नयी दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत मजदूरी भुगतान का भुगतान अब आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के माध्यम से ही किया जाएगा। सरकार ने बताया कि आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के जरिये से ही मजदूरी का भुगतान किया जाएगा। आधार के माध्यम से भुगतान करने को अनिवार्य करने की तय सीमा 31 दिसम्बर तक थी। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि यदि कुछ ग्राम पंचायतों के सामने एबीपीएस के माध्यम से भुगतान करने में कोई ‘तकनीकी समस्याएं’ आती हैं तो सरकार उन्हें छूट देने पर विचार कर सकती है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत सरकार ने अकुशल श्रमिकों को मजदूरी भुगतान एबीपीएस के जरिए करने का फैसला किया है ताकि लाभार्थियों के बैंक खातों में भुगतान हो होगा। लेकिन, यदि किसी ग्राम पंचायत के सामने तकनीकी समस्या है या आधार से संबंधित कोई दिक्कत है तो सरकार उसके समाधान तक मामले-दर-मामले के आधार पर उसे एबीपीएस से छूट देने पर विचार कर सकती है।’
यह कदम तब उठाया गया है जब कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर सबसे कमजोर तबके को उनके सामाजिक कल्याण लाभ से वंचित करने के लिए ‘प्रौद्योगिकी खासकर आधार को हथियार’ के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि कार्यस्थल पर कार्यरत लाभार्थियों की समय पर उपस्थिति ‘नेशनल मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम’ ऐप के माध्यम से दर्ज की जा रही है तथा लाभार्थी और नागरिक श्रमिकों की असलियत की जांच कर सकते हैं।
मजदूरी के भुगतान के लिए मजदूर के आधार नंबर को उनके जॉब कार्ड से जोड़ा जाता है और आधार को श्रमिक के बैंक खाते से जोड़ा जाना चाहिए।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा है कि मनरेगा के तहत लगभग 14.32 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं जिनमें अबतक 14.08 करोड़ श्रमिकों के आधार जोड़े जा चुके हैं। उनमें 13.76 करोड़ श्रमिकों के आधार का सत्यापन हो गया है, यानी 87.52 प्रतिशत श्रमिकों को आधार-आधारित भुगतान प्रणाली से जोड़ दिया गया है और और अभी भी 12.5 प्रतिशत मजदूर आधार आधारित भुगतान प्रणाली से जुड़ नहीं पाए हैं।
मंत्रालय ने कहा कि कुल 34.8 प्रतिशत पंजीकृत श्रमिक और 12.7 प्रतिशत सक्रिय श्रमिक के अब भी एबीपीएस के लिए अपात्र होने के दावे की कोई प्रासंगिकता नहीं है क्योंकि एबीपीस उसी स्थिति में मान्य है जब पंजीकृत लाभार्थी दिहाड़ी रोजगार में तब्दील हो जाता है।
यह आदेश वर्ष 2023 में एक जनवरी से लाया गया था। इसे लागू करने की समय सीमा कई बार बढ़ाई गई। पहले जहाँ 31 मार्च अंतिम तिथि थी , वहीं बाद में तीन बार बढ़ाया गया। पहले 31 मार्च, उसके बाद 30 जून, फिर 31 अगस्त और अंत में 31 दिसम्बर किया गया।
यहाँ यह देखना होगा कि इस तरह के आदेश आने के बाद जब तक उचित रूप से प्रशासन बुनियादी ढांचा तैयार नहीं करती है तब ऐसी स्थिति में बहुत से मजदूर मनरेगा की इस भुगतान प्रणाली से बाहर हो जाएँगे और उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सरकार ने यह भी खंडन किया किजॉब कार्ड आधार लिंकिंग की वजह से हटा दिये गये। ।