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Election 2024
एक मात्र मतदाता के लिए 39 किलोमीटर का सफर पैदल तय करेंगे चुनाव अधिकारी
चुनाव अधिकारियों का कहना है कि मालोगाम में बहुत कम परिवार हैं। तयांग किसी अन्य मतदान केंद्र पर स्थानांतरित किए जाने की इच्छुक नहीं है। उनको छोड़कर सभी अन्य मतदान केंद्रों पर पंजीकृत मतदाता हैं।
लोकसभा चुनाव: 19 अप्रैल से एक जून के बीच सात चरणों में होंगे चुनाव, देश भर में आदर्श आचार संहिता लागू
लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का चुनाव आयोग ने ऐलान कर दिया है। चुनाव सात चरणों में 19 अप्रैल से एक जून के बीच आयोजित किया जाएगा और मतगणना 4 जून को होगी। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार को यह जानकारी दी।
लोकसभा चुनाव : भाजपा ने दूसरी सूची जारी की, नितिन गडकरी नागपुर से चुनाव लड़ेंगे
आज भाजपा ने 72 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची निकाल दी है। इसके पहले 3 मार्च को 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। जल्द ही चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आचार संहिता की घोषणा कर सकता है।
टिकट के दाँव-पेच में फिसड्डी साबित हुये हैं सत्यदेव पचौरी
कानपुर से बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी प्रबल दावेदारों में थे. काटे गए 46 सांसदों की टिकट में उनका नाम भी शामिल है. इस सीट के लिए अभी भाजपा शीर्ष नेताओं के बीच मंथन चलने जैसी बात सामने आ रही है. कहा तो यह भी जा रहा है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में एक-एक सीट पर कई-कई दावेदार थे.
लखीमपुर खीरी से अजय मिश्र टेनी को भाजपा से टिकट मिलने पर किसान नेता ने क्यों उठाया सवाल?
किसान आन्दोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने वीडियो जारी करते हुए कहा, ‘लखीमपुर खीरी से अजय मिश्र टेनी को टिकट देकर भाजपा ने किसानों के कटे पर नमक छिड़का है।
बिहार में भाजपा का दावा कि वे मंडल और कमंडल दोनों के साथ, कितना मिलेगा सियासी फ़ायदा?
सर्वज्ञात है कि भाजपा ने मंडल के खिलाफ कैसे एक षड्यंत्र कारी अभियान शुरू किया और अपनी ताकत को पूरी तरह कमंडल की राजनीति में क्यों झोंक दिया? क्या भाजपा ने केंद्र या प्रदेश स्तर पर कभी मंडल आयोग की सिफारिशों के प्रति अपनी सदिच्छा ज़ाहिर की।
संविधान बदलने की दिशा में पहला कदम है एक देश एक चुनाव
भाजपा जब से सत्ता में आई है एक देश एक चुनाव के मुद्दे को बार-बार उछालने का काम कर रही है।अब जब कि लोकसभा...
क्या मायने हो सकते हैं मायावती की असंभव शर्त के
भतीजे आनंद का रुतबा उत्तर प्रदेश की राजनीति में तभी बढ़ सकता है जब विपक्ष के सबसे मजबूत नेता का तमगा अखिलेश यादव से छिन जाये और चंद्रशेखर रावण जैसे युवा दलित स्वर कमजोर हो जाएँ। कहावत है कि कबूतर की कलाबाजी उसी आसमान में होती है जिसमें बाज के झपट्टा मारने का डर नहीं होता है।
साफ्ट से हार्ड होने के क्या होंगे सियासी मायने, 80 हराने के सपने के साथ चल पड़े हैं अखिलेश यादव
लोक जागरण यात्रा के माध्यम से सामाजिक न्याय का नायक बनने की राह पर बढ़ते अखिलेश यादव क्या कर सकेंगे 2024 में कोई उलटफेर
अखिलेश...

