Friday, July 5, 2024
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महाराष्ट्र में गरमाया मराठा आरक्षण का मामला, अनशन पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल

मुंबई (भाषा)। मराठा आरक्षण लागू करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को दिए गए 40 दिनी अल्टीमेटम की सीमा समाप्त हो जाने के बाद मराठा क्रांति मोर्चा के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आज अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया। मराठा आरक्षण की मांग को राज्य में पुन: सुर्खियों […]

मुंबई (भाषा)। मराठा आरक्षण लागू करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को दिए गए 40 दिनी अल्टीमेटम की सीमा समाप्त हो जाने के बाद मराठा क्रांति मोर्चा के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आज अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया। मराठा आरक्षण की मांग को राज्य में पुन: सुर्खियों में लाए जरांगे ने जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराटी में अपना आंदोलन शुरू किया। इससे पहले अपने एक भाषण में शिंदे ने लोगों से पूछा था कि ‘बताइए, जब देवेन्द्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे तो हमने आरक्षण देने का काम किया था। एकनाथ शिंदे ने कहा था कि अगर यह हाईकोर्ट में बच गया तो सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं टिक पाया, इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इस पर मैं सही समय पर बात करूंगा।’

अनशन पर बैठने से पहले जरांगे ने संवाददाताओं से कहा कि मराठा आरक्षण पर फैसले को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुझसे 40 दिन इंतजार करने को कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जिससे समस्या का समाधान हो सके, इसलिए मैंने अपने गांव में आमरण अनशन करने का फैसला किया है।

जरांगे ने इस साल सितंबर में भी गांव में भूख हड़ताल कर मांग की थी कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए। उन्होंने 14 सितंबर को भूख हड़ताल समाप्त करते हुए सरकार को आरक्षण लागू करने के लिए 24 अक्टूबर तक 40 दिन का समय दिया था।

उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया गया था कि राज्य भर में मराठा समुदाय के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए पुलिस मामले दो दिन के भीतर वापस ले लिए जाएंगे। यह आश्वासन दिए हुए 41 दिन बीत चुके हैं, लेकिन एक भी मामला वापस नहीं लिया गया है। इसका मतलब है कि सरकार मराठा समुदाय को जान-बूझकर गुमराह कर रही है।’

जरांगे ने कहा, ‘माली समुदाय को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के रूप में मान्यता दी गई है, क्योंकि इसका प्राथमिक कार्य कृषि माना जाता है। यही बात विदर्भ के मराठा समुदाय पर भी लागू होती है, जिन्हें उनकी कृषि गतिविधियों के कारण कुनबी के रूप में पहचाना जाता था और अब वे आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। तो यदि ऐसा हो सकता है तो हम कुनबी प्रमाणपत्र के लिए पात्र क्यों नहीं हैं, जबकि हमारा प्राथमिक व्यवसाय खेती है?’

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे ने मंगलवार को दशहरे पर एक रैली के दौरान कहा था, ‘किसी से अन्याय किए बिना और (किसी का आरक्षण) वापस लिए बिना, यह सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करेगी जो स्थायी होगा।’

शिंदे अपने भाषण के बीच में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने झुके और उन्होंने मराठा समुदाय को आरक्षण देने का संकल्प लिया। शिंदे ने कहा कि चूंकि वह स्वयं एक साधारण मराठा परिवार से हैं, इसलिए वह उनका दुख एवं दर्द समझते हैं। कहा कि जस्टिस शिंदे की कमेटी काफी काम कर रही है। समाज के सभी सदस्य हमारे हैं। शिंदे ने यह बयान तब दिया है जब मराठा क्रांति मोर्चा के नेता मनोज जरांगे पाटिल फिर से आक्रामक हैं। उन्होंने सरकार को मराठा आरक्षण पर फैसला करने के लिए 40 दिन का समय दिया था। वह समय सीमा दशहरे के दिन पर पूरी हो गई। सीएम शिंदे ने कहा था कि मैं आपसे अनुरोध करता हूं, आत्मघाती कदम न उठाएं। आत्महत्या न करें। अपने परिवार को संकट में न छोड़ें। अपने बच्चों के बारे में सोचें। यह सरकार आपकी है।

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