टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक विजेता रहीं भारतीय भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने सोमवार को थाईलैंड में आयोजित इंटर नेशनल वेटलिफ्टिंग फेडरेशन विश्व कप में महिलाओं के 49 किग्रा भार वर्ग के ग्रुप बी में तीसरे स्थान पर रहकर पेरिस ओलंपिक में अपनी जगह लगभग सुनिश्चित कर ली है।
चोटिल होने के कारण छह महीने बाद वापसी करने वाली मीराबाई ने कुल 184 किग्रा (81 किग्रा और 103 किग्रा) भार उठाया। यह पेरिस ओलंपिक के लिए अंतिम और अनिवार्य क्वालीफायर टूर्नामेंट है।
मीराबाई ने कहा, ‘‘चोट के बाद वापसी करना अविश्वसनीय लगता है। आज मैंने जो भी लिफ्ट की वह लगभग साफ, स्पष्ट और शक्तिशाली लगी और मैं इस प्रतियोगिता से मजबूत होकर और आत्मविश्वास के साथ जा रही हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘रिहैबिलिटेशन कठिन था लेकिन इस प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों के समर्थन से मैं हर तरह की जटिलताओं से उबर गई।’’
अपनी स्पर्धा पूरी होने के साथ ही मीराबाई ने पेरिस ओलंपिक के लिए तय मानदंड पूरे कर लिए हैं जिनमें दो अनिवार्य टूर्नामेंट और तीन अन्य क्वालीफायर में भाग लेना शामिल है।
भारत की 2017 विश्व चैंपियन मीराबाई वर्तमान में महिलाओं की 49 किग्रा ओलंपिक क्वालिफिकेशन रैंकिंग (ओक्यूआर) में चीन की जियान हुईहुआ के बाद दूसरे स्थान पर है।
क्वालीफाई करने वाले खिलाड़ियों की आधिकारिक घोषणा विश्व कप के समापन के बाद होगी जब ओक्यूआर अपडेट किया जाएगा। प्रत्येक भार वर्ग से शीर्ष 10 भारोत्तोलक पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करेंगे।
मीराबाई ने कहा, ‘‘लक्ष्य पेरिस ओलंपिक में अपना स्थान सुरक्षित करना था और अब जब मैं पेरिस ओलंपिक में लगभग जगह बना चुकी हूं तो मेरा सारा ध्यान पेरिस ओलंपिक में अपनी छाप छोड़ने पर है।’’
मीराबाई ने इससे पहले आखिरी बार पिछले साल सितंबर में एशियाई खेलों में भाग लिया था जहां वह चोटिल हो गई थी। वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाई लेकिन उन्होंने पांच बार वजन उठाने में कोई गलती नहीं की।
स्नैच और क्लीन एवं जर्क में वह अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के करीब भी नहीं पहुंच पाई। इस 29 वर्षीय खिलाड़ी का स्नैच में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 88 किग्रा है, जबकि उन्होंने 2021 में एशियाई चैंपियनशिप में क्लीन एंड जर्क में 119 किग्रा का तत्कालीन विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
लेकिन अभी वह चोट से उभरी है और जुलाई तक उनके अपने चरम पर पहुंचने की संभावना है। मीराबाई पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाली अकेली भारतीय भारोत्तोलक होंगी। यह तीसरा अवसर होगा जबकि वह ओलंपिक में हिस्सा लेंगी।