यूपी के रामपुर में हाथरस जैसा मामला सामने आया है। फर्क बस इतना है कि हाथरस में दलित युवती को जलाया गया था जबकि रामपुर में दलित युवक को गोली मारने के बाद पुलिस ने जबरन अंतिम संस्कार करवा दिया।
पूरा मामला बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर हुए विवाद से जुड़ा है। इस विवाद में गोली लगने से एक दलित युवक की मौत हौ गई। इसके अलावा दो अन्य लोग घायल भी हुए हैं। मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस की गोली लगने से युवक की मौत हुई है।
गोली लगने से मौत
घटना के बाद गुस्साए परिजनों ने बाबा साहब की फोटो के नीचे मृतक का शव रखकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। घटना की सूचना मिलने पर डीआईजी मुरादाबाद और मंडल आयुक्त सिलाई बड़ा गांव पहुंचे। अधिकारियों ने परिजनों से बात कर हर संभव मदद और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। दूसरी तरफ घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।संघर्ष के बाद हुई घटना को लेकर मृतक के भाई बृजकिशोर ने दो पुलिसवालों पर गोली चलाने का आरोप लगाया है। बृजकिशोर ने कहा कि, ‘मैं तो रिक्शा चला रहा था। रास्ते में मुझे पता लगा कि मेरे 17 वर्षीय भाई को गोली लगी है। दो पुलिस वाले, जिनमें एक का नाम आदेश चौहान और दूसरे का नाम ऋषि पाल, दोनों हमारी ही चौकी में तैनात हैं, ने गांव वालों के कहने पर मेरे भाई को जानबूझकर गोली मारी है। जिसमें मेरे भाई की मौत हो गई है। इसके साथ ही सुमेश कुमार और अमित गोली लगने से जख्मी हुए हैं। पुलिसवालों ने गांव के निवासी रविंद्र और बृजेश के कहने पर मेरे भाई पर गोली चलाई है।’
रामपुर में फायरिंग में जिस दलित लड़के की मौत हुई, उसके भाई को सुनिए-
वो कह रहा है कि दो पुलिसवालों आदेश चौहान और ऋषिपाल ने छत पर चढ़कर गंगवारों के कहने पर हम पर गोलियां चलाई हैं। मेरा भैया मर गया। दो लोग घायल हुए हैं। #Rampur #Up pic.twitter.com/g9PRVPccQi
— Anand Prakash (@anand11_du) February 28, 2024
इस मसले पर मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह का कहना है कि, ‘खाली पड़ी जगह पर खाद का गड्ढा था , जिसे पाटकर समतल किया गया। लोगों की मांग थी कि यहां अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित कर पार्क बनाया जाए। इसे लेकर शिकायत आई थी, जिस पर प्रशासन की टीम कार्रवाई के लिए मौके पर पहुंची। यहां जो घटना हुई इसकी जांच की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि घटना को लेकर जांच कमेटी गठित की जाएगी। जिलाधिकारी की तरफ से मजिस्ट्रेटी जांच भी कराई जाएगी। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, बख्शा नहीं जाएगा।’
परिवार से मिलने रामपुर जाने से चंद्रशेखर को रोका
मामले में सियासत तेज हो गई। आज़ाद समाज पार्टी और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद दलित युवक की मृत्यु के बाद रामपुर पहुँच चुके थे लेकिन पुलिस ने उन्हें संभल में हि रोक दिया आगे जाने नहीं दिया। आज़ाद ए कहा,’मैं किसी भी स्थिति में यहाँ नहीं रुकने वाला चाहे पुलिस मुझ पर गोली हि क्यों न चला दे। दलितों की हत्या के लिए अब अपराधियों की जरूरत नहीं है बल्कि पुलिस ही दलितों को मारने लगी है। रामपुर में कुछ गज जमीन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 17 वर्ष के लड़के की हत्या कर दी। मैं परिवार वालों से मिलना चाहता हूँ। लेकिन पुलिस की तानाशाही के चलते मुझे आगे नहीं जाने दिया जा रहा है।
आज फिर से हाथरस याद आ रहा है, उत्तर प्रदेश में दलितों का दमन चरम पर है। रामपुर में भाई सोमेश की पुलिस द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गयी है, कई लोग घायल है लेकिन पुलिस मुझे सम्भल में रोक कर खड़ी है। क्या अब मैं अपने पीड़ित परिवार से भी नही मिल सकता हूं। सच मे उत्तरप्रदेश बदल गया… pic.twitter.com/juwljxCqru
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) February 28, 2024
उन्होंने आगे कहा कि, ‘मैं पुलिस से लड़ना चाहता हूं क्योंकि ये भी किसान परिवारों के लोग हैं लेकिन मैं सरकार से पूछता हूं कि क्या चंद्रशेखर आजाद अपने उन परिवारों से नहीं मिल सकता है, जिनके साथ खून की होली खेली गई है। उन परिवारों के आँसू पोंछकर उनको न्याय दिलाने का काम करूंगा।’