Sunday, December 21, 2025
Sunday, December 21, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमसामाजिक न्याय

सामाजिक न्याय

नांदेड़ : राजनीति और शासन जाति की सड़ांध से प्रेमियों को नहीं बचा सकते

इस कहानी का सबसे बुरा हिस्सा यह है कि सक्षम और आंचल के रिश्ते के बारे में परिवार में सभी जानते थे और उन्होंने उनके रिश्ते को स्वीकार करने का नाटक किया, लेकिन यह परिवार की एक चाल थी और आखिरी दिन उन्होंने सक्षम की हत्या कर दी। बात यहीं खत्म नहीं हुई, आंचल ने अपना विरोध दिखाया और सक्षम की लाश से शादी कर ली। 'सिंदूर' लगाया और मांग की कि उसके माता-पिता और भाइयों को फांसी दी जाए।

आरएसएस के संविधान विरोध पर गूगल का नज़रिया

यह सच है कि 26 नवम्बर, 1949 को संविधान राष्ट्र को सौंपे जाने के दिन से ही आरएसएस इसका विरोधी रहा है। हालांकि तमाम लोगों की भांति मुझे भी मालूम था कि डॉ. आंबेडकर द्वारा तैयार भारतीय संविधान मनुस्मृति पर आधारित न होने के कारण ही संघ इसका विरोधी रहा है, लेकिन यह लेख शुरू करने से पहले यह जानने का कौतूहल हुआ कि गूगल इस पर क्या राय देता है? मैंने गूगल से सवाल किया कि संघ भारतीय संविधान का क्यों विरोधी रहा है, तो जो जवाब मिला, वह वही था जो हम जानते हैं। आइये जानते हैं गूगल का जवाब-

बहुजनों के लिए बहुत बुरा साबित हुआ है यह अक्तूबर

आज 2025 का अक्तूबर का आखिरी दिन है। यह माह कई कारणों से बहुजनों के लिए दु:स्वप्न बना रहा। इसी माह की दो तारीख को 1925 में स्थापित आरएसएस ने सौ साल पूरे होने का जश्न मनाया। इसी माह में छः तारीख को देश के राजनीति की दिशा तय करने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई। लेकिन संघ के सौ साल पूरे होने व बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के अतिरिक्त जिस एक अन्य कारण से इस बार का अक्टूबर दु:स्वप्न बना, वह है संघ के सौ साल पूरा होने के बाद से उत्तर प्रदेश सहित भाजपा शासित मध्य प्रदेश, हरियाणा में  दलित–बहुजनों के खिलाफ शुरू हुआ अपमान, भेदभाव और उत्पीड़न से लेकर आत्महत्या की घटनाओं का सिलसिला, जो अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। अक्तूबर 2025 के आकलन का यह मौलिक तरीका निस्संदेह एक महत्वपूर्ण पद्धति है।

जस्टिस गवई को ‘भीमटा’ की गाली सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक सरोकारों के सिमटते जाने का संकेत है

भारत की सड़ी हुई राजनीति और मनुवादी मानसिकता का असली चेहरा तब सामने आता है जब दलित समाज से आया व्यक्ति सत्ता, न्याय या प्रतिष्ठा की ऊँचाई पर पहुँच देश का मुख्य न्यायाधीश बनता हैऔर मनुवादी उसे सहज स्वीकार नहीं करते। इधर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई को सोशल मीडिया पर 'भीमटा' कहकर अपमानित किया गया। यह केवल एक गाली नहीं है। यह उस आंबेडकरवादी विचारधारा पर हमला है जिसने मनुवाद की नींव हिलाई थी। यह संविधान और लोकतंत्र को नीचा दिखाने की कोशिश है।

घरेलू हिंसा की पीड़िता की मदद करने वाली पुणे की दलित महिलाओं को धंधेवाली कहकर थाने में किया गया प्रताड़ित

पुणे में घरेलू हिंसा की शिकार एक युवती ने अपने बचाव के लिए एक सामाजिक संस्था से संपर्क किया जिसकी कार्यकर्ता ने अपनी एक वकील मित्र से उस युवती को कोथरूड में रहनेवाली कुछ कामकाजी महिलाओं के साथ साथ रहने का बंदोबस्त कर दिया। एक पुलिसकर्मी के परिवार की बहू उस युवती के ससुर ने पता लगाकर उन महिलाओं को न केवल जातिसूचक गालियाँ दी बल्कि उनके साथ मारपीट की और अपनी पहुँच की बल पर उन्हें थाने ले गया, जहाँ उन्हें अश्लील गालियाँ देते हुए देह व्यापार करनेवाली कहा गया। गौरतलब है कि पीड़ित महिलाएं दलित समुदाय से आती हैं। थाणे में उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई बल्कि उन्हें प्रताड़ित किया गया। इस मामले ने दलित महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। भंडारा की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक अध्येता मिनल शेंडे की टिप्पणी।

आधुनिक भारत में वर्ग संघर्ष के आगाज का दिन है सात अगस्त!

आज 7 अगस्त है। एकाधिक कारणों से इतिहास का खास दिन! यह लेख शुरू करने के पहले मैंने इस दिन का महत्व जानने के...

वरिष्ठ अधिवक्ता के ऊपर हुए प्राणघातक हमले के खिलाफ अधिवक्ताओं ने धरना कर जिलाधिकारी माध्यम से मुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन 

वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्ण चंद्र यादव  के खिलाफ हुए जानलेवा  हमले के बाद जिला प्रशासन व पुलिस द्वारा अपराधियों के संरक्षण के खिलाफ अधिवक्ताओं ने...

जातिगत जनगणना के मुद्दे पर जनसंवाद संपन्न 

4 अगस्त को दिन में 3:00 बजे से जातिगत जनगणना के मुद्दे पर जन  संवाद का आयोजन तहसील सदर वाराणसी के सभागार  में किया...

आज उत्तर भारत में पिछड़ी जातियों को आत्मसम्मान आन्दोलन की आवश्यकता है

संवाद का दूसरा और अंतिम हिस्साश्री के वीरामणि द्रविड़ आन्दोलन के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं। 2 दिसंबर 1933 को कड्डलूर तमिलनाडु में जन्मे...

सामाजिक न्याय के बगैर दूर का सपना है महिला सशक्तीकरण

आज पूरे देश में महिला सशक्तिकरण की बात की जा रही है। इसे लेकर बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का आज नारा भी उछाला जा...

पेरियार ने ब्राह्मणवादी वर्चस्व के खिलाफ सांस्कृतिक मोर्चा खोला जो आज भी जरूरी है

द्रविड़ कझगम के अध्यक्ष थिरु के वीरामणि से सामाजिक कार्यकर्ता विद्या भूषण रावत की बातचीतयह साक्षात्कार एक नवम्बर 2019 में द्रविड कड़गम के मुख्यालय...
Bollywood Lifestyle and Entertainment