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‘चंदे’ के लिए तोड़फोड़, न्यायालय ने सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

राममंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र करने के नाम पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों इंदौर के चंदनखेडी़, उज्जैन के बेगमबाग और मंदसोर जिले के ग्राम डोराना में रैलियां निकाली गई, अल्पसंख्यक समाजजनों के घरों, धर्मस्थल पर तोड़फोड़ की गई। रैली में गंदे, अपमानजनक नारे लगा कर लोगों को उकसाया गया। रैली में शामिल लोगों के पास बड़ी तादाद में अवैध हथियार भी थे। प्रशासन इन घटनाओं को रोक पाने में विफल रहा था। अलीराजपुर में इसाई धर्मावलंबियों पर भी हिंसक कार्रवाई हुई थी।

मुख्य सचिव, गृह मंत्रालय के प्रमुख सचिव, डीजीपी भोपाल, आईजी उज्जैन रेंज के अलावा इंदौर, उज्जैन, मंदसोर और अलीराजपुर के कलेक्टरों को बनाया गया प्रतिवादी

इंदौर। गत वर्ष प्रदेश में राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र करने के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय पर की गई हिंसा और अवैधानिक तोड़-फोड़ करने वाले आरोपियों पर कार्यवाही करने, जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इरादतन कर्त्तव्य पालन न करने पर उन्हें दण्डित करने और पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग को लेकर 22 जुलाई 2021 को इंदौर उच्च न्यायालय की डिविजन बेंच के सामने एक जनहित याचिका दायर की गई। माननीय न्यायाधीश सुजयपाल और अनिल वर्मा ने तथ्यों को सुनकर प्रदेश सरकार को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है।

बैठक करते प्रगतिशील लेखक संघ के लोग

याचिकाकर्ता की अभिभाषक शन्नो शगुफ्ता खान ने बताया कि समाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी की ओर से प्रस्तुत याचिका का आधार उस रिपोर्ट को बनाया गया है जिसे सामाजिक कार्यकर्ताओं के नौ सदस्यीय दल ने इस वर्ष के जनवरी माह में सार्वजनिक किया था। जांच दल ने घटनास्थल पर पहुँचकर तथ्य एकत्र किए थे।

याचिका में प्रदेश शासन के मुख्य सचिव, गृह मंत्रालय के प्रमुख सचिव, डीजीपी भोपाल, आईजी उज्जैन रेंज के अलावा इंदौर, उज्जैन, मंदसोर और अलीराजपुर के कलेक्टरों को प्रतिवादी बनाया गया है। अभिभाषक शन्नो शगुफ्ता खान ने याचिका में कहा कि गत वर्ष दिसंबर माह में राममंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र करने के नाम पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों इंदौर के चंदनखेडी़, उज्जैन के बेगमबाग और मंदसोर जिले के ग्राम डोराना में रैलियां निकाली गई, अल्पसंख्यक समाजजनों के घरों, धर्मस्थल पर तोड़फोड़ की गई। रैली में गंदे, अपमानजनक नारे लगा कर लोगों को उकसाया गया। रैली में शामिल लोगों के पास बड़ी तादाद में अवैध हथियार भी थे। प्रशासन इन घटनाओं को रोक पाने में विफल रहा था। अलीराजपुर में इसाई धर्मावलंबियों पर भी हिंसक कार्रवाई हुई थी।

याचिका में उच्च न्यायलय से अनुरोध किया गया कि वह अपनी निगरानी में एक स्वतंत्र तथ्या अन्वेषक दल वहां भेजें जहां ये सांप्रदायिक घटनाएं हुई थी। हिंसा में संलग्न सभी लोगों तथा बिना अनुमति के रैली निकालने वालों के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाएँ। उन सभी पीड़ितों जिनके घरों में तोड़फोड़ और लूट की गई उनको सरकार मुआवजा दे। उन पुलिस अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जाए जिनकी उपस्थिति में हिंसा की वारदात हुई और उन्होंने घटनाओं को नहीं रोका। उन प्रशासनिक अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जाए जिनकी देखरेख में बिना किसी नियम-कानून की प्रक्रिया का पालन किये घरों को तोड़ा गया था।

उल्लेखनीय है कि जनवरी माह में एक नौ सदस्यीय जाँच दल घटनास्थल पर जाँच हेतु गया था। इस जाँच दल में उत्तर प्रदेश के पूर्व जीडीपी एवं लेखक विभूति नारायण राय, सेंटर फॉर स्टडीज आॅफ सोसायटी एन्ड सेक्युलरिज्म, मुंबई से इरफान इंजीनियर, भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीक्षित, प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी, भारतीय महिला फेडरेशन, मध्य प्रदेश की राज्य सचिव सारिका श्रीवास्तव, नर्मदा बचाओ आंदोलन की चित्तरूपा पालित, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क की अभिभाषक शन्नो शगुफ्ता खान, एसओएएस यूनिवर्सिटी आॅफ लंदन की विद्यार्थी निदा केसर एवं मंदसौर के सामाजिक कार्यकर्ता तथा पत्रकार हरनामसिंह शामिल थे। इसी साम्प्रदायिक हिंसा के संबंध में एक याचिका प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की है।

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