Tuesday, October 21, 2025
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वाराणसी : सभी निजी शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मातृत्व लाभ देना जरूरी, राष्ट्रीय महिला आयोग ने दिया आदेश

राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने वाराणसी स्थित सनबीम वीमेंस कॉलेज वरुणा को शिकायतकर्ता संगीता प्रजापति को सात दिनों के अंदर मातृत्व लाभ मुहैया कराने का आदेश दिया। उन्होंने कहा- मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के अनुसार मातृत्व लाभ प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान पर लागू होता है, क्योंकि यह प्रत्येक महिला का मूलाधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत यह एक बड़ी जीत हासिल हुई है।

बनारस : गांधी जयंती के अवसर पर ‘एक कदम गांधी के साथ’ पदयात्रा आरंभ

सर्व सेवा संघ की 'एक कदम गांधी के साथ' पदयात्रा गांधी जयंती के दिन वाराणसी राजघाट से शुरू की गई है, जो अनवरत 56 दिनों तक विभिन्न जिलों-प्रदेशों से होती हुई संविधान दिवस के दिन दिल्ली राजघाट में सम्पन्न होगी। यह यात्रा  1000 किमी की दूरी तय करेगी। इस यात्रा का उद्देश्य देश में चल रहे नफरत और सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ अहिंसात्मक तरीके से विरोध दर्ज करना है।

वाराणसी : हिन्दू कट्टरपंथी ताक़तों के दबाव में आईआईटी बीएचयू में गौहर रज़ा का कार्यक्रम रद्द 

वाराणसी स्थित आईआईटी-बीएचयू में प्रसिद्ध वैज्ञानिक, कवि और विचारक गौहर रज़ा के व्याख्यान का 23 सितंबर कोऑनलाइन कार्यक्रम हिन्दू कट्टरपंथी संगठनों के दबाव में रद्द कर दिया गया। देश में असहमति की आवाज और प्रगतिशील विचारों को कुचलने की बढ़ती प्रवृत्ति और लगातार कोशिशें फासीवादी मानसिकता का परिचायक है।

आजमगढ़ : बिजली की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाले वजीरमलपुर क़े ग्रामीणों पर पुलिसिया दमन

बिजली की मांग को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे थे तो रात में पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया और गाँव में घुसकर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। घटना की सूचना पर सोशलिस्ट किसान सभा और सामाजिक न्याय मंच के प्रतिनिधि मंडल ने गाँव पहुंचकर पीड़ितों से मुलाक़ात की। 

वाराणसी : डीएनटी समुदाय ने ‘विमुक्त जाति दिवस’ मनाया

डीएनटी समुदाय हर वर्ष 31 अगस्त को, विमुक्त जाति दिवस का आयोजन करता है। इस अवसर पर 1871 के क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के अन्याय और 1952 में मिली मुक्ति के ऐतिहासिक महत्व को याद कर विमुक्त समाज को समाज को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास लगातार जारी रखा हुआ है।

राज्य महिला आयोग के निर्देश पर दर्ज हुआ महिलाओं का बयान

जमुआ हरिराम गांव की महिलाओं से सीओ सीटी ने सुना उत्पीड़न का पूरा मामला। दो दलित महिलाओं ने कंधारपुर थाने के एसआई रतन कुमार सिंह पर आरोप लगाया कि वह खिरिया बाग आकर महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करते हैं।

हक़ की हर आवाज़ पर पहरेदारी है और विकास के नाम पर विस्थापन जारी है

[भव्यता के ख्वाब तले कुचले जा रहे स्वपन अब एक बड़े वर्ग की आँखों में चुभने लगे हैं। लोग दर्द में हैं और हक़ की आवाज पर सरकार की पहरेदारी है। धमकियाँ हैं। बावजूद इसके लोग अब भी लड़ रहे हैं। जब तक लोग लड़ रहे हैं तब तक उम्मीद जिंदा है। इस जिंदा उम्मीद के लिए न्याय की नियति क्या होगी, भविष्य क्या होगा, इस पर अभी तो प्रश्नवाचक का पेंडुलम वैसे ही झूल जा रहा है, जैसे समय के साथ चलने वाली घड़ी के बंद हो जाने पर उसका पेंडुलम खामोशी से झूलता रहता है और इंतजार करता रहता है कि कभी तो कोई उसकी चाभी भरकर उसे चला देगा।

बेराह बनारस में बवाल उर्फ मोदी सरकार के नौ साल

समर्थकों के विशेष वर्ग को उन आलोचनाओं को सुन अपना पारा नहीं चढ़ाना चाहिए, जिन आलोचनाओं में भारत सरकार, केंद्र सरकार या एनडीए सरकार का संबोधन प्रयोग किया जाता है। ये तीनों अब कहीं हैं ही नहीं। यहां तक कि अब तो विदेश भी मोदी सरकार ही जाती है, भारत सरकार नहीं। जब भारत सरकार की जगह एक व्यक्ति विदेशी दौरों पर जाएगा, तो वो देश के कार्य से अधिक तवज्जो व्यक्तिगत कार्य को देगा।

अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का पीटा जा रहा ढिंढोरा, प्रशासन कह रहा ऐसी कोई परियोजना है ही नहीं

किसान मजदूर 8 महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। यह धरना तब शुरू हुआ जब 12-13 अक्टूबर को एसडीएम सगड़ी, कंधरापुर थानाध्यक्ष व अन्य राजस्वकर्मीयों द्वारा भारी पुलिस बल के साथ जबरन गांव में बिना किसी सूचना के सर्वे किया जाने लगा। गैरकानूनी कार्यवाई का ग्रामीणों ने विरोध किया तो महिलाओं, बुजुर्गों को बुरी तरह से मारा-पीटा गया और दलित महिलाओं को जाति सूचक गालियां दी गईं।

महिला पहलवानों के शोषण मामले में पीएम मोदी की चुप्पी पर दख़ल ने उठाया सवाल

सामाजिक संगठन दख़ल के लोगों ने निकाला कैंडिल मार्च वाराणसी। दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रहे महिला पहलवानों के धरने के समर्थन में बनारस की...

अंडिका बाग आंदोलनकारियों के ऊपर दर्ज किए जा रहे हैं फर्जी मुकदमें 

वक्ताओं ने कहा कि जिन लोगों ने फर्जी सर्वे करके गांव वालों का जीना दूभर कर दिया है, उनके खिलाफ मुकदमा होना चाहिए था। लेकिन ग्रामवासियों पर मुकदमा करके सरकार ने साबित कर दिया है कि वह किसान और मजदूर विरोधी है।
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