उइके ने रास्ते में महिलाओं को देखा तो वह अपनी गाड़ी से उतरीं और उन्हें बताया कि वह राहत शिविरों में लोगों की स्थिति देखने आई थीं।
राज्यपाल ने कहा कि वह देखना चाहती थीं कि पिछले चार महीने से राहत शिविरों में रहने वाले लोगों के लिए पर्याप्त चिकित्सा आपूर्ति हो पा रही है या नहीं।
एक अधिकारी के अनुसार, राज्यपाल ने महिलाओं से कहा कि उन्होंने अनेक मंचों पर कुकी जो समुदाय के लोगों के मुद्दे को उठाया है, जिसके बाद उन्हें जाने दिया गया।
चूराचांदपुर के उपायुक्त धरुन कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि राहत शिविरों की ओर जा रहीं राज्यपाल को रास्ते में रोकना सही बात नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई आपके इलाके में आता है तो आपकी जिम्मेदारी है कि उनका स्वागत करें। राज्यपाल जनता के लिए कुछ अच्छा करना चाहती हैं और उनके साथ हुआ व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है।’’