Friday, October 25, 2024
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स्वास्थ्य

क्या धरती से पुरुषों की प्रजाति गायब होने वाली है?

हम सभी जानते हैं कि गर्भ में पलने वाले बच्चे का लिंग निश्चित करने में यानी कि वह बेटा होगा या बेटी, यह एक्स और वाई क्रोमोसोम में रहने वाले जींस पर निर्भर करता है। पुरुषों में वाई क्रोमोसोम धीरे-धीरे घट रहा है। स्पष्ट रूप से कहें तो पुरुष के वीर्य से वाई क्रोमोसोम गायब हो रहा है। जिस समय यह गुणसूत्र शुक्राणु से पूरी तरह गायब हो जाएगा तो उसके बाद दुनिया की कोई भी स्त्री पुत्र को जन्म नहीं दे सकेगी। डिलीवरी मात्र बेटियों की होगी।

मिर्ज़ापुर में टी बी का इलाज : दवाओं से ज्यादा पाखंड का डोज़

सरकार टीबी मुक्त भारत अभियान चला रही है ताकि 2025 तक देश से इसका समूल नाश हो सके। इसके लिए तरह-तरह के कार्यक्रम और योजनाएं लाई जा रही हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के मिर्जापुर जिले में टीबी के मरीजों की संख्या देखते हुए नहीं लगता कि 2025 तक इसका अंत हो पाएगा। मिर्जापुर जिले में पाँच साल में 636 टीबी मरीजों की मौत हो चुकी है। गाँव के लोग की ओर से पत्रकार संतोष देव गिरि ने इस पूरे मामले की छानबीन की और यह पाया कि जिले में टीबी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ी है जबकि उनका इलाज समुचित रूप से नहीं हो रहा है। कहीं दवा का अभाव है तो कहीं भ्रष्टाचार और अराजकता का बोलबाला है। निःशुल्क सरकारी इलाज उपलब्ध होने के बावजूद डॉक्टर बाहर की दवाएँ लिखते हैं। उनका ज़ोर इस बात पर होता है कि मरीज़ उनकी बताई दुकानों से ही दवा खरीदे।

मिर्ज़ापुर : कहने को मंडल पर स्वास्थ्य का चरमराता ढाँचा ढोने को विवश

किसी मंडलीय अस्पताल उर्फ मेडिकल कॉलेज के पर्ची काउंटर पर साँड़ आराम फरमा रहा हो और अस्पताल के ठीक पीछे मेडिकल वेस्ट का डम्पिंग ग्राउंड हो तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि यह अस्पताल शहर और जिले का स्वास्थ्य कितने बेहतरीन ढंग से दुरुस्त रखता होगा। इसके लिए कहीं दूर जाने की आवश्यकता भी नहीं है। बस विंध्याचल मंडल के मुख्यालय मिर्ज़ापुर आइये और यह नज़ारा देख लीजिये।

पूर्वांचल का स्वास्थ्य : पाँच करोड़ की आबादी का स्वास्थ्य रामभरोसे

सरकार जनता के स्वास्थ्य से खेल करने में तनिक भी पीछे नहीं रहती है। आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है लेकिन स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के मामले में अभी भी अन्य राज्यों की तुलना में पीछे है। उस पर पूर्वाञ्चल और भी पिछड़ा है, जहां एम्स के नाम पर गोरखपुर है और बनारस का सर सुंदरलाल हॉस्पिटल कहने को तो बहुत बड़ा हॉस्पिटल है लेकिन इसका स्टेटस एक रेफरल अस्पताल से अधिक नहीं। ऐसे में लोगों को प्राइवेट हॉस्पिटल की तरफ रुख करना मजबूरी हो जाती है। उत्तर प्रदेश में 19962 मरीजों पर एक डॉक्टर है।

वाराणसी : डॉ ओमशंकर के आमरण अनशन के कारण विभागाध्यक्ष पद से हटाया गया

सर सुंदरलाल अस्पताल के हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष को प्रशासन ने उनके पद से हटा दिया। जबकि उनके कार्यकाल का 2 माह शेष रह गया था। डॉ ओमशंकर अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ के के गुप्ता द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के कारण उन्हें पद से हटाने और हृदय रोग विभाग में बिस्तरों के संख्या (जो उपलब्ध है) मरीजों के लिए खोलने के लिए आमरण अनशन कर रहे हैं।

अमेरिकी दवा नियामक ने बंद नाक खोलने वाली दवा को पाया बेअसर

लंदन (द कन्वरसेशन)।  अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के एक सलाहकार पैनल ने पाया है कि बंद नाक खोलने के लिए अधिकांश सर्दी और...

लांसेट के अध्ययन में दावा, 2050 तक सालाना एक करोड़ लोगों की मौत की वजह बन जाएगा आघात

नयी दिल्ली (भाषा)। अगर प्रभावी कदम नहीं उठाए जाते हैं तो दुनियाभर में वर्ष 2050 तक आघात यानी स्ट्रोक से मरने वाले लोगों की संख्या...

किशोरावस्था में ज्यादा जरुरी है मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 04 अक्टूबर से मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह मनाने की शुरुआत की है, जो 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य...

अव्यवस्थित दिनचर्या के कारण युवाओं में भी बढ़ रही हैं हृदय सम्बंधी बीमारियाँ

नई-नई तकनीकों ने केवल इंसान की ज़िंदगी को ही नहीं बदला है बल्कि उसके रहन-सहन और खानपान के तौर तरीकों को भी पूरी तरह...

‘स्वच्छता अभियान’ के बावजूद देश की बड़ी आबादी खुले में शौच के लिए मजबूर है

देश के 53.1 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं था, जिसकी वजह से महिलाओं और लड़कियों को सबसे ज्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। खुले में शौच जाने से महिलाओं और लड़कियों को न केवल मानसिक प्रताड़ना से गुज़ारना पड़ता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

गाजीपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई बढ़ रहे हैं डेंगू के मरीज

निजी अस्पतालों में जाने का मतलब है लुट-पिटकर बाहर निकलना। ज़्यादातर निजी अस्पतालों में मामला और बिगड़ जाता है तो वे मरीज को बनारस या लखनऊ रिफर करते हैं। आमतौर पर ऐसे अस्पताल बनारस के निजी अस्पतालों से कमीशन पाते हैं इसलिए उनका ज़ोर उन्हीं अस्पतालों पर होता है जिनसे उनकी साँठ-गाँठ होती है