बिहार में मंडल कमीशन की अनुशंसा के अनुरूप ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण को कड़ाई से लागू किया। जब आरएसएस के गुंडों ने उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में बाबरी मस्जिद को ढाह दिया तब पूरे देश में दंगा की स्थिति बन गई थी। अनेक जगहों पर दंगे हुए भी। लेकिन लालू प्रसाद ने बिहार के ब्राह्मण वर्गों को काबू में रखा। तब लालू के राज में सही मायनों में धर्मनिरपेक्ष संविधान साकार हो रहा था।

कोयंबटूर जिले में एक दंपत्ति ने अपनी तीन साल की बेटी के लिए 'कोई धर्म नहीं, कोई जाति नहीं' प्रमाण पत्र हासिल किया है। खबर के मुताबिक प्रमाणपत्र कोयंबटूर के तहसीलदार ने नरेश कार्तिक और गायत्री के अपनी बेटी विल्मा को यह प्रमाणपत्र एक हलफनामा जमा करने के बाद जारी किया है कि विल्मा कभी भी धर्म व जाति के आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं लेगी। खबर में ही बताया गया है कि ऐसा प्रमाणपत्र 1973 में राज्य सरकार के एक आदेश के तहत जारी किया गया है।
ब्राह्मण वर्ग बहुत चालाक वर्ग है। यह वर्ग सबकुछ अपने हिस्से में चाहता है। वह आरक्षित वर्ग के लोगों को बताना चाहता है कि तुम जो जाति के आधार पर अपने लिए आरक्षण चाहते हो, वह नैतिकताविहीन है और हम जो वर्चस्व के अधिकारी हैं, हर तरीके से नैतिकवान हैं।

नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
अमेज़न पर उपलब्ध –
[…] भारत में ‘धर्म’, डायरी (31 मई, 2022) […]