। 15 अगस्त से प्रारंभ हो रहे आजादी के पचहत्तर वें वर्ष में सघन जन अधिकार संवाद कार्यक्रम का संचालन किया जाएगा। पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदीप कुमार सिंह, हर्ष वर्धन पुण्डीर, जीवन राठौर आदि भी उपस्थित रहे।

गाँव के लोग
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