Sunday, May 19, 2024

नीरज सिन्हा

लेखक झारखंड में वरिष्ठ और स्वतंत्र पत्रकार हैं तथा रांची में रहते हैं।

ग्राउंड रिपोर्ट : जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा के संसदीय क्षेत्र में पानी और पलायन का दर्द क्यों है गहरा?

झारखंड में खूंटी संसदीय क्षेत्र के जंगलों-पहाड़ों से घिरे इलाके में दूर-दूर तक आदिवासी परिवार पानी संकट से जूझ रहे हैं। रोजगार का सवाल उन्हें अलग सताता है। कई गांवों से युवा पलायन कर रहे हैं। गर्मी की वजह से पहाड़ी नदियां सूख रही हैं। लोकतत्र के इस महापर्व में इन इलाकों में चुनावी शोर कम है और जिंदगी की जद्दोजहद ज्यादा। पड़ताल करती एक ग्राउंड रिपोर्ट..

झारखंडः जेएमएम छोड़कर भाजपा से चुनाव लड़ रहीं सीता सोरेन की राजनीतिक परीक्षा का समय

झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों में से दुमका पर देश भर की निगाहें होती हैं। आदिवासियों के लिए सुरक्षित इस सीट से आंदोलनकारी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन का नाम जुड़ा है। दुमका इस बार भी सुर्खियों में है, लेकिन वजह बदली हुई है। और वह है, शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन का जेएमएम छोड़कर बीजेपी में शामिल होना। बीजेपी ने सीता सोरेन को दुमका सीट से उम्मीदवार बनाया है। पढ़ें, इस चुनाव में क्या है दुमका का ताना-बाना...

झारखंडः हाथियों के हमले में मारे जा रहे आदिवासी और किसान, यह चुनावों में मुद्दा क्यों नहीं होता ?

झारखंड के अलग-अलग इलाकों के जंगलों-पहाड़ों से घिरे-सटे और तलहटी वाले गांवों में हाथी- मानव संघर्ष का अंतहीन सिलसिला जारी है। इसमें जान-माल की लगातार क्षति हो रही है। घरों को ढाह दिये जाने और अनाज खा जाने से संकट की तस्वीर पीड़ादायक होती है। हाथियों के हमले में मारे जाने वाले लोगों में अधिकतर आदिवासी, साधारण किसान, महिला और मजदूर होते हैं। सैकड़ों गांव भय के साये में रहते हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि चुनावों में यह मुद्दा नहीं होता। पड़ताल करती एक ग्राउंड रिपोर्ट..

लोकसभा चुनाव : झारखंड में आदिवासियों की सुरक्षित सीटों पर भाजपा की राह कांटे भरी क्यों है?

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी झारखंड में सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए जोर लगा रही है लेकिन आदिवासी सीटों पर क्या भाजपा जीत दर्ज करने में सफल हो सकती है?

झारखंड : क्यों बिरसा की धरती पर ‘बिरसाइत’ जी रहे मुश्किलों भरी जिंदगी?

उलगुलान के महानायक बिरसा मुंडा करोड़ों आदिवासियों के लिए गौरव और गुमान के प्रतीक हैं। साथ ही उनका बलिदान आदिवासियों के सपनों की बुनियाद के साथ सियासत की धुरी भी है। लेकिन बिरसा की धरती पर ही उनके अनुयायी ‘बिरसाइत’ परिवारों की जिंदगी मुश्किलों में गुजर रही। विकास का पहिया इनके गांवों में पहुंचने से पहले क्यों ठहर जाता है, पड़ताल करती एक रिपोर्ट..

झारखंड : शुरू हुई ‘मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना,’ सुगम होगी आमजन की यात्रा

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यकाल में जिस 'मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना' की परिकल्पना की गयी थी,वर्तमान मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने उसकी शुरुआत कर दी। हालाँकि मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में हेमंत सोरेन को ही इसका क्रेडिट दिया।

झारखंडः क्या है अबुआ आवास और क्यों हैं इसके चर्चे

झारखण्ड में आजकल पीएम आवास से ज्यादा चर्चा अबुआ आवास योजना की हो रही है। हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी और इस्तीफे के बाद 31 जनवरी से नये मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन अबुआ आवास योजना को तेजी से आगे बढ़ाने में जुटे हैं। राज्य सरकार की अबुआ आवास योजना क्या है और यह योजना गरीबों को क्यों प्रभावित कर रही है, पढ़िए नीरज सिन्हा की ग्राउंड रिपोर्ट