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नोाएडा में जिला अस्पताल के तीन चिकित्सकों को नोटिस जारी

नोएडा (भाषा)। नोएडा में जिला अस्पताल में आंख का ऑपरेशन करवाने वाले मरीजों को बाहर से लाकर लेंस बेचने के आरोप में एक व्यक्ति को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अस्पताल के तीन चिकित्सकों के खिलाफ नोटिस जारी कर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। पुलिस ने यह जानकारी दी। जिला अस्पताल में […]

नोएडा (भाषा)। नोएडा में जिला अस्पताल में आंख का ऑपरेशन करवाने वाले मरीजों को बाहर से लाकर लेंस बेचने के आरोप में एक व्यक्ति को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अस्पताल के तीन चिकित्सकों के खिलाफ नोटिस जारी कर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। पुलिस ने यह जानकारी दी। जिला अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए दलाल के जरिए बाहर से लेंस खरीदने के मामले में तीन चिकित्सकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। बृहस्पतिवार को अस्पताल प्रशासन ने उनके खिलाफ नोटिस जारी कर मामले में उनसे जवाब मांगा है।

जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ रेनू अग्रवाल ने बताया कि जिला अस्पताल में इस समय तीन नेत्र रोग विशेषज्ञ तैनात हैं। इनमें डॉक्टर पंकज त्रिपाठी, डॉक्टर सत्येंद्र कुमार और डॉक्टर निधि मेहरोत्रा शामिल हैं। तीनों को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा गया है। इसके बाद आगे कार्रवाई अस्पताल प्रशासन द्वारा की जाएगी। डॉ अग्रवाल ने बताया कि अस्पताल परिसर में मरीजों को बाहर से लेंस लाकर बेचे जाने से संस्थान की छवि धूमिल हुई है। उन्होंने कहा कि जिस लेंस को बाहर से लाकर बेचा जा रहा था उससे अच्छी गुणवत्ता का लेंस अस्पताल में निशुल्क मौजूद है

जिला अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि उन डॉक्टरों को चिह्नित किया जा रहा है जिन्होंने बाहर से खरीद कर लाए गए लेंस ऑपरेशन के समय मरीजों को लगाए हैं। बुधवार को एक व्यक्ति को सेक्टर 39 थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जो जिला अस्पताल में आंख का ऑपरेशन करवाने वाले मरीजों को बाहर से लाकर लेंस बेचता था।

नोएडा के इसी अस्पताल में मरीजों से इस प्रकार के शोषण की इससे पहले और भी घटनाएं होती रही हैं। एक ऐसा ही मामला फरवरी 2023 का है जब सेक्टर-44 स्थित छलैरा में रहने वाले शशांक द्विवेदी एचसीएल में साफ्टवेयर इंजीनियर है। शशांक का आरोप है कि 12 फरवरी की रात करीब एक सड़क हादसे में वह और दोस्त विश्वजीत सिंह घायल हो गए थे। पैर में चोट लगने के कारण इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे थे। यहां देर रात इमरजेंसी ड्यूटी में मौजूद डा. रवीश मलिक और वार्ड ब्वाय सुनील ने इलाज और टांका लगाने के नाम पर रुपये की मांग की। रुपये नहीं देने पर टांका लगाने से मना कर दिया।

मजबूरन टांका लगवाने के लिए रुपये देने पड़े। करीब 300-400 रुपये नकद व तीन हजार रुपये गूगल पे से एक नंबर पर किए। इसके बाद टांका लगाया गया। टांका लगने के बाद बेड रेस्ट पर होने के कारण वह मामले की शिकायत नहीं कर सके। संयोगवश अस्पताल पहुंचे डीएम को निरीक्षण करते देख पूरे मामले से अवगत कराया।

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