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baba saheb
घोड़े भड़के, तो भड़के क्यों?
वैसे तो संघी गिरोह को पूरे संविधान पर ही आपत्ति है। वे इस संविधान को बदलने की फिराक में हैं। माननीय उपराष्ट्रपति ने अनुच्छेद-142 को निशाने पर लिया है। उनका कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय सुपर संसद जैसा व्यवहार कर रहा है। इसके लिए उन्होंने संविधान के अनुच्छेद-142 को जिम्मेदार ठहराया है। भारतीय संविधान का यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को किसी भी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने हेतु आदेश जारी करने की शक्ति देता है। इसलिए इस अनुच्छेद को सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण शक्ति (सुप्रीम पॉवर ऑफ सुप्रीम कोर्ट) के रूप में भी जाना जाता है। वे सुप्रीम कोर्ट को मिले इस पॉवर पर भड़के हुए हैं। उनका कहना है कि यह अनुच्छेद लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ मिसाइल हमला करता है और इस अनुच्छेद का उपयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति के लिए कोई समय सीमा तय नहीं कर सकता।
हिंदुत्ववादियों से मुक्त करने की ज़रुरत है बोधगया को
क्या कारण है कि बोधगया जहां से बुद्ध को ज्ञान मिला उस नगरी पर हिंदुत्ववादियों और आरएसएस ने कब्जा कर लिया है। कुछ तो...
आखिर कौन करता है मुसहरों के साथ भेदभाव
मुसहर अपने को अन्य दलित जातियों से ऊंचा मानते हैं और मौक़ा मिले तो वैसा ही करने से नहीं चूकते जैसे तथाकथित बड़ी जातियां उनके साथ करती हैं। इन्हीं गाँवों में घूमते समय मैंने मुसहरों को डोम लोगों के साथ भेदभाव करते देखा और अपने नल से पानी भरने से साफ़ तौर पर मना करते हुए देखा।
अरविंद पासवान परिवर्तनवादी कवि हैं – दामोदर मोरे
‘मैं उसे अंबेडकरवादी कहता हूं जो संघर्ष के मैदान में बिगुल बजाता हो। जिसमें संघर्ष का संगीत हो, जिसमें जातिभेद की जंजीरें टूटने की...