TAG
akhileshyadav
रमाकांत यादव : सामंतवाद के खिलाफ उठी आवाज सियासी गलियारे में पहुँचकर स्वयं सामंती चेहरे में बदल गई
बाहुबल का ऐसा रसूख कि पत्नी के खिलाफ जब पूर्व मुख्यमंत्री ने चुनाव लड़ा तो पूर्व मुख्यमंत्री को ना झण्डा उठाने वाले मिले, ना झण्डा लगाने की जगह मिली। आज भी हवा में फैली हुई यह बात मन को कंपा देती है कि इन्होंने चार ठाकुरों को जिंदा ही दफना दिया था, पर यह बात ना किसी कानून के पन्ने में दर्ज हुई है, ना इतिहास इसका कोई साक्ष्य देता है। लोग आज भी इस बात पर बस इतना बोलते हैं कि ‘सुना तो है पर जानते नहीं हैं कि सच्चाई क्या है?’ उत्तर प्रदेश की हर बड़ी पार्टी से मुहब्बत भी की और बगावत भी। दिग्गज राजनेता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भाजपा ने जब चुनाव मैदान में उतारा तो जीत के लिए मुलायम को भी लोहे के चने चबाने पड़ गए। जिस आदमी ने कभी पिता के दिखाए हुए रास्ते पर चलकर सामंतवाद के खिलाफ सामाजिक न्याय की लड़ाई शुरू की वही आगे चलकर आजमगढ़ का सामंती चेहरा बन गया। आज भी रमाकांत के खिलाफ बोलना गुनाह से कम नहीं है। RKY का स्टीकर होना ही किसी भी गलत पर पर्दा डालने के लिए काफी था। फिलहाल 2017 के बाद से रुतबे पर योगी के अंकुश का असर दिखने लगा है।
2022 के चुनावी नतीजे के बाद सामाजिक आंदोलनों का कार्यभार और भविष्य
उत्तर प्रदेश समेत चार अन्य राज्यों में हुए चुनाव ने सेकुलर और सामाजिक न्याय की राजनीति करनेवाले लोगों के सामने एक निराशाजनक माहौल पैदा...
साधु-संत हिन्दुओं का सबसे बड़ा बहुजन विरोधी तबका !
यदि कोई अपने विवेक को ठीक से सक्रिय रखते हुए यह जानने का प्रयास करे कि हिदुओं का सबसे बड़ा बहुजन विरोधी तबका कौन...
उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रियंका गांधी की बढ़ती लोकप्रियता के मायने
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में, जैसे-जैसे मतदान के चरण समाप्त हो रहे हैं वैस-वैसे चरण दर चरण कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री और उत्तर प्रदेश...
‘लाभार्थी बनाम भाजपा’ के साथ ‘सत्ता बनाम भुक्तभोगी’ के मुद्दे पर पड़ताल
आज फिर से उत्तर प्रदेश का चुनावी पारा घटता-बढ़ता दिखाई दे रहा है। कभी साइकिल तेज रफ़्तार पकड़ती दिखाई देती है, तो कभी भगवा...
संपूर्ण मोदी-मंडली के समानान्तर अधिक परिपक्व नेता साबित हुये हैं अखिलेश
भाजपा की स्थापना 6 अप्रैल 1980 में हुई थी। यह वही दौर था, जब मंडल कमीशन ने 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़े वर्ग यानि देश...
जुमलों के दौर में सपा का निराशाजनक घोषणापत्र, सामाजिक न्याय और डायवर्सिटी
मैंने 6 फ़रवरी को समानुपातिक भागीदारी पर केन्द्रित हो सपा घोषणापत्र शीर्षक से एक लेख लिखकर बताया था कि आगामी एक- दो दिन में...

