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जोतीराव फुले
दास्तां कलमकसाइयों की (डायरी,3 अक्टूबर, 2021)
कोई भी समाज कितना सभ्य और विकसित है, इसके कई पैमाने हैं। इनमें से एक पैमाना यह कि सबसे कमजोर तबके के लोगों के...
हिंदू धर्म का पाखंड केवल दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के लिए है डायरी (7 सितम्बर, 2021)
ब्राह्मणवाद का मूल आधार ही पाखंड है। मुट्ठी भर लोगों का समाज के हर क्षेत्र में वर्चस्व बनाए रखना इसका मुख्य उद्देश्य। पाखंड किस...
नाम, समाज और महिलाओं के सवाल(डायरी 4 सितम्बर,2021)
बचपन से ही नामों को लेकर बड़ा कंफ्यूजन रहा है। मेरे जेहन में अक्सर यह बात रहती रही है कि नामों का निर्धारण कैसे...
जो बाजी ओहि बाची डायरी (28 अगस्त, 2021)
कोई भी बदलाव एकवचन में नहीं होता। जब कुछ बदलता है तो उसके साथ बहुत कुछ बदल जाते हैं। ऐसा कभी नहीं होता कि...