जो जुबान बादशाह के गीत नहीं गाएगी वह जुबान काट दी जाएगी, जो सर बादशाह की खिदमत में नहीं झुकेगा वह सर कलम किया जाएगा…। यह लाइनें लोककथाओं में लिखी गई हैं। यह लोककथाएँ राजतंत्र के समय का किस्सा सुनाती हैं। नियमतः यह हमारे पुरखों के अतीत की बातें हैं पर दुर्भाग्य से यह अतीत वर्तमान में बदला जा रहा है। आज जो लोग सत्ता के खिलाफ जनपक्षधर पत्रकारिता कर रहे हैं उन्हें सरकार अपने सरकारी तंत्र के माध्यम से कुछ इसी अंदाज में प्रताड़ित करने का काम कर रही है। ताजा घटनाक्रम में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राजधानी दिल्ली और उससे सटे NCR में न्यूज क्लिक (Newsclick) वेबसाइट के पत्रकारों के ठिकानों पर रेड (छापा) डाली है। स्पेशल सेल ने मंगलवार को सुबह एक साथ दिल्ली, नोएडा, गजियाबाद में कई ठिकानों पर रेड की है। बताया जा रहा है कि छापेमारी की कार्रवाई 30 से ज्यादा ठिकानों पर हुई है। पुलिस के अनुसार, न्यूज क्लिक से जुड़े अलग-अलग ठिकानों पर रेड की जा रही हैं। अभी तक इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। इस मामले में आगे की जांच अभी जारी है। इससे पहले, 22 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यूजक्लिक के एडिटर इन चीफ प्रबीर पुरकायस्थ को नोटिस दिया था। यह नोटिस दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंसेस विंग (EOW) की याचिका पर दिया गया था। पुलिस ने याचिका में कोर्ट के अंतरिम आदेश को वापस लेने की अपील की थी, जिसमें न्यूज साइट के खिलाफ सख्त एक्शन लेने पर रोक लगाई गई थी।
भाषा सिंह, उर्मिलेश, प्रबीर पुरकायस्थ, अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती और सोहेल हाशमी के घर छापा मारे जाने की पुष्टि हुई है। पत्रकार भाषा सिंह और अभिसार शर्मा ने ट्वीट के जरिए इस मामले पर जानकारी भी दी है।
भाषा सिंह ने X पर पोस्ट किया है, ‘आख़िरकार इस फ़ोन से आखिरी ट्वीट। दिल्ली पुलिस ने मेरा फोन जब्त कर लिया।’ वहीं अभिसार ने लिखा है कि ‘दिल्ली पुलिस मेरे घर पहुंची। मेरा लैपटॉप और फोन छीन लिया…’
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला भी दर्ज किया है। छापेमारी के दौरान दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इलेक्ट्रॉनिक सबूत, लैपटॉप और मोबाइल फोन भी जब्त किये हैं और कई कंप्यूटर हार्ड डिस्क का डेटा भी अपने साथ ले गई है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस छापेमारी को लेकर कहा है कि हम अपने पत्रकारों के साथ हैं। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, न्यूजक्लिक से जुड़े पत्रकारों और लेखकों के घरों पर की गई छापेमारी को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि हम पत्रकारों के साथ एकजुटता से खड़े हैं और सरकार से मामले पर डिटेल देने की मांग करते हैं। PCI के मुताबिक, वो इस घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है और संस्था की तरफ से जल्द ही विस्तृत बयान जारी किया जाएगा।
न्यूज़क्लिक और सरकार के बीच यह संघर्ष 7 अगस्त, 2023 को सामने आया था। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि न्यूजक्लिक भी प्रचार की एक खतरनाक वैश्विक चाल है। इस प्रेस कान्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री ने न्यूजक्लिक की फंडिंग को लेकर सवाल उठाए थे और कहा था कि चीन के एक ग्लोबल मीडिया संस्थान से इसकी फंडिंग हुई है। उन्होंने कहा कि नेविल रॉय सिंघम ने इसकी फंडिंग की है और नेविल रॉय का सीधा संपर्क कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के एक प्रोपेगैंडा विंग के साथ है। ठाकुर ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि चीनी कंपनियां नेविल रॉय सिंघम के जरिये न्यूजक्लिक को फंड कर रही थीं, लेकिन उनके सेल्समैन भारत के ही कुछ लोग थे, जो कार्रवाई के खिलाफ उनके समर्थन में आ गए थे। उन्होंने चीन के एजेंडे को फैलाने और फर्जी प्रोपेगैंडा के जरिये आम लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है। ठाकुर ने कहा कि ये ‘फ्री न्यूज’ के नाम पर ‘फेक न्यूज’ परोसने वाले हैं।
अनुराग ठाकुर के निशाने पर न्यूजक्लिक, न्यूयार्क टाइम्स में छपी एक ख़बर के बाद आया था। दरअसल, न्यूयार्क टाइम्स में अमेरिकी बिजनेसमैन नेविल रॉय सिंघम के बारे में रिपोर्ट छापी। बताया कि नेविल रॉय किस तरह दुनिया भर की संस्थाओं को फंड करते हैं, जो चीनी सरकार के प्रोपेगैंडा टूल की तरह काम करती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सिंघम खुद शंघाई में रहते हैं और पिछले महीने उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के वर्कशॉप में भी हिस्सा लिया था, जिसमें पार्टी को दुनिया भर में फैलाने की चर्चा हुई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंघम की किसी भी एनजीओ ने विदेशी एजेंट पंजीकरण अधिनियम के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। ये उन समूहों के लिए जरूरी है, जो विदेशी शक्तियों की ओर से जनता की राय को प्रभावित करना चाहते हैं। यह आमतौर पर विदेशी सरकारों से धन या ऑर्डर लेने वाले समूहों पर लागू होता है। कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, सिंघम का नेटवर्क एक असामान्य मामला है। नेविल के सहियोगियों के मुताबिक, वे माओवाद के घनघोर समर्थक माने जाते हैं। वे उस कम्युनिस्ट विचारधारा में यकीन रखते हैं, जिसने आधुनिक चीन को जन्म दिया। वे वेनेजुएला के नेता ह्यूगो शावेज के भी कट्टर समर्थक रह चुके हैं। नेविल रॉय सिंघम थॉटवर्क्स का संस्थापक और अध्यक्ष है। थॉटवर्क्स एक आईटी परामर्श कंपनी है, जो कस्टम सॉफ्टवेयर, सॉफ्टवेयर टूल और परामर्श सेवाएं प्रदान करती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नेविल रॉय सिंघम अमेरिका का नागरिक है, लेकिन वो क्यूबन-श्रीलंकाई मूल का है। नेविल के पिता का नाम आर्चीबाल्ड विक्रमराजा है। विक्रमराजा श्रीलंकाई राजनीतिक विशेषज्ञ और इतिहासकार थे। वे न्यूयॉर्क के सिटी यूनिवर्सिटी के ब्रुकलिन कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर के पद पर थे। नेविल रॉय सिंघम ने 2017 में डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ी राजनीतिक सलाहकार जोडी इवांस से शादी की। ये शादी जमैका में आयोजित की गई थी। नेविल रॉय सिंघम को 2009 में एक पत्रिका द्वारा शीर्ष 50 वैश्विक विचारकों में से एक नामित किया गया था।
नेविल रॉय सिंघम पर बहुत पहले से चीनी सरकार को प्रमोट करने वाले संस्थानों को फंडिंग करने का आरोप लगता रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रॉय सिंघम का ग्रुप कई फ्रंट पर चीनी सरकार के कामों का प्रचार करता है। मसलन, अफ्रीका में राजनेताओं को ट्रेनिंग देना, प्रोटेस्ट (जैसा लंदन में हुआ) को फंड करना होता है। NYT ने दावा किया है कि उसने सिंघम से जुड़ी कई चैरिटी और शेल कंपनियों का पता लगाया है और ग्रुप से जुड़े कई पूर्व कर्मचारियों से बात भी की है। यह भी लिखा है कि ये ग्रुप्स साझा काम करते हैं। वे एक-दूसरे के आर्टिकल और क्रॉस शेयर करते हैं। वे बिना संबंध बताए एक-दूसरे के प्रतिनिधियों का इंटरव्यू करते हैं। अखबार लिखता है कि कॉरपोरेट फाइलिंग से पता चलता है कि नेविल रॉय सिंघम का नेटवर्क भारत में एक न्यूज वेबसाइट ‘न्यूजक्लिक’ को फंड करता है। अखबार ने न्यूजक्लिक का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि वेबसाइट में चीन की सरकार का काफी कवरेज है। जैसे एक वीडियो में वेबसाइट कहती है, “चीन का इतिहास मजदूर वर्ग को अब भी प्रेरित कर रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट में न्यूजक्लिक के खिलाफ भारतीय एजेंसियों की छापेमारी का भी जिक्र किया। न्यूयार्क पोस्ट की खबर के बाद सरकार न्यूज़क्लिक के खिलाफ अभियान चलाये हुये हैं। इससे पहले भी न्यूजक्लिक के कार्यालय और जुड़े कर्मचारियों पर छापा मारा जा चुका है।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने xxx पर लिखा है कि न्यूज़क्लिक से जुड़े विभिन्न परिसरों पर दिल्ली पुलिस की चल रही छापेमारी 17 अगस्त को यूएपीए और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत दर्ज मामले पर आधारित है। यूएपीए, आईपीसी की धारा 153ए (दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने लिखा है कि न्यूज़क्लिक में योगदान देने वाले पत्रकारों पर सुबह-सुबह छापेमारी बिहार में जाति जनगणना के विस्फोटक निष्कर्षों और देश भर में जाति जनगणना की बढ़ती मांग से ध्यान भटकाने के रूप में सामने आई है। जब उसे पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्नों का सामना करना पड़ता है, तो वह अपने अनुमानित पाठ्यक्रम में मौजूद एकमात्र काउंटर का सहारा लेता है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस कार्यवाही को लेकर विरोध जताया है और कहा है कि छापे हारती हुई भाजपा की निशानी हैं। ये कोई नयी बात नहीं है ईमानदार खबरनवीसों पर भाजपाई हुक्मरानों ने हमेशा डाले हैं छापे, लेकिन सरकारी प्रचार-प्रसार के नाम पर कितने करोड़ हर महीने ‘मित्र चैनलों’ को दिये जा रहे हैं ये भी तो कोई छापे!
छापे हारती हुई भाजपा की निशानी हैं।
ये कोई नयी बात नहीं है ईमानदार खबरनवीसों पर भाजपाई हुक्मरानों ने हमेशा डाले हैं छापे,
लेकिन सरकारी प्रचार-प्रसार के नाम पर कितने करोड़ हर महीने ‘मित्र चैनलों’ को दिये जा रहे हैं ये भी तो कोई छापे! pic.twitter.com/JNlwmb7uIc— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 3, 2023
न्यूज़क्लिक ने पहले भी सरकार की कार्यवाही की आलोचना करते हुये कहा था कि न्यूज़क्लिक पर झूठे और आधारहीन आरोप लगाए गए हैं। ये मामला कोर्ट के सामने विचाराधीन है, हम कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करते हैं और मीडिया ट्रायल में नहीं उलझना चाहते हैं, कई राजनेताओं और मीडिया संस्थान हमारे खिलाफ जो आरोप लगा रहे हैं, उनका कोई आधार नहीं है। न्यूजक्लिक एक स्वतंत्र न्यूज संस्थान है।
फिलहाल, अब तक कि खबर के मुताबिक, लगभग 30 ठिकानों पर छापेमारी की गई है और मोबाइल तथा अन्य डाटा संग्रह डिवाइस जब्त की गई गई हैं। किसी के गिरफ्तारी की सूचना अभी तक नहीं हुई है।