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शिक्षा : तमाम दिक्कतों के बावजूद शिक्षकों ने अपनी भूमिका को बेहतर निभाया है

एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर यह सामने आया कि प्राथमिक और पूर्व प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और गणितीय कौशल के स्तर मे सुधार के लिए किए जा रहे प्रयास के परिणाम सही दिशा में आते हुए दिखाई दे रहे हैं। हालांकि यह लक्ष्य बहुत सकारात्मक नहीं है लेकिन सुधार होता दिख रहा है। ‘निपुण भारत मिशन’ जिसकी शुरुआत 5 जुलाई 2021 को हुई थी, तय लक्ष्य पाने में अभी बहुत पीछे है लेकिन जो भी हासिल है उसका श्रेय शिक्षकों को दिया जाना चाहिए।

भारत में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच को लेकर हर साल प्रकाशित होने वाली एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) इस बार भी शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और समाज के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। ASER 2024 ने न केवल बच्चों की बुनियादी दक्षताओं का मूल्यांकन किया, बल्कि यह भी दिखाया कि किस प्रकार सरकारी स्कूलों ने कोविड के बाद शिक्षा में गिरावट की भरपाई करते हुए उल्लेखनीय प्रगति की है।

इस वर्ष का ASER ‘बेसिक’ सर्वेक्षण भारत के 605 जिलों के 17,997 गाँवों में किया गया, जिसमें 3 से 16 वर्ष की आयु के 6.5 लाख से अधिक बच्चों तक पहुँचा गया। उत्तर प्रदेश में यह सर्वे 70 जिलों के 2,100 गाँवों में किया गया, जिसमें 89,739 बच्चों को शामिल किया गया। यह सर्वे सिर्फ नामांकन और उपस्थिति तक सीमित नहीं रहता, बल्कि बच्चों की पढ़ने और गणित करने की मूलभूत क्षमताओं का भी आकलन करता है।

ASER 2024 के आँकड़ों के अनुसार, 3-4 वर्ष के 80% से अधिक बच्चे अब पूर्व-प्राथमिक शिक्षा से जुड़े हैं, और 6-14 वर्ष आयु वर्ग में नामांकन दर लगभग 98% बनी हुई है। यह आँकड़े बताते हैं कि देश में अब लगभग हर बच्चा स्कूल तक पहुँच रहा है, जो कि शिक्षा के अधिकार और सरकारी प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, कक्षा 3 तक के बच्चों को बुनियादी साक्षरता और गणितीय कौशल हासिल हो जाने चाहिए। इसी के तहत ‘निपुण भारत मिशन’ की शुरुआत 5 जुलाई 2021 को की गई थी। इसका उद्देश्य है कि 2026-27 तक 3 से 8 वर्ष के सभी बच्चे भाषा और गणित में दक्ष बनें।

ASER 2024 के आँकड़े इस दिशा में हो रही प्रगति को दिखाते हैं — कक्षा III में अब 27.1% बच्चे कक्षा II स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं (2022 में यह 20.5% था), जबकि कक्षा V में यह आँकड़ा 48.8% हो गया है (2022 में 42.8%)। गणित में भी कक्षा III के 33.7% और कक्षा V के 30.7% बच्चे क्रमशः घटाव और भाग हल कर सकते हैं।

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उत्तर प्रदेश ने इस बार शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। कक्षा III में अब 34.4% बच्चे कक्षा II स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं (2022 में 24%) और 40.7% बच्चे घटाव हल कर सकते हैं (2022 में 29%)। कक्षा V में 56.5% बच्चे पढ़ने में दक्ष हैं और कक्षा V के 39.5% बच्चे भाग हल करने में सक्षम हैं। यह सुधार केवल आँकड़ों में नहीं, बल्कि कक्षा-कक्षा में दिखने वाला बदलाव है — जो शिक्षकों की मेहनत और स्थानीय स्तर पर हुए प्रयासों का परिणाम है।

इस बदलाव के असली नायक हैं हमारे शिक्षक साथी। महामारी के समय जब स्कूल बंद थे और संसाधन सीमित थे, तब भी शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने घर-घर जाकर पढ़ाया, बच्चों को worksheets और किताबें दीं, और एक बार फिर स्कूलों को जीवंत बना दिया। नीतियाँ और बजट सिर्फ दिशा देते हैं, लेकिन असली बदलाव तो कक्षा में होता है – उस शिक्षक के हाथों, जो रोज चाक, ब्लैकबोर्ड  और डस्टर से बच्चों का भविष्य गढ़ता है।

हालाँकि ‘निपुण भारत’ का लक्ष्य अभी दूर है, लेकिन ASER 2024 के निष्कर्ष यह विश्वास दिलाते हैं कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं। अब ज़रूरत है कि हम शिक्षकों को सम्मान, सहयोग और स्वतंत्रता दें, ताकि वे और बेहतर कर सकें। जब शिक्षक को सशक्त किया जाता है, तो सरकारी स्कूल भी उत्कृष्टता की मिसाल बन जाते हैं I

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