Friday, July 5, 2024
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‘द वायर’ के संपादकों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लौटाने के आदेश के खिलाफ पुलिस की याचिका खारिज

नई दिल्ली (भाषा)। यदि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ प्रेस को स्वतंत्र तरीके से काम नहीं करने दिया गया तो ‘लोकतंत्र की नींव’ को गहरी क्षति पहुंचेगी। यह बात राष्ट्रीय राजधानी की एक सत्र अदालत ने दिल्ली पुलिस की वह अपील खारिज करते हुए कही, जिसमें उसने समाचार पोर्टल द वायर के पांच सम्पादकों से जब्त किये […]

नई दिल्ली (भाषा)। यदि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ प्रेस को स्वतंत्र तरीके से काम नहीं करने दिया गया तो ‘लोकतंत्र की नींव’ को गहरी क्षति पहुंचेगी। यह बात राष्ट्रीय राजधानी की एक सत्र अदालत ने दिल्ली पुलिस की वह अपील खारिज करते हुए कही, जिसमें उसने समाचार पोर्टल द वायर के पांच सम्पादकों से जब्त किये गये इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लौटाने के आदेश को चुनौती दी थी।

दिल्ली पुलिस ने मजिस्ट्रेट अदालत के 23 सितंबर के उस आदेश को चुनौती देते हुए एक पुनरीक्षण याचिका दायर की थी, जिसमें जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ‘द वायर’ के पांच पत्रकारों- सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया, जाह्नवी सेन, एम के वेणु और मिथुन किदांबी को लौटाने के लिए कहा गया था।

पिछले साल अक्टूबर में पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी नेता अमित मालवीय की एक शिकायत पर पोर्टल और उसके संपादकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें मीडिया संस्थान पर ‘धोखाधड़ी और जालसाजी’ करने तथा उनकी प्रतिष्ठा को ‘खराब’ करने का आरोप लगाया गया था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन सिंह राजावत ने बुधवार को दिल्ली पुलिस द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि मजिस्ट्रेट अदालत के संबंधित आदेश ने कोई अधिकार तय नहीं किया है और केवल मामले की जांच के निष्कर्ष या निपटारे तक उपकरणों को ‘अंतरिम तौर पर कब्जे में लेने’ का आदेश दिया था।

सत्र अदालत ने कहा, ‘प्रेस को हमारे महान लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है और अगर इसे स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति नहीं दी गई, तो इससे हमारे लोकतंत्र की नींव को गंभीर चोट पहुंचेगी।’

सत्र अदालत ने याचिका को सुनवाई योग्य करार नहीं दिया और कहा कि मजिस्ट्रेट की ओर से पारित आदेश ‘विशुद्ध रूप से अंतरिम प्रकृति का’ था और कोई भी संशोधन इसके खिलाफ नहीं होगा।

इसने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश में कोई गलती नहीं पाई और कहा कि इसने न केवल पत्रकारों के हितों की रक्षा की है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि वे अपने उपकरणों को सुरक्षित रख सकें।

दिल्ली पुलिस की दलीलों को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि उपकरणों को लौटाने का आदेश यह देखने के बाद दिया गया क्योंकि उपकरणों की ‘मिरर इमेजिंग’ की जा चुकी है और अब उन्हें कब्जे में रखने की आवश्यकता नहीं है।

यह है मामला 

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ‘द वायर’ पर अपनी छवि बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त ‘अपराध’ को एक शिकायत सौंपी थी। इस शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने गत 29 अक्टूबर, 2022 को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी); 468, 469 (फर्जीवाड़ा); 471 (ठगी); 500 (मानहानि); 120बी (आपराधिक साजिश); और 34 (आपराधिक गतिविधि में शामिल होने) के तहत मामला दर्ज कर लिया।

अमित मालवीय की शिकायत में ‘द वायर’ के संस्थापक संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन और सिद्धार्थ भाटिया, एम.के. वेणु, एक्जीक्यूटिव न्यूज प्रोड्यूसर जाह्नवी सेन, फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म, और कुछ अज्ञात लोगों को प्रतिवादी बनाया गया था। भाजपा आईटी सेल प्रमुख ने ‘द वायर’ के पूर्व सलाहकार देवेश कुमार के ख़िलाफ भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।

छापेमारी के बाद पुलिस सिद्धार्थ वरदराजन और एम.के. वेणु के घर से कंप्यूटर, स्टोरेज डिवाइस व अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणें को ले गई थी।

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