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सोनभद्र : अनपरा तापीय परियोजना के विस्थापितों के प्रकरण में राज्य सरकार की हीलाहवाली पर हाईकार्ट की सख्ती

हाईकोर्ट ने प्रबन्ध निदेशक(उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड) समेत डीएम-सोनभद्र व सीजीएम(अनपरा तापीय परियोजना) को व्यक्तिगत हाजिर होने का दिया आदेश। जनपद- सोनभद्र मे अनपरा तापीय परियोजना के निर्माण हेतु साढे चार दशक पूर्व किये गये भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों के लम्बित पुर्नवास-पुर्नस्थापन लाभ के माननीय सर्वोच्च न्यायालय मे दाखिल जनहित याचिका […]

हाईकोर्ट ने प्रबन्ध निदेशक(उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड) समेत डीएम-सोनभद्र व सीजीएम(अनपरा तापीय परियोजना) को व्यक्तिगत हाजिर होने का दिया आदेश।

जनपद- सोनभद्र मे अनपरा तापीय परियोजना के निर्माण हेतु साढे चार दशक पूर्व किये गये भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों के लम्बित पुर्नवास-पुर्नस्थापन लाभ के माननीय सर्वोच्च न्यायालय मे दाखिल जनहित याचिका में पारित आदेश दिनांक 2 मार्च, 2012 के आदेश के बावजूद भी ग्राम बेलवादह, कुलडोमरी, पिपरी, औडी, परासी, ककरी, अनपरा के हजारों प्रभावित परिवारों को पुर्नवास पुर्नस्थापन लाभ नहीं दिये जाने तथा ग्राम बेलवादह व पिपरी के विस्थापित हजारों दलित-आदिवासी परिवारों के मकानों व भूमि के अधिग्रहण के पश्चात भी पुर्नवास प्लाट एवं पुर्नवास-पुर्नस्थापन लाभ न दिये जाने के बाबत् सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 29.07.2016 के आदेश के क्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2017 से कई प्रकरणों की सुनवाई की जा रही थी।

इन याचिकाओं में मुख्यतः सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पश्चात भी राज्य सरकार द्वारा तत्समय प्रभावी राष्ट्रीय पुर्नवास पुर्नस्थापन नीति-2003 व उत्तर प्रदेश सरकार की नई भूमि अधिग्रहण नीति 02 जून, 2011 के अनुसार सभी परियोजना प्रभावित परिवारों को पुर्नवास पुर्नस्थापन लाभ प्रस्ताव में नही सम्मिलित कर मात्र साढे चार दशक पूर्व भूमि अधिग्रहण में प्रभावित मूल किसान जिनकी 50 प्रतिशत से अधिक भूमि अधिग्रहित की गयी थी को भी मात्र आंशिक पुर्नवास लाभ दिये जाने, मनमाने तरीके से प्रभावित परिवारों की श्रेणी में आने वाले परिवारों को पुर्नवास लाभ प्रस्ताव में सम्मिलित नहीं किये जाने के अलावा बेलवादह राख बांध के निर्माण से प्रभावित बेलवादह व पिपरी के हजारों दलित आदिवासी परिवारों जिनकी भूमि एवं मकानों का अधिग्रहण किया गया था को अधिग्रहण के चार दशक पश्चात भी पुर्नवास प्लाट नही दिये जाने व पुर्नवास लाभ प्रस्ताव में सम्मिलित नही किये जाने के बाबत् दाखिल दर्जनों प्रकरणों पर अधिवक्ता अभिषेक चौबे की ओर से रखे गये दलीलों पर हाईकोर्ट इलाहाबाद ने दिनांक 23 नवम्बर, 2023 को सुनवाई के दरम्यान साढ़े चार दशक से हजारों दलित-आदिवासी परिवारों के लम्बित पुर्नवास पुर्नस्थापन लाभ पर  सख्ती बरतते हुये राज्य सरकार व उत्पादन निगम के हीलाहवाली व टालमटोल पर गहरी नाराजगी जताते हुये पारित आदेश मे कहा कि दिनांक 07 जुलाई, 2023 को हाईकोर्ट द्वारा सारे प्रकरणों पर राज्य सरकार व उत्पादन निगम को अपना जवाब दाखिल किये जाने का अन्तिम अवसर देते हुये चेताया था कि जवाब नहीं दाखिल किये जाने की स्थिति में सम्बन्धित पक्षकारों को सम्मन जारी किया जायेगा, हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी राज्य सरकार व उत्पादन निगम ने अपना जवाब आज तक दाखिल नहीं  किया है व प्रबन्ध निदेशक (उत्पादन निगम व यूपीपीसीएल), जिलाधिकारी-सोनभद्र सहित सीजीएम(अनपरा तापीय परियोजना) को अगली सुनवाई की तिथि दिनांक 11 दिसम्बर, 2023 को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होकर जवाब दाखिल करने तथा 2017 से अभी तक जवाब दाखिल नहीं किये जाने पर हलफनामा देकर स्पष्टीकरण दिये जाने का आदेश पारित किया है।

सोनभद्र-सिंगरौली में विस्थापितों के प्रकरण पर लम्बे समय से संघर्षरत व अनपरा तापीय परियोजना के विस्थापितों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता रहे पंकज मिश्रा ने कहा कि उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद अनपरा तापीय परियोजना हेतु किये गये अधिग्रहण के साढे चार दशक बाद अनपरा हजारों परियोजना प्रभावित परिवारों के लम्बित पुर्नवास प्लाट, पुर्नवास पुर्नस्थापन लाभ के प्रकरण पर शीघ्र न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। बताते चले की करैला-शक्तिनगर रेललाईन दोहरीकरण परियोजना से प्रभावित औडी व अनपरा के किसानों  सहित अनपरा तापीय परियोजना के प्रभावित किसानों के मामलों में सक्रियता पर राज्य सरकार व जिला प्रशासन पंकज मिश्रा के विरुध्द जिला बदर हेतु गुण्डा एक्ट की कार्यवाही सहित भूमि की जब्ती की कार्यवाही भी की जा चुकी है, जहां एक ओर करैला-शक्तिनगर रेललाईन दोहरीकरण परियोजना से प्रभावित औडी व अनपरा के किसानों के मामले में राज्य सरकार सहित केन्द्र सरकार की लाख कोशिशों व दबाव की कार्यवाही के बावजूद भी सुलझ नहीं हो पाया है वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर अनपरा तापीय परियोजना के विस्थापितों का प्रकरण राज्य सरकार समेत जिला प्रशासन के लिये चुनौती बना है।

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