सुशील मानव
ग्राउंड रिपोर्ट
विलासिता, शोषण और रोज़गार की कड़ियों के बीच कालीन उद्योग
ड्राइंग हॉल में बिछने के लिए बाज़ार तक पहुँचने से पहले कालीन, निर्माण कई प्रक्रियाओं से होकर गुज़रती है। हर प्रक्रिया में उसके विशेषज्ञ और कुशल-अकुशल मज़दूर काम करते हैं। कालीन निर्माण की एक प्रक्रिया में लगा मज़दूर और एक्सपर्ट कालीन निर्माण की दूसरी प्रक्रिया के लिए नौसिखिया होता है। कालीन निर्माण से जुड़ी हर प्रक्रिया बहुत बारीक और जटिल होती है।
ग्राउंड रिपोर्ट
आधार कार्ड नहीं होने से वंचित रह जाते हैं सरकारी योजनाओं के लाभ से, बच्चों को नहीं मिलता स्कूल में दाखिला
बिना आधार कार्ड के सरकारी अस्पतालों के ओपीडी जांच और गंभीर स्थिति में भर्ती करने जैसी ज़रुरी प्रक्रिया से इन्कार कर दिया जाता है। देश में ऐसे कई केस सामने आये हैं जब गर्भवती महिला का आधारकार्ड न होने की स्थिति में भर्ती करने से मना कर दिया गया और महिला ने अस्पताल के बाहर खुले में बच्चे को जन्म दिया। आखिर ऐसी आधार(UIDAI ) व्यवस्था किस काम की जो ग़रीब बच्चे को शिक्षा और किसी मरीज को इलाज देने में बाधक बने।
ग्राउंड रिपोर्ट
गरीबों और पटरी व्यवसायियों की अर्थव्यवस्था को आधार देता भदोही का मेला
उत्तर आधुनिकता के उभार और पूंजी के दबाव ने अकेलापन, व्यक्तिवाद और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर सामूहिकता और सामाजिकता के बोध को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। बावजूद इसके स्त्रियों का समूह में मेला देखने आने का चलन अभी ग्रामीण समाज में बचा हुआ देखना इस बात की बानगी है कि कृषि आधारित ग्रामीण बहुजन समाज में अभी पूंजी और उत्तरआधुनिकता का रंग उतना नहीं चढ़ा है और वहां सामूहिकता और सामाजिकता का भावबोध अभी भी बहुत ठोस और सघन दिखता है
स्वास्थ्य
बलिया : दयनीय और जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था की वजह से जानलेवा बन रही है हीट वेव
प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट फोरम ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा है कि हीटवेव केवल भारत में ही नहीं आता है। दुनिया के कई क्षेत्र हर साल इससे गुज़रते हैं लेकिन वे अपने बेहतरीन सार्वजनिक जनस्वास्थ्य व्यवस्था के दम पर अपने लोगों को लू से हताहत होने से बचा ले जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि खराब स्वास्थ्य व्यवस्था सामाजिक सुरक्षा जाल प्रणाली में एक बड़ा छेद होता है। जिससे ग़रीबों, बेघरों और बुजुर्गों को हमेशा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
स्वास्थ्य
सीएमओ ने किया औचक निरीक्षण, भदोही सीएचसी में 18 स्वास्थ्यकर्मी नदारद
अस्पतालों पर दबाव बढ़ा है, बावजूद इसके स्वास्थ्यकर्मी संवेदनशील बनने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के अभी भी वही ढुलमुल रवैया अपनाये हुये हैं। उनके लापरवाहीपूर्ण कार्य प्रणाली में कोई सुधार नहीं आ रहा है।
स्वास्थ्य
स्वास्थ्य व्यवस्था को नंगा करता जा रहा हीट स्ट्रोक, देवरिया में 24 घंटे में 52 की मौत
पूर्वांचल में लू (हीट स्ट्रोक) से बीमार होने वालों की संख्या में तेजी से इजाफ़ा हो रहा है। देवरिया में पिछले 24 घंटे में 52 लोगों की मौत लू लगने से हो चुकी है। इससे पहले पड़ोसी जिला बलिया में शनिवार को 36 लोगों की लू से मौत हुयी थी।
स्वास्थ्य
बलिया : अस्पताल में लू से 121 लोगों की मौत, बयान देने पर सीएमओ को पद से हटाया गया
बलिया जिला अस्पताल में 10 जून को 7 मरीजों की, 11 जून को 5 मरीजों की, 12 जून को 7 मरीजों की, 13 जून को 17 मरीजों की, 14 जून को 18 मरीजों की, 15 जून को 31 मरीजों की, 16 जून को 21 मरीजों की और 17 जून को 15 मरीजों की मौत दर्ज़ की गयी है।
स्वास्थ्य
फूड प्वाइजनिेग से युवक की मौत, परिवार के लोगों की हालत गंभीर
जिले के धनावल गांव में फूड प्वाइजनिंग की चपेट में आने से एक युवक मौत हो गई है। जबकि परिवार के तीन सदस्यों की हालत गंभीर बनी हुई है। सभी को प्रयागराज के एक निजी व मंडलीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। सूचना पाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम भी गांव पहुंची है।
स्वास्थ्य
सरकारी अस्पतालों में एमआरआई मशीन खराब, प्राइवेट अस्पताल एमआरआई पर दे रहा डिस्काउंट
4 जून को अख़बारों में विज्ञापन छपता है कि 9 जून से संचालित होने वाले एमआरआई जांच के लिए तुरंत बुकिंग कराने वाले मरीजों को 50% छूट दिया जाएगा। 9 जून को उस नामी प्राइवेट अस्पताल में एमआरआई यूनिट का उद्घाटन होता है और ठीक एक दिन पहले यानि 8 जून को बेली अस्पताल के एमआरआई मशीन में खराबी आ जाती है। क्या ये महज इत्तेफाक़ है?
ग्राउंड रिपोर्ट
रामराज्य के दौर में बेटे का शव तीस किलोमीटर तक पैदल कंधे पर ढोने को मजबूर पिता
पिता बजरंगी द्वारा बेटे की लाश कंधे पर लेकर घर तक जाने के मामले में जांच रिपोर्ट आ गई है। डीएम द्वारा मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य तथा एसडीएम करछना की कमेटी ने शुक्रवार को जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपी। जांच रिपोर्ट में पहले से निलंबित इंस्पेक्टर व सिपाही पर कार्रवाई की संस्तुति की है।
ग्राउंड रिपोर्ट
इफको कंपनी का दलित-बहुजन विरोधी चेहरा
पिछले डेढ़ दशक से कंपनी के मुनाफा बढ़ता गया और इसके साथ ही हादसे भी। कंपनी ने मेंटिनेंस पर फोकस कम करके मुनाफे पर फोकस ज़्यादा कर दिया। नतीजन अमौनिया गैस रिसाव के मामले और दूसरी दुर्घटनायें बढ़ने लगीं। मजदूरों के लिए हालात बदतर होते गये हैं।