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सुजॉय घोष मीडिया अवार्ड विजेता हुये सम्मानित

नई दिल्ली। लेखन के माध्यम से गांव के सामाजिक मुद्दों को मीडिया में प्रमुखता दिलाने वाली सामाजिक संस्था चरखा डेवलपमेंट कम्युनिकेशन नेटवर्क ने गुरुवार को नई दिल्ली स्थित इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर में अपना 29वां स्थापना दिवस समारोह मनाया। इस अवसर पर संजॉय घोष मीडिया अवॉर्ड के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में […]

नई दिल्ली। लेखन के माध्यम से गांव के सामाजिक मुद्दों को मीडिया में प्रमुखता दिलाने वाली सामाजिक संस्था चरखा डेवलपमेंट कम्युनिकेशन नेटवर्क ने गुरुवार को नई दिल्ली स्थित इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर में अपना 29वां स्थापना दिवस समारोह मनाया। इस अवसर पर संजॉय घोष मीडिया अवॉर्ड के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आज़ाद फाउंडेशन की संस्थापक मीनू वडेरा उपस्थित थीं। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और चरखा संस्थापक संजॉय घोष को श्रद्धांजलि के साथ हुई।

इस अवसर पर चरखा अध्यक्ष उषा राय ने संस्था द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में संचालित कार्यक्रमों की रूपरेखा बताई। उन्होंने बताया कि किस प्रकार चरखा देश के दूर दराज़ ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक मुद्दों पर लिखने में रूचि रखने वाले लेखकों की पहचान कर न केवल उनमें लेखन की क्षमता को विकसित करता है बल्कि उसे मीडिया की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास भी करता है। वर्तमान में उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित गरुड़ और कपकोट ब्लॉक की युवा किशोरियों के साथ प्रोजेक्ट दिशा का विशेष उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे न केवल वह सफल लेखक बन रही हैं बल्कि महिला अधिकारों के प्रति जागरूक बन कर पितृसत्तात्मक समाज को चुनौती भी दे रही हैं

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मीनू वडेरा ने संजॉय घोष द्वारा शुरू किये गए कार्यों और उनके दृष्टिकोण को ग्रामीण समाज के विकास में अहम प्रयास बताया। उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ़ रूरल मैनेजमेंट, आणंद (इरमा) की चर्चा करते हुए बताया कि वह इस संस्था में सुजॉय की जूनियर बैच थी। संस्था में पढ़ाई के दौरान ही ग्रामीण भारत के संबंध में सुजॉय का दृष्टिकोण स्पष्ट था। वह ग्रामीण भारत के लोगों की आवाज़ को भी शहरी क्षेत्रों के बराबर मीडिया में स्थान दिलाना चाहते थे। चरखा की स्थापना उनके इसी विज़न का हिस्सा थी। आज चरखा देश के दूर दराज़ इलाकों में जिस प्रकार लेखन के माध्यम से सामाजिक चेतना फैला रहा है, उसका उदाहरण बहुत कम देखने को मिलता है। वर्ष 2003 से संजॉय के नाम से दिये जा रहे मीडिया अवार्ड की प्रशंसा करते हुए मीनू वडेरा ने कहा कि इससे एक ओर जहां लेखकों का उत्साह बढ़ता है वहीं ग्रामीण भारत की कई कहानियां मेन स्ट्रीम मीडिया में उभर कर सामने आती है।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उत्तराखंड के बागेश्वर जिला में चरखा द्वारा संचालित ‘प्रोजेक्ट दिशा’ की डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर नीलम ग्रैंडी ने भी संबोधित किया। उन्होंने पिछले 2 वर्षों में क्षेत्र में प्रोजेक्ट दिशा से पहले और बाद की परिस्थिति का ज़िक्र करते हुए बताया कि किस प्रकार दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरा और संस्कृति के नाम पर महिलाओं और किशोरियों को मानसिक यातनाओं से गुज़रना पड़ता था। माहवारी के समय जब उन्हें अपनों का सबसे अधिक साथ चाहिए होता है, ऐसे समय में उन्हें घर से बाहर गौशाला में रहने को मजबूर होना पड़ता था। महिलाएं और किशोरियां अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और सशक्त नहीं थीं। लेकिन पिछले दो सालों में काफी परिवर्तन आया है। किशोरियां न केवल अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने लगी हैं बल्कि वह आलेख के माध्यम से लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ लिखने भी लगी हैं। जिसे चरखा फीचर के माध्यम से देश के तीनों प्रमुख भाषाओं हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी के समाचारपत्रों और वेबसाइट पर प्रकाशित भी हो रही है। इसका ज़मीनी स्तर पर भी काफी प्रभाव दिखने लगा है। अब न केवल सामाजिक बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी किशोरियों की आवाज़ को महत्त्व दिया जाने लगा है। कई ऐसी कहानियां हैं जिसका ज़मीनी स्तर पर प्रभाव दिखने लगा है। प्रोजेक्ट दिशा से जुड़ने के बाद किशोरियों ने न केवल घर के अंदर बल्कि सामाजिक रूप से भी संकुचित मानसिकता के विरुद्ध लोगों की सोच को बदलने में सफलता पाई है।

इस अवसर पर चरखा अध्यक्ष उषा राय, मुख्य अतिथि मीनू वडेरा और नीलम ग्रैंडी द्वारा दो श्रेणियों में कुल 6 प्रतिभागियों को उनके लेखन के आधार पर साल 2023 का सुजॉय घोष मीडिया अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। श्रेणी 1 में जहां दो स्वतंत्र पत्रकारों ओडिशा की ऐश्वर्या मोहंती और उत्तर प्रदेश की जिज्ञाषा मिश्रा को प्रदान किया गया वहीं श्रेणी 2 में लेखन के आधार पर चयनित युवा किशोरियां क्रमशः केंद्रशासित क्षेत्र जम्मू कश्मीर के पुंछ से सैय्यदा तैयबा काज़मी, लद्दाख से कमरून निसा, उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित गरुड़ ब्लॉक के लामबगड़ से महिमा जोशी और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की युवा लेखिका ज्योति को अवार्ड प्रदान किया गया। सभी श्रेणियों की विजेताओं को समाज में ग्रामीण किशोरियों और महिलाओं के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर आलेख के लिए प्रदान किया गया।

इस अवसर पर पिछले 11 वर्षों से चरखा के लिए विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर आलेख लिखने और क्षेत्र में बदलाव के पर्याय बन चुके जम्मू के पुंछ स्थित मंडी ब्लॉक के सीनियर राइटर मो. रियाज़ मलिक को चरखा प्रेसिडेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रोजेक्ट दिशा से जुड़ी किशोरियों सीमा मेहता, पूजा गोस्वामी, महिमा जोशी, कविता रावल, तनुजा भंडारी और दीक्षा द्वारा डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर नीलम ग्रैंडी के मार्गदर्शन और कमला कोरंगा के निर्देशन में सामाजिक जागरूकता पर आधारित एक कठपुतली नाटक प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में चरखा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी चेतना वर्मा ने उन सभी को धन्यवाद दिया जिन्होंने चरखा को आगे बढ़ाने और इसके विकास में योगदान दिया है और निरंतर दे रहे हैं।

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