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लालू प्रसाद
अच्छे शासक लोगों से प्यार करते हैं, डरते नहीं हैं (डायरी 6 जनवरी, 2022)
अक्सर एक विचार आता है कि अपने गृहप्रदेश बिहार पर नाज करूं। जब यह विचार आता है तो मेरा मन खुद ही अनेकानेक सवाल...
बिहार का अंधा हुक्मरान, बेजुबान अखबार (डायरी 4 नवंबर, 2021)
बचपन में यह नाटक पढ़ा था– अंधेर नगरी, चौपट राजा। यह कमाल का नाटक है। कमाल इसलिए कि यह हर समय प्रासंगिक है। आज...
पटना के एम्स में चाहिए इलाज तो देना होगा वीवीआईपी होने का प्रमाण (डायरी 3 नवंबर, 2021)
यह एक मजदूर की दास्तान है और वह भी असंगठित क्षेत्र के मजदूर की जो रिश्ते में मेरा चचेरा भाई भी है। उम्र में...
चरणजीत सिंह चन्नी, लालू प्रसाद और जीतनराम मांझी डायरी (1 अक्टूबर, 2021)
बदलाव की अनेक परिभाषाएं मुमकिन हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि बदलाव अदिश नहीं होते। उनके साथ एक दिशा होती ही है। और फिर यह...
उत्तर भारत में पेरियार के बदले क्यों पूजे जाते हैं विश्वकर्मा? डायरी (17 सितंबर, 2021)
बंगाल और बिहार में अनेकानेक सांस्कृतिक समानताएं हैं। फिर चाहे वह खाने-पीने का मामला हो या तीज-त्यौहारों का। भाषा में भी बहुत अधिक अंतर...
शब्द, सत्ता, सरोकार और राजेंद्र यादव डायरी (30 अगस्त, 2021)
शब्द और सत्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध होता है। यह मेरी अवधारणा है। शब्द होते भी दो तरह के हैं। एक वे शब्द जो...
लालू यादव के घर में ‘रगड़ा’ डायरी (22 अगस्त, 2021)
पालिटिक्स के बारे में मेरा अपना एक फलसफा है। लेकिन इसे अभिव्यक्त करने के लिए आंचलिक शब्दों का उपयोग नहीं करूंगा। खड़ी हिंदी में...