नयी दिल्ली। किसानों के मंगलवार को प्रस्तावित मार्च के मद्देनजर टीकरी बॉर्डर मेट्रो स्टेशन के पास पांच-स्तरीय अवरोधक लगाए जाने से दुकानदार नाराज हैं। कृष्ण कुमार पूछते हैं कि क्या उन्हें फिर से उसी तरह अपनी दुकानें बंद करनी पड़ेंगी, जिस तरह तीन साल पहले किसानों के आंदोलन के दौरान करनी पड़ी थीं?
राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के विरोध मार्च से पहले कुमार जैसे स्थानीय लोगों और दुकानदारों को आर्थिक नुकसान व अन्य परेशानियों का डर सताने लगा है।
किराने की दुकान चलाने वाले कुमार (35) कहते हैं, ‘आंदोलन के दौरान हमें भारी नुकसान उठाना पड़ा था।’
कुमार ने ‘भाषा’ को बताया, ‘आस-पास के क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश मजदूर हमारे दैनिक ग्राहक और आमदनी का इकलौता जरिया हैं। किसी भी विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस श्रमिकों को मुख्य सड़क का उपयोग करने से रोकती है और हमारे पास ग्राहक आने बंद हो जाते हैं।’
एक अन्य दुकानदार सैय्यम ने कहा कि पिछले किसान आंदोलन के दौरान उन्हें अपनी दुकान पर जाने में काफी परेशानी होती थी। उन्होंने कहा, ‘मेरी किराने की दुकान टीकरी बॉर्डर मेट्रो स्टेशन से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन भारी सुरक्षा बल की तैनाती के कारण, मुझे अपनी दुकान तक पहुंचने के लिए दूसरा रास्ता लेकर लगभग दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।’
किसान संगठनों द्वारा आहूत ‘दिल्ली चलो मार्च’ के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत 12 मार्च तक 30 दिन के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। इसके अलावा दूसरे राज्यों से लगी सीमा पर 5,000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान संघों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के मकसद से 13 फरवरी को मार्च निकालने का आह्वान किया है।