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न्यूजक्लिक मामला : एम्स को प्रबीर पुरकायस्थ की स्वास्थ्य-स्थिति की जांच के लिए बोर्ड गठित करने का निर्देश

यह निर्देश उस वक्त आया जब पुरकायस्थ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल की चिकित्सा स्थिति के बारे में जेल अधिकारियों द्वारा दायर रिपोर्ट सही नहीं है।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की स्वास्थ्य की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का मंगलवार को निर्देश दिया। पुरकायस्थ फिलहाल गैर-कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज एक मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने एम्स के निदेशक को एक बोर्ड गठित करने तथा दो सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘…इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यह उचित होगा कि एम्स निदेशक की ओर से गठित मेडिकल बोर्ड (पुरकायस्थ की) चिकित्सा स्थिति की जांच करे। बोर्ड याचिकाकर्ता के जेल रिकॉर्ड और संपूर्ण चिकित्सा इतिहास पर भी विचार करेगा।’

यह निर्देश उस वक्त आया जब पुरकायस्थ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल की चिकित्सा स्थिति के बारे में जेल अधिकारियों द्वारा दायर रिपोर्ट सही नहीं है।

सिब्बल ने कहा कि पुरकायस्थ की जो मेडिकल रिपोर्ट आई है, उसमें वह स्थिति शामिल नहीं है, जिसका उन्हें जेल में सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘हमें एम्स द्वारा (चिकित्सकीय स्थिति की) जांच से कोई दिक्कत नहीं है।’

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने कहा कि ऐसी स्थिति में पुरकायस्थ को इसका खर्च उठाना होगा। उन्होंने पूछा कि उनके (पुरकायस्थ के) साथ विशेष सुलूक क्यों किया जाना चाहिए।

इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, ‘क्योंकि वह आपके मेहमान हैं और आपकी हिरासत में हैं। मिस्टर राजू, जोधपुर में एक दोषी है जिसे समय-समय पर एम्स भेजा जा रहा है और (उसकी ओर से) कोई खर्च नहीं दिया जा रहा है।’

सिब्बल ने कहा कि अगर सरकार को वित्त संबंधी कोई समस्या है तो ‘हम इसे देख लेंगे’। उन्होंने कहा, ‘मैं व्यक्तिगत रूप से सरकार को चंदा दे सकता हूं। कोई समस्या नहीं।’

न्यूज़क्लिक के मानव संसाधन विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने पहले यूएपीए के तहत अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ उच्चतम न्यायालय से याचिका वापस ले ली थी।

इस महीने की शुरुआत में दिल्ली की एक अदालत ने चक्रवर्ती को चीन समर्थक प्रचार प्रसार के लिए धन प्राप्त करने के आरोपों के सिलसिले में यूएपीए के तहत समाचार पोर्टल के खिलाफ दर्ज मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति दी थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुरकायस्थ और समाचार पोर्टल के मानव संसाधन (एचआर) विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी एवं पुलिस हिरासत के खिलाफ दायर याचिकाओं को 13 अक्टूबर को खारिज कर दिया था। दोनों को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।

मामले में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, भारत की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए कथित तौर पर चीन से न्यूज पोर्टल को भारी धनराशि प्राप्त हुई थी।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान निर्वाचन प्रक्रिया को बाधित करने के लिए ‘पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म’ (पीएडीएस) नामक समूह के साथ मिलकर साजिश रची थी।

 

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