वास्तव में यह दिन 1879 में इसी रोज शुरू हुई फ्रांसीसी क्रांति की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत इस कुख्यात जेल में बंद क्रांतिकारियों को छुड़ाने के लिए हमला कर जेल तोड़े जाने के साथ हुई थी। जाहिर है कि भारत से भी बढ़कर फ्रांस में, मानवता को 'स्वतंत्रता, समानता तथा भाईचारा' के लक्ष्य देने वाली, इस फ्रांसीसी क्रांति की सालगिरह की परेड में मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री मोदी जैसे भाईचारा-विरोधी नेता को बनाए जाने की काफी आलोचना हुई है।
उत्तर आधुनिकता के उभार और पूंजी के दबाव ने अकेलापन, व्यक्तिवाद और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर सामूहिकता और सामाजिकता के बोध को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। बावजूद इसके स्त्रियों का समूह में मेला देखने आने का चलन अभी ग्रामीण समाज में बचा हुआ देखना इस बात की बानगी है कि कृषि आधारित ग्रामीण बहुजन समाज में अभी पूंजी और उत्तरआधुनिकता का रंग उतना नहीं चढ़ा है और वहां सामूहिकता और सामाजिकता का भावबोध अभी भी बहुत ठोस और सघन दिखता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 600 मिलियन मामले केवल असुरक्षित भोजन और खाद्य जनित बीमारियों के कारण होते हैं। इससे लगभग प्रतिवर्ष चार लाख बीस हज़ार लोगों की मौत हो जाती है। असुरक्षित भोजन न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी एक गंभीर खतरे का संकेत देता है।
माकपा के नेतृत्व में लोगों की नाराजगी देख एसईसीएल आया हरकत में
कोरबा (छत्तीसगढ़)। बांकीमोंगरा क्षेत्र के खनन प्रभावित गांव बांकी बस्ती, मड़वाढोढा और पुरैना...
जमुआ हरिराम गांव की महिलाओं से सीओ सीटी ने सुना उत्पीड़न का पूरा मामला। दो दलित महिलाओं ने कंधारपुर थाने के एसआई रतन कुमार सिंह पर आरोप लगाया कि वह खिरिया बाग आकर महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करते हैं।
[भव्यता के ख्वाब तले कुचले जा रहे स्वपन अब एक बड़े वर्ग की आँखों में चुभने लगे हैं। लोग दर्द में हैं और हक़ की आवाज पर सरकार की पहरेदारी है। धमकियाँ हैं। बावजूद इसके लोग अब भी लड़ रहे हैं। जब तक लोग लड़ रहे हैं तब तक उम्मीद जिंदा है। इस जिंदा उम्मीद के लिए न्याय की नियति क्या होगी, भविष्य क्या होगा, इस पर अभी तो प्रश्नवाचक का पेंडुलम वैसे ही झूल जा रहा है, जैसे समय के साथ चलने वाली घड़ी के बंद हो जाने पर उसका पेंडुलम खामोशी से झूलता रहता है और इंतजार करता रहता है कि कभी तो कोई उसकी चाभी भरकर उसे चला देगा।
बिहार के अधिकतर किसान परंपरागत खेती करते हैं। धान, गेहूं, मक्के और सब्जी की खेती के अलावा कुछ हिस्सों में मखाना, मसाले की भी खेती होती है। हालांकि महंगे बिजली, पानी, खाद-खल्ली एवं खेतिहर मजदूरों की कमी के कारण परंपरागत खेती करना उतना फायदेमंद नहीं रहा कि किसान अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकें।
सार्वजनिक जीवन में प्रतीकों का बहुत महत्व होता है। प्रतीकों का चुनाव और प्रक्षेपण विचारधारा, संस्कृति, इतिहास, विश्वदृष्टि आदि-इत्यादि को दर्शाता है। 75 साल...
इंदिरा आवास योजना का उद्देश्य यह है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोग, जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है और वह अपनी जिंदगी झुग्गियों-बस्तियों में रहकर गुजारा करते हैं। इसके अंतर्गत जिनके पास घर खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं, ऐसे लोगों को पक्के मकान उपलब्ध कराना होता है।