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बिहार : गांव को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए मजबूत पहल की जरूरत

ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुपोषण की समस्या पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकार इस दिशा में काफी गंभीर प्रयास कर रही है। लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या नज़र आती है।

बुजुर्गों के स्वास्थ्य सुविधा का ख्याल रखना भी जरूरी है

बुजुर्ग समाज के मूल्यवान सदस्य हैं, जिन्होंने अपनी उम्र का बड़ा हिस्सा अपने समाज की बेहतरी के लिए लगाया और उन्हें बुढ़ापे में हमारी देखभार व आत्मीयता की जरूरत होती है। लेकिन समाज में लोग अपने बुजुर्गों की देखभाल करने से लगातार बच रहे हैं। उनकी स्थिति आज दयनीय हो गई, क्योंकि एक समय के बाद शरीर को तमाम तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। इलाज के लिए बुजुर्गों के पास पैसे नहीं होते, ऐसे में सरकार द्वारा कुछ स्वास्थ्य योजनाएँ लाई गई हैं, जिससे वे अपना इलाज करा सकें।

बिहार : पलायन से बचने के लिए ग्रामीण मजदूरों को कब मिलेगा अपने गाँव में रोज़गार

भारत जैसे विकासशील देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिसके कारण परिवार के पुरुष रोजगार की तलाश में शहरी क्षेत्रों में पलायन को मजबूर हैं। वर्ष 2024-2025 के बजट में केंद्र सरकार ने मनरेगा समेत रोजगार के कई क्षेत्रों में बजट आवंटन को बढ़ाया है। लेकिन इसके बाद भी सरकार को चाहिए कि गाँव में ही रोजगार के ऐसे संसाधन उपलब्ध कराये ताकि उन्हें शहर जाने की जरूरत ही न पड़े।

बिहार : रोड शो के साथ भारत जोड़ो न्याय यात्रा फिर शुरू हुई

कटिहार/ बिहार (भाषा)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को बिहार के कटिहार जिले में एक रोड शो के साथ अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय...

रंगकर्मी राजेश चंद्र पर भाइयों ने किया जानलेवा हमला, सुपौल प्रशासन से लगाई न्याय की गुहार, पाँच दिन बाद भी नहीं हुई कोई कार्यवाही

राजेश चंद्र ठाकुर ख्यातिलब्ध रंगकर्मी और लेखक हैं। देश के सम्मानित संस्कृतिकर्मी के रूप में उनकी अपनी एक पहचान है। इस सबके बावजूद इस...

बक्सर में पटरी से उतरी दिल्ली-कामाख्या नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस, चार लोगों की मौत, 70 घायल

बक्सर, बिहार (भाषा)। दिल्ली-कामाख्या नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस के छह डिब्बे बुधवार रात को बक्सर जिले के रघुनाथपुर स्टेशन के पास पटरी से उतर गए...

बिहार में खेल के क्षेत्र में सुधार की कवायद

एक समय था जब कहा जाता था, पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब। मगर बदलते समय के साथ इस कहावत के मायने बदल गये...

बिहार में आज भी हैं हजारों परिवार भूमिहीन, दबंगों से सरकार भी नहीं छीन पा रही है सरकारी जमीन

गोपालपुर तरौरा गांव के 45 वर्षीय शिवनंदन पंडित के परिवार में चार से छह लोग रहते हैं। एस्बेस्टस के एक छोटे से मकान में...

शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ रहीं हैं गाँव की लड़कियाँ

मुजफ्फरपुर (बिहार)। जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा अर्जित करना सभी के लिए महत्वपूर्ण है। यह स्त्री एवं...

हरित आवरण से ही जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण संभव

 मौसम की मार झेलते किसान एक बार और आस खो चुके हैं। खरीफ फसलों की तैयारी बेकार हो गई है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड...

बाढ़ की विभीषिका से खानाबदोश हो जाती है जिंदगी, थम जाता है गाँव का विकास

मुजफ्फरपुर जिले में बाढ़ से तबाही के आंकड़े को देखें तो साहेबगंज प्रखण्ड में लगभग 10 पंचायत हैं, जो नदी के किनारे आबाद हैं। उसमें हुस्सेपुर रत्ती में लगभग 4000 हजार मवेशियों को बाढ़ आने के बाद काफी परेशानी होती है। इन पंचायतों में एक बड़ी आबादी नदी किनारे जीवन यापन करती है।

महिला जागरूकता से ही संभव है स्वस्थ समाज का निर्माण

मुजफ्फरपुर (बिहार)। स्वस्थ मातृत्व और स्वस्थ शिशु ही समाज और राष्ट्र के लिए मानव संसाधन को पूरा कर सकते हैं। तभी देश का चहुंमुखी...

कुप्रथा डायन की सूली पर एक और औरत का क़त्ल, क्रूरता ऐसी की ऑंखें भी निकाल ली

बिहार। अरवल में कुछ दबंगों द्वारा एक दलित महिला को पहले लाठी-डंडे से पीटा गया। दबंगों का मन मारने पीटने से नहीं भरा तब...

कैनवास पर जीवन के रंग बिखेरती दलित किशोरियां

बात जब बिहार में चित्रकला की आती है, तो मिथिला चित्रकला शैली के भित्ति चित्र व अरिपन का नाम जरूर आता है। मिथिला या...

बाल विवाह का दंश झेल रहीं पिछड़े समुदाय की किशोरियां

पूरे भारत में 49 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पूर्व ही हो जाता है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 68 प्रतिशत बाल विवाह अकेले बिहार में होते हैं। हालांकि भारत की स्वतंत्रता के समय न्यूनतम विवाह योग आयु लड़कियों के लिए 15 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित थी। वर्ष 1978 में सरकार ने इसे बढ़ाकर क्रमशः 18 और 21 वर्ष कर दिया था।

बिहार की गर्म जलवायु में भी सेब की सफल खेती

बिहार के अधिकतर किसान परंपरागत खेती करते हैं। धान, गेहूं, मक्के और सब्जी की खेती के अलावा कुछ हिस्सों में मखाना, मसाले की भी खेती होती है। हालांकि महंगे बिजली, पानी, खाद-खल्ली एवं खेतिहर मजदूरों की कमी के कारण परंपरागत खेती करना उतना फायदेमंद नहीं रहा कि किसान अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकें।

पितृसत्तात्मक दबाव के बीच बिहार बोर्ड में लड़कियों की कामयाबी

समाज की सोच बदलतीं लड़कियां मुजफ्फरपुर (बिहार)। लड़कों पर नाज करने वाला समाज अब लड़कियों की कामयाबी पर गर्व महसूस कर रहा है। जिन्होंने अपनी...

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