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बिहार : नीतीश कुमार 9वीं बार बने मुख्यमंत्री

बिहार में सियासी उलटफेर की अटकलें एक बार फिर सही साबित हुईं। नीतीश कुमार ने रविवार सुबह वही किया जिसका पिछले दिनों से अंदाजा लगाया जा रहा था। रविवार सुबह उन्होंने राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने राज्यपाल को बताया कि वे महागठबंधन से अलग होने का फैसला कर चुके हैं। इसके […]

बिहार में सियासी उलटफेर की अटकलें एक बार फिर सही साबित हुईं। नीतीश कुमार ने रविवार सुबह वही किया जिसका पिछले दिनों से अंदाजा लगाया जा रहा था। रविवार सुबह उन्होंने राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने राज्यपाल को बताया कि वे महागठबंधन से अलग होने का फैसला कर चुके हैं। इसके बाद शाम होते-होते उन्होंने नौंवी बार भाजपा के समर्थन से सीएम पद की शपथ भी ले ली।

शाम को जदयू नेता नीतीश कुमार को राज्यपाल आर्लेकर ने मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके अलावा राज्यपाल ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई। इनके साथ कई मंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई है। समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे।

नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण के बाद पीएम मोदी ने बिहार की एनडीए सरकार में शामिल मंत्रियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि बिहार में बनी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार राज्य के लोगों की आकांक्षा को पूरा करेगी। इसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जाएगा। पीएम मोदी ने नौवीं बार सीएम पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार के साथ-साथ उनकी सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने वाले सम्राट चौधरी औप विजय सिन्हा को भी बधाई दी।

बिहार के राजभवन में आयोजित समारोह में नौवीं बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नीतीश कुमार की नई सरकार में दो डिप्टी सीएम के अलावा छह मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली। इन मंत्रियों में डॉ. प्रेम कुमार,  विजय चौधरी, विजेंद्र यादव, श्रवण कुमार संतोष कुमार सुमन (हम) और निर्दलीय विधायक सुमित सिंह शामिल रहे। संतोष कुमार सुमन पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी के बेटे हैं।

सूत्रों ने बताया कि मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों पर एक या दो दिन में निर्णय लिया जाएगा।

नीतीश कुमार ने आज सुबह यह कहते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था कि बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में उनके लिए ‘चीजें ठीक नहीं चल रही हैं।’ इसी के साथ उन्होंने भाजपा के सहयोग से नयी सरकार बनाने का दावा भी पेश किया था। लगभग डेढ़ साल पहले उन्होंने भाजपा से नाता तोड़ लिया था।

नीतीश कुमार के पूर्व सहयोगी ‘राष्ट्रीय जनता दल’ (राजद) ने शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया, जबकि एक अन्य पूर्व सहयोगी कांग्रेस भी अनुपस्थित रही।

इससे पहले जद (यू) सुप्रीमो ने 2000 में राज्य के मुख्यमंत्री पद की पहली बार शपथ ली थी, लेकिन उनकी सरकार एक सप्ताह के भीतर ही गिर गयी थी।

उन्होंने मई 2014 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन आठ महीने बाद ही जीतन राम मांझी को हटाकर उन्होंने नवंबर 2015 में मुख्यमंत्री के रूप में वापसी की। उस समय जद(यू), राजद और कांग्रेस गठबंधन ने विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी।

उन्होंने 2017 में भाजपा के साथ नयी सरकार बनाने के लिए इस्तीफा दे दिया था। वह 2020 के विधानसभा चुनाव में फिर मुख्यमंत्री बने। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने जीत हासिल की थी, जबकि जदयू ने खराब प्रदर्शन किया था। बिहार विधानसभा में सदस्यों की संख्या 243 है।

बहरहाल, जो भी हो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ जिस पार्टी से कभी हाथ न मिलाने की कसम खाई थी आज एक बार फिर उसी बीजेपी का दामन थाम लिया है। नीतीश कुमार पाला बदलने के लिए कुख्यात हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश फिर पलटी मारते हैं या गठबंधन के साथ मजबूती से खडे रहते हैं ।

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