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शेतकरी आक्रोश मोर्चा में बोले पवार, किसानों की मदद करने वाले संवेदनशील पीएम थे मनमोहन सिंह
पुणे (भाषा)। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भारत के किसानों के प्रति संवेदनशील थे। वे किसानों की आत्महत्या मामलों की जाँच करवाते थे ताकि उसके...
निजीकरण के पीछे मोदी सरकार के उद्देश्यों को समझिये
डॉ मनमोहन सिंह के बाद नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता पर काबिज हुए और आज प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल की बराबरी करने की...
सुप्रिया सुले ने कहा मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र में काम के लिए पवार को दिया पद्म विभूषण
नागपुर (भाषा)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता सुप्रिया सुले ने शुक्रवार को कहा कि यह नरेन्द्र मोदी सरकार ही थी, जिसने पार्टी के संस्थापक...
सच्चर आयोग के पंद्रह साल बाद क्या मुसलमानों की स्थिति में कोई सुधार आया?
सच्चर कमेटी रिपोर्ट को डेढ़ दशक से ज्यादा समय बीत चुके हैं। साल 2006 में जब तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा सच्चर कमेटी की रिपोर्ट...
देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कठपुतली हैं और इन्हें नचानेवाले अंबानी-अदानी हैं
बातचीत का अंतिम हिस्सा
माओवादियों के वार्ताकार होने के आधार पर आप तब कैसा महसूस करते हैं जब मीडिया माओवाद को ‘आंतरिक आतंकवाद’ और...
भारत भूख पर सवार है
अर्थशास्त्री लुकास चांसेल और थॉमस पिकेटी द्वारा किये गये अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि 1922 के बाद से भारत में आय की असमानता का स्तर उच्च स्तर पर पहुंच गयी है। इसी प्रकार से इस साल के शुरुआत में ऑक्सफैम द्वारा जारी किये गये रिपोर्ट से पता चलता है कि भारतीयों की महज 10 प्रतिशत आबादी के पास कुल राष्ट्रीय संपत्ति का 77 प्रतिशत हिस्सा है। दरअसल भारत में यह असमानता केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि कम आय के साथ देश की बड़ी आबादी स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसे मूलभूत जरूरतों की पहुंच के दायरे से भी बाहर है।

