मुम्बई। शिवसेना के 1999 के संविधान के अनुसार, उद्धव ठाकरे के पास एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाने की कोई शक्ति नहीं है। उक्त निर्णय महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुनाया है।
नार्वेकर ने कहा कि एकनाथ शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले पर भी सहमति जताई और उसे सही माना।
वहीं आदित्य ठाकरे कहा ‘पहली बात यह है कि हमने देखा कि स्पीकर ने फैसले से पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। फिर यह धारणा देने की कोशिश की गई कि जिसे न्याय देना था वह आरोपी के पास जाता। इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। क्या कभी कोई जज फैसले से पहले आरोपी से मिलता है? आरोपी से मिलकर जज ने अपना फैसला सुना दिया है।’
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पूरा मसला यह है कि असली शिवसेना कौन है? उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट, दोनों ही इसे लेकर दावा करते हैं और पार्टी के संशोधित संविधान को मानते हैं। लेकिन यह संविधान संशोधन चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में ही नहीं है।
बता दें, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे के दल के 16 विधायकों की अयोग्यता वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनाव आयोग के पास 1999 का संविधान है और उसके आधार पर ही फैसला लिया गया है।
इसके मुताबिक, एकनाथ शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। उन्होंने कहा कि खुद चुनाव आयोग भी विधायकों की संख्या और संविधान के आधार पर शिंदे गुट को ही शिवसेना का असली अधिकारी मान चुका है। उन्होंने कहा कि आयोग के फैसले को मैंने अपने निर्णय में ध्यान रखा है।
उन्होंने कहा कि 2018 में संगठन का जो ढाँचा है, उसे ही मान्य रखना होगा। उन्होंने कहा कि उसके बाद शिवसेना में संगठन के चुनाव ही नहीं हुए थे, जो संविधान के अनुसार जरूरी थे।
उल्लेखनीय है कि आज के फैसले से पहले स्पीकर नार्वेकर द्वारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात पर उद्धव गुट ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि फैसला पहले से तय है और वह जानते हैं कि उनके खिलाफ ही फैसला लिया जाएगा।