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मोदी जी का ऐसा सोचना गलत है कि संसद भवन से गांधी, बिरसा मुंडा और अंबेडकर की मूर्तियां हटाकर उन्हें मिटाया जा सकता है 

पूरी दुनिया में अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी और संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर के विचारों को स्थान दिया जा रहा है। उनके सिद्धांतों को पढ़ाया जा रहा है, उनकी मूर्तियाँ स्थापित की जा रही हैं। ऐसे में देश के सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान संसद भवन से बिना किसी को सूचना दिये या सहमति लिए, इन महापुरुषों की प्रतिमा को हटाकर पुराने संसद भवन के पीछे उपेक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर देना उनका अपमान है। ऐसे में मोदी का राजघाट पर फूल चढ़ाना और अंबेडकर जयंती पर बाबा साहब की प्रतिमा को माला पहनाना एक ढोंग के अलावा कुछ नहीं है। 

ग्राउंड रिपोर्ट : जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा के संसदीय क्षेत्र में पानी और पलायन का दर्द क्यों है गहरा?

झारखंड में खूंटी संसदीय क्षेत्र के जंगलों-पहाड़ों से घिरे इलाके में दूर-दूर तक आदिवासी परिवार पानी संकट से जूझ रहे हैं। रोजगार का सवाल उन्हें अलग सताता है। कई गांवों से युवा पलायन कर रहे हैं। गर्मी की वजह से पहाड़ी नदियां सूख रही हैं। लोकतत्र के इस महापर्व में इन इलाकों में चुनावी शोर कम है और जिंदगी की जद्दोजहद ज्यादा। पड़ताल करती एक ग्राउंड रिपोर्ट..

झारखंड : क्यों बिरसा की धरती पर ‘बिरसाइत’ जी रहे मुश्किलों भरी जिंदगी?

उलगुलान के महानायक बिरसा मुंडा करोड़ों आदिवासियों के लिए गौरव और गुमान के प्रतीक हैं। साथ ही उनका बलिदान आदिवासियों के सपनों की बुनियाद के साथ सियासत की धुरी भी है। लेकिन बिरसा की धरती पर ही उनके अनुयायी ‘बिरसाइत’ परिवारों की जिंदगी मुश्किलों में गुजर रही। विकास का पहिया इनके गांवों में पहुंचने से पहले क्यों ठहर जाता है, पड़ताल करती एक रिपोर्ट..

उजड़ी हुई़ करसड़ा की मुसहर बस्ती में मनाई गई बिरसा मुंडा की जयंती

जीवनपर्यंत अंग्रेज़ी हुकूमत के ख़िलाफ़ लड़ने वाले जन, जंगल व जमीन बचाव के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, जननायक, प्रकृति रक्षक बिरसा मुंडा की जयंती...

आदिवासियों के जल जंगल ज़मीन की स्वायत्तता का सम्मान ही बिरसा मुंडा का सही सम्मान

बिरसा मुंडा जयंती पर विशेष धरती आबा बिरसा मुंडा के 146वें जन्म दिन पर सभी को हूल जोहार। झारखण्ड क्षेत्र में आदिवासियों की अस्मिता और ...

जब मैंने अपने पापा से पूछा था– बिरसा मुंडा की देह पर कपड़े क्यों नहीं हैं? (डायरी15 नवंबर, 2021)

बात बचपन की है। उन दिनों मेरी दुनिया मेरे गांव ब्रह्मपुर तक सिमटी हुई थी। गांव की सीमा पर ही नक्षत्र मालाकार हाईस्कूल था...

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