वाराणसी के शास्त्री घाट, कचहरी पर भी पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, खाद्य-पदार्थों, दवाई, फलों सहित कई चीजें की दामों हो रही बेतहाशा वृद्धि के खिलाफ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और उत्तर प्रदेश किसान सभा वाराणसी के बैनर तले विरोध-प्रदर्शन व सभा का आयोजन किया गया था। यहां पर भी राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। शास्त्री घाट पर हुए सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश दिखाते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकार जनता को मंहगाई से राहत दिलाने की बजाय केवल रोज-रोज नयी-नयी योजनाओं की शुरुआत कर सब्जबाग दिखाने में लगी है। हम सब इसका जवाब भविष्य के चुनावों में देंगे।
किसान आंदोलन का एक हासिल यह भी है कि इसने सत्ता और कॉरपोरेट मीडिया के चरित्र, उसकी प्राथमिकताओं एवं रणनीतियों को आम लोगों के सम्मुख उजागर किया है। हमारी सरकारें जन आंदोलनों से निपटने के लिए उन्हीं रणनीतियों का सहारा लेती दिख रही हैं जो गुलाम भारत के अंग्रेज शासकों द्वारा अपनाई जाती थीं।
किसान को पिज्जा खाते, जींस पहने हुए या एसी में देखकर दलाल और कोर्पोरटी किस्म के लोगों से सहन नहीं होता और उन्हें वे किसान मानने से इंकार करते हैं लेकिन अमिताभ बच्चन किसान हो सकता है भले उन्हें किसानी का क भी न आए। ऐसे दलाल लोग के साथ सरकार भी चाहती है कि देश की कृषि व्यवस्था कॉर्पोरेट के हाथ मे चले जाये और कृषि के यह तीन कानून इसी व्यवस्था को मजबूत करने की साजिश है।