नई दिल्ली (भाषा)। संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान और सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग पर मंगलवार को राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने ज़ोर-शोर से विरोध किया, जिस वजह से उच्च सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्य शाह के बयान की मांग करने लगे।
इसी दौरान सभापति जगदीप धनखड़ ने एक वरिष्ठ सांसद द्वारा सदन के बाहर ‘असंसदीय’ व्यवहार का उल्लेख किया और इसे अस्वीकार्य करार देते हुए गहरी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा, ‘मैंने कुछ देर पहले एक टीवी चैनल पर देखा… गिरावट की कोई हद नहीं है… एक बड़े नेता, एक सांसद के असंसदीय व्यवहार का वीडियो बना रहे थे… आपसे भी बहुत बड़े नेता है… मैं तो यही कह सकता हूँ कि उन्हें सद्बुद्धि आए… कुछ तो सीमा होती होगी… कुछ जगह तो बख्शो।’
जब एक सदस्य ने इस बारे में विस्तार से जानना चाहा तो धनखड़ ने कहा कि राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष का कार्यालय बहुत अलग है, जबकि राजनीतिक दलों के बीच आपसी टीका-टिप्पणी होती रहती है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन कल्पना करिए, आपकी पार्टी का एक बड़ा नेता… वरिष्ठ नेता… एक दूसरी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य का वीडियोग्राफी कर रहा है। राज्यसभा के सभापति की मिमिक्री कर रहा है, लोकसभा अध्यक्ष की मिमिक्री कर रहा है। कितनी गलत बात है… कितनी शर्मिंदगी भरी बात है। यह अस्वीकार्य है।’
इसी दौरान विपक्ष की एक महिला सदस्य ने धनखड़ से कहा कि वह अपनी बात रखना चाहती हैं। इसके बाद कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड़ा ने कुछ कहने का प्रयास किया। इस दौरान कुछ अन्य विपक्षी सदस्य शाह के बयान की मांग कर रहे थे। धनखड़ ने इसके बाद सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और फिर शून्य काल आरंभ कराने की कोशिश की। इस दौरान कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले अपने-अपने मुद्दे उठाना चाह रहे थे। हालांकि सभापति ने इसकी अनुमति नहीं दी।
इस दौरान सदन में मौजूद कुछ विपक्षी सदस्य ‘गृह मंत्री सदन में आओ, सदन में आकर जवाब दो…’ जैसे नारे लगा रहे थे। कुछ विपक्षी सदस्य अपने साथियों का निलंबन वापस लेने की भी मांग कर रहे थे। सभापति ने सदस्यों से अपने स्थान पर बैठने और कार्यवाही का संचालन सुचारू रूप से होने देने का अनुरोध किया।
हंगामे और शोरगुल के बीच उन्होंने सदन को बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत कुल चार नोटिस मिले हैं, जो स्वीकार किए जाने योग्य नहीं हैं। सदस्यों का शोरगुल जारी रहने पर धनखड़ ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। संसद की सुरक्षा में सेंध को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री के बयान की मांग पर विपक्ष के अड़े रहने के बाद सोमवार को लोकसभा के 33 और राज्यसभा के 45 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था।
सोमवार की कार्रवाई के बाद इस मुद्दे पर पिछले बृहस्पतिवार से दोनों सदनों से निलंबित किए गए विपक्षी सांसदों की कुल संख्या 92 हो गई है। आम आदमी पार्टी सदस्य संजय सिंह को 24 जुलाई को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था।
निलंबित सांसदों ने संसद परिसर में विरोध-प्रदर्शन किया
संसद के दोनों सदनों से निलंबित किए गए विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया। संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष निलंबित सांसदों के विरोध-प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार भी शामिल हुए।
कई विपक्षी सांसदों के हाथों में तख्तियां थीं जिन ‘डेमोक्रेसी अंडर सीज’ (लोकतंत्र को बंधक बनाया गया) और कुछ अन्य नारे लिखे हुए थे। उन्होंने ‘गृह मंत्री इस्तीफा दो…’ के नारे भी लगाए गए।
मोदी-शाह ने सदन की गरिमा का अपमान किया है।
गंभीर सुरक्षा चूक के बावजूद वो संसद में आकर बयान नहीं देते।
मुझे बहुत दुःख है कि इतिहास में पहली बार इतने सांसदों को ससपेंड किया गया।
ये लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ाने जैसा है, सदन की मर्यादा पर गहरी ठेस है। pic.twitter.com/SK6Tt32MFh
— Mallikarjun Kharge (@kharge) December 19, 2023
खरगे ने कहा, ‘हम सिर्फ यही चाहते हैं कि सुरक्षा चूक के विषय पर गृह मंत्री सदन में आकर बयान दें। वह क्यों भाग रहे हैं, मुझे मालूम नहीं है। संसद का सत्र जारी है, लेकिन वह सदन के बाहर बयान दे रहे हैं। ऐसा कभी नहीं होता है। जो बातें सदन में बोलनी हैं, वह बाहर बोली जाती हैं तो इससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंचती हैं।’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि सांसदों का निलंबन लोकतांत्रिक प्रणाली को खत्म करने का षड्यंत्र है तथा पहले गुजरात में भी इसी तरह से विधानसभा चलाई जाती थी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, ‘यहां तानाशाही चल रही है, उसके खिलाफ लड़ेंगे।’
संसद में सोमवार को 78 विपक्षी सांसदों को आसन की अवमानना तथा अशोभनीय आचरण के आरोप में निलंबित कर दिया गया, जो संसदीय इतिहास में एक दिन में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। गत 13 दिसंबर को लोकसभा से 33 सदस्यों और राज्यसभा से 45 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया। पिछले बृहस्पतिवार से दोनों सदनों से निलंबित किए गए विपक्षी सांसदों की कुल संख्या 92 हो गई है।