Monday, July 1, 2024
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सिलक्यारा सुरंग में अब हाथ से ड्रिलिंग के विकल्प पर किया जा रहा विचार

उत्तरकाशी (भाषा)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 13 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए ऑगर मशीन से ड्रिलिंग में बार-बार आ रही बाधाओं के कारण, बचावकर्ता हाथ से ड्रिलिंग करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि चारधाम […]

उत्तरकाशी (भाषा)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 13 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए ऑगर मशीन से ड्रिलिंग में बार-बार आ रही बाधाओं के कारण, बचावकर्ता हाथ से ड्रिलिंग करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे श्रमिक मलबे के दूसरी ओर फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के ढहे हिस्से में की जा रही ड्रिलिंग शुक्रवार रात पुन: रोकनी पड़ी, जो बचाव प्रयासों के लिए एक और झटका है। ऑगर मशीन का बरमा फंसने के बाद उसे काटकर निकालने का काम जारी है। मशीन के बरमे का 45 मीटर हिस्सा फंसा था। जिसे 20 मीटर तक काटकर निकाल लिया गया है। अभी 25 मीटर तक निकाला जाना बाकी है। इसके लिए प्लाजा कटर मशीन को हैदराबाद से मंगवाया गया है।

बीते शुक्रवार को कुछ देर की ड्रिलिंग से पहले 800 मिलीमीटर चौड़े इस्पात के पाइप का 46.8 मीटर हिस्सा ड्रिल किए गए मार्ग में धकेल दिया गया था। सुरंग के ढहे हिस्से की लंबाई करीब 60 मीटर है। श्रमिकों तक भोजन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए छह इंच चौथे ट्यूब को 57 मीटर तक पहुंचा दिया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि ऑगर मशीन ड्रिलिंग बहाल होने के कुछ देर बाद स्पष्ट रूप से किसी धातु की वस्तु के कारण बाधित हो गई। इससे एक दिन पहले अधिकारियों को ऑगर मशीन में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण बचाव कार्य को रोकना पड़ा था। उन्होंने कहा कि लगातार आ रही बाधाओं के कारण ऑगर मशीन से ड्रिलिंग और मलबे के बीच इस्पात का पाइप डालने का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। श्रमिकों को इस पाइप से बाहर निकालने की योजना है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी आज फिर रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि सभी मजदूर ठीक है। मजदूरों से बात हुई है, वो ठीक है। बताया कि मजदूरों को भोजन पानी मिल रहा है। हैदराबादा से कटर लाया जा रहा है साथ ही प्लाज्मा कटर मंगवाया गया है। सीएम ने कहा कि सारा ध्यान मजदूरों को निकलाने पर है। मशीन के टूटे हिस्से कल तक निकलेंगे। वर्टिकल ड्रिलिंग का काम किया जा रहा है।

वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सिलक्यारा स्थित निर्माणाधीन टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन सिलक्यारा में आई बाधा के संबंध में जानकारी ली। सीएम ने उन्हें बताया कि इस्पात की बनी वस्तुओं के ऑगर मशीन के सामने आने से कार्य में बाधा उत्पन्न हुई है, जिसे ठीक किया जा रहा।

अधिकारी ने बताया कि ऐसे में हाथ से ड्रिलिंग करने पर विचार किया जा रहा है लेकिन इसमें समय अधिक लगता है। चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे श्रमिक मलबे के दूसरी ओर फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं। श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं। पाइप का उपयोग करके एक संचार प्रणाली स्थापित की गई है और श्रमिकों के रिश्तेदारों ने उनसे बात की है। इस पाइप के माध्यम से एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी सुरंग में डाला गया है, जिससे बचावकर्मी अंदर की स्थिति देख पा रहे हैं।

अभियान पर अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स कहते हैं कि इसके कई तरीके हैं। यह सिर्फ एक ही रास्ता नहीं है। फिलहाल, सब कुछ ठीक है। अब ऑगरिंग नहीं देख पाएंगे। ऑगर खत्म हो गया है। बरमा (मशीन) टूट गया है। उन्होंने बताया कि बरमा से अब कोई काम नहीं होगा और कोई नया बरमा नहीं होगा।

सुरंग से श्रमिकों को निकालने के प्रयासों को झटका,खराब हुई ऑगर मशीन: विशेषज्ञ

अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने शनिवार को कहा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए जिस ऑगर मशीन से ‘ड्रिल’ की जा रही थी, वह खराब हो गई है। डिक्स ने सिलक्यारा में पत्रकारों से कहा, ‘ऑगर टूट गई है, क्षतिग्रस्त हो गई है।’ पिछले कुछ दिन से ऑगर मशीन से ड्रिल करने के दौरान लगातार बाधाएं आ रही थीं। जब उनसे हाथ से अथवा लम्बवत ड्रिल करने जैसे अन्य विकल्पों के बारे में पूछा गया तो डिक्स ने कहा कि सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम जो भी विकल्प अपना रहे हैं उसके अपने फायदे और नुकसान हैं। हमें बचावकर्ताओं की तथा श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है।’ चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं।

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