लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने एक बार फिर से जाति का कार्ड खेलते हुए गाजीपुर जिले की पूर्व सहकारिता मंत्री डाॅ संगीता बलवंत को राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित कर दिया। डाॅ संगीता बलवंत पिछड़ी जाति बिंद से आती हैं ।
इस घोषणा से यह माना जा रहा है कि यह पूर्वाञ्चल में भाजपा के लिए एक सॉलिड वोट बैंक बनाने में मददगार होगा।
पूर्वांचल में बिंद जाति के मतदाताओं की संख्या काफी है। पूर्वांचल के जिलों में भदोही एक ऐसा जिला है जहां पर बिंद जाति की संख्या लगभग 3 लाख के आसपास है। गाजीपुर जिले में 1.25 लाख के आसपास इनकी संख्या है। ऐसे में हर पार्टी की नजर इस जाति के वोट बैंक पर रहती है।
गाजीपुर जिले के वरिष्ठ पत्रकार राजकमल बताते हैं कि ‘सही मायने में देखा जाय तो यहां पर गाजीपुर में बिंद जाति की आबादी 1.25 लाख है। लेकिन भाजपा इनकी संख्या 1.50 लाख मानती है। इसी प्रकार से समाजवादी पार्टी इनकी संख्या 1.34 लाख मानती है जबकि बसपा 1.40 लाख मानती है। राजकमल जी आगे बताते हुए कहते हैं कि बिंद एक तरह से मल्लाहों की ही उपजाति है। पूर्वांचल के इस बेल्ट में निषाद और बिंद को मिला दिया जाय तो दोनों की संख्या काफी हो जाएगी। आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस जाति को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी ने यह कार्ड खेला है। अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन मुझे लगता है बीजेपी को इस चीज का फायदा मिलेगा। संगीता के पिता बाबूलाल बलवंत भी बीजेपी से ही एमएलसी थे। ऐसे में उनके वोटर इधर-उधर तो नहीं भागेंगे। ऐसा मेरा मानना है।’
पूर्वांचल के जौनपुर, भदोही, आजमगढ़, वाराणसी, गाजीपुर, मऊ, बलिया आदि जिलों में बिंद, मल्लाह, निषाद आदि जातियों की काफी संख्या है जिनपर सभी राजनीतिक पार्टियों की निगाहें रहती हैं। मुलायम सिंह यादव ने इस जाति को अपने पाले में करने के लिए फूलनदेवी को आगे बढ़ाया। 1996 में मिर्जापुर लोकसभा सीट जीतकर फूलनदेवी लोकसभा पहुंची थीं।
संगीता बलवंत को टिकट मिलने से पूर्वांचल की राजनीति पर क्या असर होगा? सवाल के जवाब में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय कहते हैं ‘संगीता को राज्यसभा का टिकट देने से बीजेपी को कोई विशेष फायदा नहीं होने वाला है, क्योंकि संगीता को उनके पिता पूर्व भाजपा एमएलसी बाबूलाल बलवंत की वजह से टिकट मिल गया। संगीता के बजाय यह टिकट किसी दूसरे व्यक्ति को मिला होता तो शायद बीजेपी फायदे में रहती। अजय राय बीजेपी के परिवारवाद को बढ़ाने का इसे एक उदाहरण मानते हुए सवाल पूछने वाले अंदाज में कहते हैं कि क्या यहां बीजेपी को यहां परिवारवाद नहीं दिख रहा है ?’
समाजवादी पार्टी के वाराणसी के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव संगीता को मिले राज्यसभा के टिकट की बाबत कहते हैं कि ‘संगीता को टिकट देने से बीजेपी को कहीं से भी कोई लाभ नहीं मिलने वाला है । सबसे बड़ी बात है व्यक्ति की लोगों तक पहुंच। बीजेपी यह सब दिखावे के रूप में कर रही है लेकिन जनता इस बात को अच्छी तरह से जान चुकी है। लोकसभा के चुनाव में बीजेपी चाहे कुछ भी कर ले, इस जनता जनार्दन उसे सबक सिखाकर ही रहेगी।’
समाजवादी पार्टी के नेता मनोजराय धूपचंडी इस बाबत कहते हैं कि ‘जो अपना खुद का चुनाव हार गया हो वह अपने लोगों का चेहरा क्या बन पाएगा? अगर उनकी अपने लोगों में अच्छी पकड़ होती तो क्या वे चुनाव हारती ? संगीता को टिकट उनके पिता पूर्व एमएलसी बाबूलाल बलवंत की वजह से मिल गया ।’
बहरहाल, जो भी हो इन नेताओं की बातों में कितना दम है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।