Thursday, April 17, 2025
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देश में इतनी नफरत फैल चुकी है जितनी संघी नेताओं ने भी शायद ही सोचा हो

आरएसएस लगातार दोहरी नीति पर काम एक तरफ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री बयान देते फिरते हैं कि देश में सभी समुदाय के लोग सुरक्षित हैं, वहीं उनके पोषित लोग अल्पसंख्यकों पर लगातार हमला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अभी क्रिसमस के मौके पर दिए संदेश में भगवान ईसा मसीह की शिक्षाओं पर अमल करने की बात कही, वहीं दूसरी तरफ लखनऊ मे चर्च के बाहर भक्तों ने गदर मचाया। अहमदाबाद में सांता क्लॉज की पोशाक पहने व्यक्ति की भक्तनुमा व्यक्ति ने पिटाई कर दी। यह मात्र एक या दो घटनाएं है। लेकिन पूरे देश में ऐसी सैकड़ों घटनाएं लगातार हो रही हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर नफरत इतनी व्यापक क्यों है?

ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा-पाठ के खिलाफ दायर याचिका पर अब 28 को सुनवाई होगी

वाराणसी की जिला अदालत ने 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि एक पुजारी ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में प्रतिमाओं के सामने प्रार्थना कर सकता है। मस्जिद समिति ने इस फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

ज्ञानवापी : कब तक चलेगा याचिकाओं का दौर, आखिर कब ख़त्म होगा यह विवाद

वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद जिसे कभी-कभी आलमगीर मस्जिद भी कहा जाता है, यह वाराणसी में स्थित है। यह मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है।...

ज्ञानवापी की एएसआई सर्वे रिपोर्ट पर कल आएगा आदेश

वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए या  नहीं। इस पर शुक्रवार को जिला जज की अदालत से आदेश नहीं आया।...

ज्ञानवापी केस: सर्वे से जुड़ी मुस्लिम पक्ष की सभी पांच याचिकाएं हाईकोर्ट ने की खारिज

प्रयागराज। ज्ञानवापी केस की कानूनी लड़ाई में मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के स्वामित्व को लेकर...

भारत में ‘धर्म’, डायरी (31 मई, 2022) 

वैसे तो यह मामला केवल भारत का नहीं है। विश्व के अनेक देशों में धार्मिक संविधान हैं। लेकिन भारत की खासियत यह है कि...

गुलामी के प्रतीकों की मुक्ति का आन्दोलन !

आज यदि कोई गौर से देखे तो पता चलेगा कि न्यायिक सेवा, शासन-प्रशासन,उद्योग-व्यापार, फिल्म-मीडिया,धर्म और ज्ञान क्षेत्र में भारत के सवर्णों जैसा दबदबा आज की तारीख में दुनिया में कहीं नहीं है। आज की तारीख में दुनिया के किसी भी देश में परम्परागत विशेषाधिकारयुक्त व सुविधाभोगी वर्ग का ऐसा दबदबा नहीं है।

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