रेगिस्तानी क्षेत्र होने के कारण पहले से ही पानी की सीमित मात्रा का सामना कर रहे इन किसानों के सामने अप्रत्याशित बारिश समस्या बनती जा रही है। लगातार बदलते पर्यावरण के कारण मानसून की बारिश असमय होने लगी है, जिसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है। सिंचाई की जरूरत के समय वर्षा के न होने से सूखे की स्थिति बनती जा रही है।
खेती किसानी में अच्छी बारिश और उचित मात्रा में खाद का छिड़काव करना जरूरी होता है। लेकिन सरकारी वितरण केंद्र पर मिलने वाली रियायती दरों पर खाद उपलब्ध नहीं होने की वजह से किसान लगातार भटक रहे हैं।
भदोही जिले के भुर्रा गांव के लोगों का कहना है कि आजादी के बाद से उनके गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है. नहर का निर्माण 20 साल पहले हुआ था और पानी केवल एक बार आया था। गांव का संपर्क मार्ग एक नहर से होकर गुजरता है जिसमें गड्ढे ही गड्ढे हैं और बरसात के दिनों में इससे गुजरना बहुत मुश्किल होता है।
सब्ज़ी उत्पादन के अलावा हमारा और कोई व्यवसाय नहीं है। हमारे पास जमीन के कुछ टुकड़े हैं, जिसपर हमने सब्जियां लगाना शुरू किया। हम हर सीजन पर कम से कम तीन से चार लाख रुपए की सब्ज़ियां आसानी से बेच देते हैं। वही इसी गांव में कुछ ऐसे भी किसान हैं जो सीजन पर कम से कम कई लाख की सब्ज़ियां बेच देते हैं। वह बताते हैं कि सब्जी उत्पादन में थोड़ी मेहनत लगती है।