वाराणसी। कितनी विडंबना है कि एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संत रविदास की 25 फीट ऊंची प्रतिमा का अनारण कर उनके मंदिर में जाकर मत्था टेककर दलितों में यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि सरकार उनकी हितैषी है तो वहीं दूसरी ओर वाराणसी में ही संत रविदास की जयंती के एक दिन पहले मिर्जामुराद के खालिसपुर गांव में उनकी प्रतिमा अराजक तत्वों द्वारा तोड़ दी जाती है। गांव के लोग सुबह मंदिर में पूजा के लिए जाते हैं तो प्रतिमा को खंडित देख उग्र हो वहीं पर शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर देते हैं। आनन-फानन में जिला प्रशासन ने उस स्थान पर नई प्रतिमा स्थापित करवाई।
ज्ञात हो कि मिर्जामुराद के खालिसपुर गांव में संत रविदास का मंदिर है। शुक्रवार की रात किसी व्यक्ति ने संत की प्रतिमा को खंडित कर दिया था। सुबह जब गांव के लोग संत की जयंती मनाने के लिए मंदिर में एकत्र हुए तो खंडित प्रतिमा को देखकर उग्र हो गए। गांव के लोग प्रतिमा के सामने ही बैठकर शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इसी दौरान गांव के सतीश कुमार नाम के व्यक्ति ने इसकी सूचना मिर्जामुराद थाने में दी। सूचना पाकर मिर्जामुराद के अलावा जंसा और कपसेठी थाने की पुलिस मौके पर पहुंची।
गुस्साए ग्रामीणों को पुलिस ने समझाबुझाकर शांत कराया। पुलिस ने तत्काल खंडित प्रतिमा के स्थान पर नई प्रतिमा लगवाकर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। इस बाबत ग्रामीणों का कहना है कि यह प्रतिमा 15 वर्ष पूर्व स्थापित की गई थी। रविदास की मूर्ति को ईंट और पत्थर से तोड़ा गया है। इस प्रतिमा को नहीं तोड़ा गया है बल्कि हमारी भावनाओं को तोड़ा जा रहा है। दोषियों को पुलिस तत्काल पकड़कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे नहीं तो हम चुप बैठने वाले नहीं हैं।
इस बारे में एसीपी राजातालाब अजय कुमार श्रीवास्तव का कहना है घटना की जांच मिर्जामुराद थानाध्यक्ष कर रहे हैं। जिसने भी यह काम किया है उसे जल्द ही चिन्हित करके उसके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।
थानाध्यक्ष मिर्जामुराद के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक समाचार लिखे जाने तक इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
यह कोई पहली घटना नहीं है
इसी प्रकार से उत्तर प्रदेश के जनपद मैनपुरी में थाना क्षेत्र बेवर के नवीगंज चौकी क्षेत्र के गांव श्यामपुर भटपुरा में 9 सितम्बर शनिवार की रात आंबेडकर प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। रात में जानकारी होने पर ग्रामीणों ने मामले की जानकारी चौकी पर दी। सूचना पर थाना पुलिस समेत क्षेत्राधिकारी और पुलिस किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए मौके पर पहुंची और लोगों को समझाबुझाकर शांत कराया।
इस प्रकार की दूसरी घटना वाराणसी के ही सारनाथ के पतेरवा गांव में रविदास की जयंती मना रहे ग्रामीणों के साथ कुछ अराजकतत्वों ने गाली गलौज करने की है। पतेरवा ग्राम प्रधानपति मिथिलेश कुमार ने बताया पड़ोसी गांव के नई बाजार चौराहे पर रविदास जयंती मना रहे लोगों के साथ छांही गांव के लोगों ने गाली गलौज कर मारपीट की। घटना की शिकायत मुन्नी, गीता, सीमा और खुशबू ने सारनाथ थाने में की है । इस बारे में सारनाथ थाना प्रभारी उदय प्रताप सिंह ने बताया कि नई बाजार चौराहे पर नशे की हालत में कुछ लोग कहासुनी कर रहे थे तो पुलिस ने सबको समझा बुझाकर हटा दिया था।
सत रविदास हों या बाबा साहब भीम राव, अम्बेडकर, इनकी प्रतिमा को तोड़ने की घटनाएं आए दिन देखने और सुनने में मिल रही हैं। लेकिन हद तो यह है एक तरफ देश के प्रधानमंत्री जिस संत की प्रतिमा का अनावरण कर रहे हैं उससे कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर इसी संत की प्रतिमा को तोड़ा जा रहा है। आखिर यह साहस उन अराजकतत्वों के अन्दर आ कहां से रहा है? यह एक बड़ा सवाल है।
सवाल तो यह भी खड़ा होता है कि आखिर देश में अभी तक इस प्रकार की जितनी भी घटनाएं घटित हुई हैं, उसमें कितनी गिरफ्तारियां हुईं और उन्हें क्या सजा मिली? गिरफ्तारियां हुईं भी या एक बार मामला शांत होने के बाद उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया ?
एक तरफ देश के प्रधानमंत्री गरीबों, दलितों के हित की बात करते हैं जबकि उनके संसदीय क्षेत्र में ही इस प्रकार की घटना हो घटित होती है तो आखिर इस मामले में क्या कार्रवाई हुई। अगर प्रदेश के मुखिया ने मामले में थोड़ी सी भी रूचि ली होती तो आज दोषी सलाखों के पीछे होते ।