Tuesday, July 1, 2025
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तीन कृषि कानून

भारत की साहसी न्यायपालिका और जोतीराव फुले का स्मरण (डायरी 28 नवंबर, 2021)

बदले हालात में न्यायपालिका ही शासन का वह तंत्र है, जिसकी साख कुछ हद तक बची है। इस वाक्य को लिखते समय मैं सावधानी...

तीनों कृषि कानूनों की वापसी : किसानों की जीत या सरकार की हार

आज भारत सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। साल भर से चल रहे किसान आन्दोलन को आज खत्म करने...

सुप्रीम कोर्ट का सहज संज्ञान और सरकार का रवैया

लखीमपुर खीरी की बर्बरतापूर्ण घटना के बाद इंटरनेट पर वायरल हुये वीडियो और मारे गए किसानों के साथ प्रदर्शन में शामिल किसानों के बयान...

क्या महत्वपूर्ण मुद्दों पर बैठकें दिशाहीन हो चुकी हैं

पूर्वांचल में किसानों की समस्याएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की समस्याओं से कहीं ज्यादा हैं लेकिन उनका कोई मुकम्मल संगठन नहीं होने की वजह से उनका गुस्सा और उनकी तकलीफें उनके और उनके परिवार तक सीमित हो गई हैं। पूर्वांचल में किसान संगठनों के नाम पर राजनीतिक पार्टियों के आनुषांगिक संगठन ही केवल काम कर रहे हैं, इसलिए किसानों का झुकाव भी इन संगठनों के प्रति अपनापन का नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा की पूर्वांचल इकाई की संरचना भी कुछ ऐसी ही दिखाई दे रही है। शायद इस वजह से पूर्वांचल में कोई बड़ा किसान आंदोलन खड़ा नहीं हो पा रहा है। 

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