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आरक्षण नहीं भागीदारी और हिस्सेदारी की बात होनी चाहिए
तीन मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जारी संघर्ष से मणिपुर जल रहा है, जिसकी तपिश पूरा देश महसूस कर रहा है।...
अम्बेडकरी विचारों को आत्मसात करने वाले लाहौरी राम बाली का अवसान
बहुत से लोग अपने को बुद्धिस्ट तो कहते थे लेकिन आरक्षण के लाभ से वंचित न हो जाएं, इसलिए आधिकारिक तौर पर ये स्वीकार नहीं करते थे। वहीं बाली ने कहा कि वे जो करते हैं, खुल कर करते हैं। बाद में 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने कानून में परिवर्तन कर नव बौद्धों को आरक्षण की सुविधा का लाभ देने की घोषणा की।
क्या सामाजिक लोकतंत्र लाए बगैर राजनैतिक लोकतंत्र बच सकता है
25 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा में संविधान का मसौदा पूरे होने पर उसको प्रस्तुत करते हुए बाबासाहब अंबेडकर ने बेहद महत्वपूर्ण...
स्वाधीनता संग्राम से होगी आंबेडकरवाद की रक्षा
आज हम उस भारतरत्न बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की 132वीं जयंती मना रहे हैं, जिनके विषय में बहुत से नास्तिक बुद्धिजीवियों की राय है कि...
मनुवाद पर चौतरफा प्रहार का सही समय
सभी समाजों के स्त्री-पुरुषों के संख्यानुपात में बंटवारे के लिए वंचितों का संयुक्त मोर्चा खोला जाय तो हिन्दू उर्फ़ ब्राह्मण-धर्म की रक्षक भाजपा बहुजन आकांक्षा के सैलाब को झेल नहीं पायेगी और 2024 में तिनकों की भांति बह जाएगी। अगर हम ऐसा नहीं कर सके तो 2024 में सत्ता में आकर भाजपा वह कर देगी कि बहुजन शक्ति के स्रोतों में भागीदारी का सपना देखना छोड़ देंगे!
गैर-सवर्णों के बीच एका (डायरी 28 मई, 2022)
एकता की परिभाषा क्या है और इसकी बुनियाद में कौन-कौन से तत्व शामिल होते हैं? कल यही सवाल दिनभर मेरे मन में चलता रहा।...

