Sunday, January 26, 2025
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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राजनीति

लोकतंत्र बनाम लोकतंत्र

हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के कुछ बड़े निहितार्थ हैं जिन पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। परिणाम केवल उन पांच...

यूपी का यह चुनाव विपक्षियों से ज्यादा जनता का संघर्ष है

10 फ़रवरी से शुरू हुआ पांच राज्यों का चुनाव 7 मार्च को समाप्त हो रहा है। कहने को तो यह 5 राज्यों का चुनाव...

समाज मेरा चेहरा नहीं बल्कि काम देख कर इकट्ठा हो रहा है

पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ी जाति में आने वाले कुम्हार समाज के ऊपर लगातार सामंतों और अपराधियों के हमले हो...

लेखक समाज के आगे मशाल लेकर चलता है यह मुहावरा अब भ्रम पैदा करता है

बातचीत का तीसरा हिस्सा लेखक का एक्टिविज्म से जुड़ना कितना जरूरी है ? लेखक को हर उस चीज़ से जुड़ना चाहिए जो लोगों की ज़िन्दगी में...

लखीमपुर खीरी नरसंहार के मामले में सियासत के इस पेंच को आप समझते हैं?(डायरी 9 अक्टूबर 2021)

राजनीति की खासियत यह है कि इसकी दिशा एकदम से सीधी नहीं होती है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि राजनीति का संबंध सत्ता...

दलित साहित्य आइडियोलॉजिकल क्राइसिस से जूझ रहा है

बातचीत का दूसरा हिस्सा आपकी नज़र में हिंदी में कितना साहित्य इस समय अम्बेडकरी कहा जा सकता है ? अम्‍बेडकरवादी साहित्‍य से मेरा तात्‍पर्य उस साहित्‍य...

किसान आंदोलन का हासिल और भविष्य की चुनौतियां

किसान आंदोलन का एक हासिल यह भी है कि इसने सत्ता और कॉरपोरेट मीडिया के चरित्र, उसकी प्राथमिकताओं एवं रणनीतियों को आम लोगों के सम्मुख उजागर किया है। हमारी सरकारें जन आंदोलनों से निपटने के लिए उन्हीं रणनीतियों का सहारा लेती दिख रही हैं जो गुलाम भारत के अंग्रेज शासकों द्वारा अपनाई जाती थीं।

चरणजीत सिंह चन्नी, लालू प्रसाद और जीतनराम मांझी  डायरी (1 अक्टूबर, 2021)

बदलाव की अनेक परिभाषाएं मुमकिन हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि बदलाव अदिश नहीं होते। उनके साथ एक दिशा होती ही है। और फिर यह...

नागरिकता की तलाश में असम के शहर और जंगल!       

उत्तर पूर्व की यात्रा  बागडोगरा से आगे सिलीगुड़ी और उससे आगे कलिम्पोंग और सिक्किम का रास्ता जिस तरह तीस्ता नदी को समर्पित है, कुछ उसी...

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