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सिद्धारमैया ने भाजपा नेता के दावे को किया खारिज, चुनावी राज्यों में पार्टी बदल रहें हैं बागी

बेंगलुरु(भाषा)।  कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता के दावे को खारिज करते हुए मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार स्थिर है और गिर नहीं सकती। भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री रमेश जारकीहोली ने कहा था कि कर्नाटक में कांग्रेस नीत सरकार महाराष्ट्र की तरह गिरेगी। उन्होंने सोमवार को कहा […]

बेंगलुरु(भाषा)।  कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता के दावे को खारिज करते हुए मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार स्थिर है और गिर नहीं सकती। भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री रमेश जारकीहोली ने कहा था कि कर्नाटक में कांग्रेस नीत सरकार महाराष्ट्र की तरह गिरेगी। उन्होंने सोमवार को कहा था कि कर्नाटक में कांग्रेस नीत सरकार को किसी बाहरी के बजाय अंदर से खतरा है और सरकार के गिरने के लिए ‘उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार एंड कंपनी’ जिम्मेदार होगी। उन्होंने परोक्ष तौर पर पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में अजित पवार गुट के कदम से कर्नाटक की तुलना की।

 सिद्धारमैया ने जारकीहोली पर निशाना साधते हुए कहा, ‘हमारी सरकार स्थिर है और सिर्फ इसलिए गिरना संभव नहीं है, क्योंकि भाजपा के एक नेता ने ऐसा कहा है।’ जारकीहोली ने कांग्रेस के इस आरोप को सोमवार को खारिज किया था कि 2019 में जनता दल (सेक्युलर)-कांग्रेस गठबंधन सरकार को गिराने वाले एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं और सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों को रिश्वत की पेशकश कर रहे हैं।

जारकीहोली, पूर्व में कांग्रेस से जुड़े थे और चार साल पहले गठबंधन सरकार के गिरने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका देखी गई थी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने कभी भी ‘ऑपरेशन लोटस’ के बारे में बात नहीं की है’, इसके बजाय, उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार की ‘ड्रामा कंपनी’ इस बारे में बात कर रही है।

छत्तीसगढ़ विधायक बगावत, कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो भाजपा में शामिल हुए विधायक

अंबिकापुर(भाषा)।  छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज पार्टी के विधायक चिंतामणि महाराज ने मंगलवार को भाजपा का दामन थाम लिया। सरगुजा जिले के मुख्यालय अंबिकापुर में एक समारोह के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर और प्रदेश इकाई के महामंत्री (संगठन) पवन साय की उपस्थिति में महाराज आज भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस के वह तीसरे विधायक हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद बागी तेवर अपनाए हैं।

माथुर ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह चिंतामणि महाराज की ‘घर वापसी’ है। पूर्व में कोई कारण रहा होगा, इसलिए उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी। आज हमें बहुत खुशी है कि क्षेत्र में पार्टी को स्थापित करने वाला हमारा पूर्व कार्यकर्ता पार्टी में वापस लौट आया है। पूरी पार्टी उनका स्वागत करती है।’ चिंतामणि महाराज पहले भाजपा में थे। 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा महाराज को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारेगी, इस पर माथुर ने कहा कि इसके लिए इंतजार करें। महाराज वर्तमान में बलरामपुर जिले की सामरी सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। कांग्रेस ने इस बार विजय पैकरा को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ने इस सीट से उधेश्वरी पैकरा को अपना उम्मीदवार बनाया है जो बलरामपुर जिला पंचायत की सदस्य हैं। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लुंड्रा सीट से 2013 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और पहली बार विधायक चुने गए थे।

वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने महाराज को सामरी सीट से मैदान में उतारा था जहां उन्होंने भाजपा के सिद्धनाथ पैकरा को 21,923 मतों के अंतर से हराया था। पिछले सप्ताह भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय ने सामरी क्षेत्र में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान महाराज से मुलाकात की थी।

बैठक के बाद महाराज ने संवाददाताओं से कहा था कि यदि उन्हें अंबिकापुर सीट (कांग्रेस के उम्मीदवार और उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव के खिलाफ) से मैदान में उतारा जाता है तो वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। महाराज ने यह भी कहा था कि भाजपा उन्हें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उतारने के लिए तैयार है लेकिन उन्होंने अंबिकापुर से अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की शर्त रखी है।

अंबिकापुर सीट से भाजपा ने नए चेहरे राजेश अग्रवाल को मैदान में उतारा है। महाराज प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और संत स्वर्गीय रामेश्वर गहिरा गुरु के पुत्र हैं। गहिरा गुरु का उत्तर छत्तीसगढ़ में विशेषकर आदिवासियों के बीच काफी प्रभाव था। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से दो अन्य विधायकों-अनूप नाग और किस्मत लाल नंद ने भी बागी तेवर अपनाए हैं। नाग के अंतागढ़ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले के बाद कांग्रेस ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। वहीं, नंद जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) में शामिल हो गए हैं और अपनी मौजूदा सीट सरायपाली से चुनाव लड़ रहे हैं। राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए सात और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा।

तेलंगाना में टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस नेताओं को मिला बीआरएस का साथ
हैदराबाद (भाषा)।  तेलंगाना में 30 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की राज्य इकाई में टिकट वितरण को लेकर असंतोष देखा जा रहा है। असंतुष्ट पार्टी नेता सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का दामन थाम रहे हैं हैं तथा मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पार्टी भी उन्हें लुभाने की कोशिश करती नजर आ रही है। टिकट नहीं मिलने के कारण पूर्व मंत्रियों सहित कुछ प्रमुख नेताओं ने देश की सबसे पुरानी पार्टी को अलविदा कहने का फैसला किया तो बीआरएस ने उनका तत्काल स्वागत किया। वर्ष 2014 से राज्य में सत्तारूढ़ बीआरएस की नजर इस बार चुनावी जीत की हैट्रिक पर है।

कई नेताओं के पाला बदलने पर कांग्रेस ने कहा कि चुनावी लड़ाई के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए जीत की संभावना एक प्रमुख आधार होता है।

कांग्रेस के जिन असंतुष्ट नेताओं ने पाला बदलने का फैसला किया उनमें पूर्व मंत्री नागम जनार्दन रेड्डी भी शामिल हैं। बीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव से पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण मिलने के बाद रेड्डी ने कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने पिछले रविवार को चंद्रशेखर राव से मुलाकात की थी। इसी तरह, दिवंगत कांग्रेसी दिग्गज पी जनार्दन रेड्डी के बेटे, पूर्व विधायक पी विष्णु वर्धन रेड्डी ने भी हैदराबाद में जुबली हिल्स सीट के लिए उम्मीदवार नहीं बनाए जाने के बाद केसीआर से मुलाकात की। कांग्रेस ने जुबली हिल्स से पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अज़हरुद्दीन को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने 27 अक्टूबर को 45 उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची की घोषणा की थी। इसके साथ ही उसने कुल 119 विधानसभा सीटों में से 100 के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। टिकट नहीं मिलने के बाद कांग्रेस के कई आकांक्षी नेताओं ने नाराजगी व्यक्त की। उनमें से कुछ के बीआरएस में शामिल होने की संभावना है।

विष्णु वर्धन रेड्डी के नाराज समर्थकों ने दो दिन पहले राज्य कांग्रेस मुख्यालय गांधी भवन पर पोस्टर फाड़ दिए और पथराव किया। हालांकि कांग्रेस ने यहां खैराताबाद से विष्णु वर्धन रेड्डी की बहन विजया रेड्डी को टिकट दिया है। तेलंगाना में सभी 119 सीटों के लिए 30 नवंबर को मतदान होना है। तीन दिसंबर को मतगणना होगी।

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