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शंकर नेत्रालय के संस्थापक डॉ. एसएस बद्रीनाथ का निधन, पीएम ने जताई संवेदना

चेन्नई (भाषा)। प्रसिद्ध वाइट्रियोरैटिनल सर्जन और लाखों लोगों के लिए किफायती नेत्र देखभाल सुनिश्चित करने वाले शंकर नेत्रालय के संस्थापक डॉ. एसएस बद्रीनाथ का आज निधन हो गया। यह जानकारी देते हुए अस्पताल के सूत्र ने बताया कि 83 वर्षीय डॉ. बद्रीनाथ ने अपने आवास पर अंतिम श्वांस ली। चेन्नई में जन्मे बद्रीनाथ के परिवार […]

चेन्नई (भाषा)। प्रसिद्ध वाइट्रियोरैटिनल सर्जन और लाखों लोगों के लिए किफायती नेत्र देखभाल सुनिश्चित करने वाले शंकर नेत्रालय के संस्थापक डॉ. एसएस बद्रीनाथ का आज निधन हो गया। यह जानकारी देते हुए अस्पताल के सूत्र ने बताया कि 83 वर्षीय डॉ. बद्रीनाथ ने अपने आवास पर अंतिम श्वांस ली। चेन्नई में जन्मे बद्रीनाथ के परिवार में उनकी पत्नी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. वसंती बद्रीनाथ और दो बेटे अनंत एवं शेषु हैं।

बद्रीनाथ के निधन पर शोक जताते हुये, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आंखों की देखभाल में उनके योगदान और समाज के लिए उनकी निरंतर सेवा ने एक अमिट छाप छोड़ी है। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, ‘दूरदर्शी, नेत्र विज्ञान के विशेषज्ञ और शंकर नेत्रालय के संस्थापक डॉ. एसएस बद्रीनाथ के निधन से गहरा दुख हुआ।’ उन्होंने लिखा, ‘नेत्र देखभाल में उनके योगदान और समाज के प्रति उनकी अथक सेवा ने एक अमिट छाप छोड़ी है। उनका काम पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति संवेदना। ओम शांति।’

असाधारण दूरदृष्टि, निस्वार्थ सेवा और करुणा के प्रतीक के रूप में डॉ. बद्रीनाथ की सराहना करते हुए, तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट में कहा, ‘शंकर नेत्रालय के माध्यम से, उन्होंने लाखों गरीबों और जरूरतमंदों के जीवन को आसान किया। उनके परिवार और उनके अनुयायियों के प्रति संवेदना। ओम शांति!’ मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने उनके परिवार और दोस्तों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ एसएस बद्रीनाथ के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ है। अन्नाद्रमुक महासचिव के पलानीस्वामी तथा कई अन्य लोगों ने भी बद्रीनाथ के निधन पर शोक जताया है।

गौरतलब है कि डॉ. एसएस बद्रीनाथ का जन्म 24 फरवरी 1940 को चेन्नई में हुआ था। उनके पिता एसवी श्रीनिवास राव इंजीनियर थे और उनकी मां वकील की बेटी थीं। जब वह छोटे थे तब ही डॉ. बद्रीनाथ ने अपने माता-पिता को खो दिया था। अपने पिता की मौत के बाद उन्होंने जीवन बीमा से मिले पैसों से मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने करियर की शुरुआत न्यूयॉर्क में की। डॉ. बद्रीनाथ ने 1978 में डॉक्टरों के एक ग्रुप के साथ मिलकर शंकर नेत्रालय की स्थापना की। शंकर नेत्रालय भारत के बड़े चैरिटेबल और नॉन-प्रॉफिट हास्पिटलों में से एक है। शंकर नेत्रालय की स्थापना तीन प्रमुख उद्देश्यों के साथ की गई थी- सस्ती दरों पर आंखों की अच्छे से देखभाल, अंधेपन से निपटने के लिए आप्थाल्मालॉजिस्ट और पैरामेडिकल पर्सनल्स की ट्रेनिंग देना और इंडिया स्पेसिफिक आई प्रॉब्लम्स पर रिसर्च करना।

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